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Last Modified: मंगलवार, 13 अक्टूबर 2020 (13:55 IST)

दिल्ली की वायु गुणवत्ता बहुत खराब, 7 माह में पहली बार हवा हुई इतनी खराब

दिल्ली की वायु गुणवत्ता बहुत खराब, 7 माह में पहली बार हवा हुई इतनी खराब - Delhi Air Quality Turns Hazardous
नई दिल्ली। हवा की गति कम होने और तापमान कम होने के चलते प्रदूषक तत्त्वों के हवा में जमा होने के कारण राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) की वायु गुणवत्ता मंगलवार सुबह बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गई। इस मौसम में पहली बार हवा की गुणवत्ता इतनी खराब हुई है।
 
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के अनुसार, पंजाब, हरियाणा और पाकिस्तान के नजदीकी क्षेत्रों में खेतों में पराली जलाने की घटना में वृद्धि भी दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता को प्रभावित करने वाली है महानगर में सुबह 9:30 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 304 दर्ज किया, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है। सोमवार को 24 घंटे का औसत एक्यूआई 261 रहा, जो फरवरी के बाद से सबसे खराब है। यह औसत रविवार को 216 और शनिवार को 221 दर्ज किया गया था।
 
दिल्ली के वजीरपुर में AQI 380, विवेक विहार में 355 और जहांगीरपुरी में 349 रही, जहां सबसे अधिक प्रदूषण का स्तर दर्ज किया गया।
 
उल्लेखनीय है कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 और 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है।
 
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि हवा की गुणवत्ता में गिरावट का कारण हवा की कम गति और कम तापमान हो सकता है जिसके चलते हवा में प्रदूषक जमा होने लगे हैं। पड़ोसी राज्यों में भी पराली जलाने की घटना बढ़ गई है। इसके अलावा, वेंटिलेशन इंडेक्स कम है।
 
सीपीसीबी (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में पीएम10 का स्तर सुबह नौ बजे 300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा। भारत में 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से नीचे पीएम10 का स्तर सुरक्षित माना जाता है।
 
पीएम10, 10 माइक्रोमीटर के व्यास वाला सूक्ष्म अभिकण होता है, जो साँस के जरिये फेफड़ों में चले जाते हैं। यह स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक होता है। ये अभिकण धूल-कण इत्यादि के रूप में होते हैं।
 
पीएम2.5 का स्तर 129 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया। पीएम2.5 का स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक सुरक्षित माना जाता है। पीएम2.5 अति सूक्ष्म महीन कण होते हैं जो रक्तप्रवाह में भी प्रवेश कर सकते हैं।
 
नासा के कृत्रिम उपग्रह द्वारा ली गई तस्वीरों के मुताबिक, पंजाब के अमृतसर और फिरोजपुर और हरियाणा के पटियाला, अंबाला और कैथल के पास बड़े पैमाने पर आग जलती हुई दिखाई दी। (भाषा)
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