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Last Modified: नई दिल्ली , शनिवार, 16 जनवरी 2016 (14:50 IST)

भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान गूगल के मानचित्र पर, हमले का खतरा

भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान गूगल के मानचित्र पर, हमले का खतरा - Defense Foundation, Google, Maps, assault
नई दिल्ली। पठानकोट वायुसेना अड्डे पर आतंकवादी हमले के बाद भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों, नाभिकीय ऊर्जा संयंत्रों और अन्य संवेदनशील स्थानों के गूगल मानचित्र पर दिखाए जाने का दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को संज्ञान लिया और केंद्र सरकार से कहा कि इस पर गौर करे और मुद्दे पर उसे सतत जानकारी दी जाए।


मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल संजय जैन से कहा कि मामले पर गौर करें और इसके बाद अपनाई जा रही प्रक्रिया की हमें जानकारी दी जाए। बहरहाल अदालत ने इस तरह का कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इंकार कर दिया कि सुनवाई की अगली तारीख 24 फरवरी तक गूगल को इस तरह का मानचित्र प्रकाशित करने से रोका जाए।

याचिकाकर्ता लोकेश कुमार शर्मा ने केंद्र को आदेश देने की मांग की कि गूगल को संवेदनशील स्थानों और रक्षा प्रतिष्ठानों के मानचित्र दिखाने, मुहैया कराने और उपलब्ध कराने से रोका जाए। वकील सी. मोहन राव के माध्यम से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि सरकार और इसके अधिकारी गूगल को इस तरह का मानचित्र दिखाने से रोकने में काफी लापरवाह प्रतीत होते हैं।

इसमें आरोप लगाया गया है कि प्रतिवादी संख्या दो (गूगल) ने 'गूगल अर्थ' और 'गूगल मैप' पर पठानकोट वायुसेना अड्डे और आसपास के इलाके का विस्तृत उच्च रिजॉल्यूशन वाला फोटो लगाया है।

इसमें कहा गया है कि बहरहाल 'गूगल अर्थ' और 'गूगल मैप' पर पठानकोट वायुसेना अड्डे का मानचित्र प्रदर्शित करने में कहीं से भी विरोध नहीं दिख रहा है। अपनी याचिका में शर्मा ने आरोप लगाया है कि प्रतियोगिता व मानचित्र प्रतियोगिता के बहाने आम लोगों को संवेदनशील स्थानों सहित मानचित्र और चित्रों के बारे में सूचना देने के लिए प्रेरित किया गया है।

याचिका में दावा किया गया है कि पठानकोट और वायुसेना अड्डे सहित इसके आसपास के इलाकों का मानचित्र तैयार करने वाले विशाल सैनी को 2013 में मैपाथन में नंबर 1 घोषित किया गया। प्रतिवादी संख्या दो (गूगल) हर वर्ष मैपाथन का आयोजन करता है।

पठानकोट वायुसेना अड्डे पर 2 जनवरी को हुए आतंकवादी हमले का जिक्र करते हुए वकील शर्मा ने कहा है कि गूगल को संवेदनशील स्थानों के मानचित्र और फोटो मुहैया कराने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि इससे देश की सुरक्षा प्रभावित होगी।

याचिकाकर्ता का दावा है कि गूगल अमेरिका जैसे विकसित देशों के केवल पुराने रक्षा प्रतिष्ठानों को दिखाता है और चीन के मामले में इस तरह की सभी साइटों को ढंका गया है।

शर्मा ने अपनी याचिका में कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने बढ़ते आतंकवाद को देखते हुए 2015 में गूगल द्वारा इस तरह के मानचित्र और संवेदनशील स्थानों को दिखाए जाने का गंभीर परिणाम होने की चेतावनी दी थी। (भाषा)