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सोशल मीडिया पर कश्मीरियों के सम्मान को चोट पहुंचाने वाले मैसेज से परहेज करें लोग, बोले डिफेंस एक्सपर्ट, अब दिल जीतना बड़ी चुनौती

सोशल मीडिया पर कश्मीरियों के सम्मान को चोट पहुंचाने वाले मैसेज से परहेज करें लोग, बोले डिफेंस एक्सपर्ट, अब दिल जीतना बड़ी चुनौती - Defense expert's statement on Jammu and Kashmir case
जम्मू कश्मीर में धारा 370 को कुंद करने वाले मोदी सरकार के बड़े फैसले के बाद जहां पूरे देश में एक ओर जश्न का माहौल बना हुआ है, वहीं दूसरी ओर कश्मीर में सन्नाटे के बीच शांति बनी हुई है। केंद्र सरकार के इस बड़े फैसले के बाद खुद एनएसए अजित डोभाल कश्मीरियों का विश्वास जीतने के लिए ग्राउंड जीरो पर मोर्चा संभाले हुए हैं।

बुधवार को डोभाल ने शोपियां में सड़क पर बैठकर कश्मीरियों के साथ खाना खाया, इसे उनकी मिशन कश्मीर की रणनीति में अहम कदम माना जा रहा है। घाटी में छाई खामोशी के बीच जिंदगी को फिर से पटरी पर लाने की सरकार की कोशिशों को कश्मीर मामलों के जानकार एयर मार्शल (रिटायर्ड) आदित्य विक्रम पेठिया काफी अहम बताते हैं।

वेबदुनिया से बातचीत में पेठिया कहते हैं कि उनको पूरा भरोसा है कि कश्मीर की आम जनता जो लंबे समय से पिस रही थी वह आज भी हमारे साथ है। पेठिया सरकार के इस फैसले के बाद बहुत ही महत्वपूर्ण बात कहते हैं कि कश्मीरियों का विश्वास जीतने के लिए सरकार के साथ पूरे देश के लोगों की अहम भूमिका आज हो गई है। वे कहते हैं कि आज सबसे बड़ा सवाल यह है कि कैसे कश्मीरियों का दिल जीता जा सके, उनको यह बताया जा सके कि सरकार का फैसला उनके हित में है।

वे कहते हैं कि आज जरूरत इस बात की है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से व्‍हाट्सअप, टि्वटर पर कश्मीरियों को लेकर कोई भी ऐसा मजाक, जोक या मैसेज न करें जिससे कश्मीर के स्थानीय लोगों की भावना को चोट पहुंचे। वे कहते हैं कि घाटी में आज की स्थिति को बहुत ही सावधानी से हैंडल करने की जरूरत है जिससे हम उनका विश्वास जीत सकें। वे कहते हैं कि कश्मीर में पिछले 70 सालों की परेशानी को एक रात में नहीं सुधारा जा सकता और हम सभी को सरकार और कश्मीरियों को कुछ समय देना होगा।

पेठिया का कहना है कि कश्मीर में स्थिति सामान्य होने में एक से दो साल का समय लगेगा। वे सरकार की कोशिशों को अच्छा बताते हुए कहते हैं कि कश्मीर में स्थिति सामान्य होने पर सरकार को आम कश्मीरी की जिंदगी में बदलाव और उनका विकास करने वाले फैसले लेने होंगे। वे कहते हैं कि आज भी कश्मीर में एजुकेशन एक बड़ी समस्या है, जो कहीं न कहीं अलगावादियों को मदद करती है। इसके लिए सरकार को घाटी के अंदर बड़े पैमाने पर स्कूल खोलने होंगे। 
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