नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आरोपों का सामना कर रहे भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का जोरदार बचाव करते हुए मंगलवार को विश्वास जताया कि वे बेदाग निकलेंगे, वहीं कांग्रेस ने कैबिनेट मंत्री उमा भारती के इस्तीफे की मांग की।
विशेष सीबीआई अदालत ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती को आज जमानत दे दी, जब वे अदालत के समक्ष बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में उसके समक्ष उपस्थित हुए। अदालत ने मस्जिद को गिराने की कथित साजिश को लेकर उनके खिलाफ आरोप भी तय किए।
नायडू ने कहा कि आरोपों का सामना कर रहे भाजपा नेता निर्दोष हैं और वे बेदाग निकलेंगे। नायडू ने यह भी जिक्र किया कि राजग सरकार ने भाजपा के शीर्ष नेताओं के खिलाफ मामले को वापस लेने के लिए कदम नहीं उठाया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी आडवाणी से मुलाकात की।
भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने कहा कि धरती की कोई ताकत अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण नहीं रोक सकती। उमा भारती ने अदालत में पेश होने से पहले कहा कि वह मस्जिद किसी आपराधिक षड्यंत्र के तहत नहीं गिराई गई थी, बल्कि वह एक खुला आंदोलन था। उन्होंने कहा, मैं 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में मौजूद थी जो कोई रहस्य नहीं है। इसमें करोड़ों भाजपा कार्यकर्ता, लाखों अधिकारियों और हजारों नेताओं ने भाग लिया।
उमा ने कहा, यह आपातकाल के खिलाफ आंदोलन की तरह एक खुला आंदोलन था। मुझे इसमें कोई साजिश नहीं दिखती। उधर, कांग्रेस ने कहा कि उमा भारती को हटाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कानून तथा संविधान का पालन करना चाहिए।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि आरोपियों में से एक उमा भारती कैबिनेट मंत्री हैं। आरोप तय किए जाने के बाद उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। प्रधानमंत्री को आगे आना चाहिए और कानून तथा संविधान का पालन करना चाहिए।
भाजपा नेता और मामले में आरोपी विनय कटियार ने जोर दिया कि कोई साजिश नहीं थी और एक बड़ी भीड़ ने मस्जिद गिरा दी थी। एक समय भाजपा के 'फायर ब्रांड' नेता रहे विनय कटियार ने सपा नेता मुलायम सिंह यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि अयोध्या में नब्बे के दशक में कारसेवकों पर गोलीबारी के लिए उनके खिलाफ मामला दर्ज होना चाहिए।
आरोपी राष्ट्रीय एकता के लिए नुकसानदेह और चोट पहुंचाने वाले या पूजा स्थल को नष्ट करने के आरोपों में पहले ही मुकदमे का सामना कर रहे हैं। उनके खिलाफ जानबूझकर और द्वेषपूर्ण कृत्यों में शामिल होना जिसका उद्देश्य धार्मिक भावनाओं को भड़काना, सार्वजनिक शरारत, दंगा और गैर कानूनी सभा कराना समेत अन्य आरोप हैं।
कार्यवाही में हिस्सा लेने वाले एक वकील ने कहा कि आपराधिक साजिश के आरोप बहाल हो जाने पर दोषसिद्धि की स्थिति में अधिकतम पांच साल के कारावास या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
आरोपियों के वकील ने आरोप तय किए जाने के खिलाफ दलील दी और खुद को दोषी नहीं माना। उन्होंने कहा कि मस्जिद को गिराने में उनकी कोई भूमिका नहीं है। आडवाणी और अन्य की तरफ से उपस्थित अधिवक्ता सौरभ शमशेरी ने कहा कि वे अपनी टीम के वकीलों के साथ सलाह-मशविरा करेंगे और इस बात पर फैसला करेंगे कि क्या आरोप मुक्त करने की मांग करने वाले आवेदन को खारिज करने के फैसले को चुनौती देने की आवश्यकता है अथवा नहीं।
आरोपियों को उच्चतम न्यायालय के पिछले महीने के आदेश के आलोक में आरोप तय किए जाने के लिए अदालत के समक्ष उपस्थित होने को कहा गया था। आडवाणी, जोशी और भारती के 25 और 26 मई को अदालत के समक्ष उपस्थित होने में विफल रहने पर विशेष अदालत ने कहा था कि स्थगनादेश या निजी पेशी से छूट के लिए अब और आवेदन पर विचार नहीं किया जाएगा। अदालत ने 26 मई को आज के लिए सुनवाई की तारीख निर्धारित की थी।
आडवाणी के अदालत में पहुंचने से पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां वीवीआईपी गेस्ट हाउस में उनसे मुलाकात की।
उच्चतम न्यायालय ने मस्जिद को गिराने को एक ऐसा ‘अपराध’ बताया था, जिसने देश के संविधान के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को हिला दिया था। न्यायालय ने यह बात आडवाणी और अन्य के खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोप को बहाल करने की मांग करने वाली सीबीआई की याचिका को मंजूर करने के दौरान कही थी।
हालांकि शीर्ष अदालत ने कहा था कि भाजपा नेता और राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह जब तक राज्यपाल के पद पर रहेंगे तब तक उन्हें मुकदमे से छूट है। कल्याण सिंह बाबरी मस्जिद को जब गिराया गया था, उस वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। सीबीआई ने इस मामले में 21 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे और विहिप के आचार्य गिरिराज किशोर, अशोक सिंघल, परमहंस रामचंद्र दास और महंत अवैद्यनाथ समेत कई की मौत हो चुकी है।
भारती के खिलाफ बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लखनऊ की एक विशेष अदालत ने आपराधिक साजिश का आरोप तय किया है। कांग्रेस ने उम्मीद जताई कि ढांचे को गिराए जाने के 25 वर्षों बाद न्याय होगा और दोषी को देश के कानून के अनुसार दंडित किया जाएगा।
कांग्रेस के संचार विभाग के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा, आरोपियों में से एक उमा भारती केंद्रीय कैबिनेट मंत्री हैं। आरोप पत्र दायर किए जाने के बाद उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। प्रधानमंत्री को अवश्य आगे आना चाहिए और विधि के शासन और संविधान को कायम करना चाहिए। (भाषा)