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Last Updated : बुधवार, 30 अक्टूबर 2019 (18:47 IST)

अयोध्या में मूर्तियां मिलना एक योजनाबद्ध आक्रमण

राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्षकार ने रखी अपनी दलील

अयोध्या में मूर्तियां मिलना एक योजनाबद्ध आक्रमण - Ayodhya case hearing in Supreme court
नई दिल्ली। अयोध्या के राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद जमीन विवाद की उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को 18वें दिन की हुई सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकार ने कहा कि मस्जिद के भीतर 1949 में मूर्तियों का प्रकट होना कोई दैवीय चमत्कार नहीं, बल्कि वह एक योजनाबद्ध आक्रमण था। इससे पहले हिन्दू पक्ष ने अपनी दलीलें रखते हुए स्थल पर अपना दावा जताया था।
 
सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एसए बोबड़े, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण तथा न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नज़ीर की संविधान पीठ के समक्ष अपनी दलील दी कि विवादित जमीन के ढांचे के मेहराब के अंदर के शिलालेख पर 'अल्लाह' शब्द मिला है। वह साबित करने की कोशिश कर रहे थे कि विवादित जगह पर मंदिर नहीं बल्कि मस्जिद थी।
दैवीय चमत्कार नहीं : उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद में भगवान रामलला की मूर्ति स्थापित करना छल से हमला करना है। उन्‍होंने कहा कि मस्जिद के भीतर 1949 में मूर्तियों का प्रकट होना कोई दैवीय चमत्कार नहीं बल्कि वह एक नियोजित हमला था। धवन ने कहा कि अयोध्या विवाद पर विराम लगना चाहिए। अब राम के नाम पर फिर कोई रथयात्रा नहीं निकलनी चाहिए।
 
धवन ने कहा कि देश के आजाद होने की तारीख और संविधान की स्थापना के बाद किसी धार्मिक स्थल का परिवर्तन नहीं किया जा सकता। महज स्वयंभू होने के आधार पर यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि अमुक स्थान किसी का है।
 
उन्होंने कहा कि निर्मोही अखाड़ा ने गलत तरीके से 1934 में अवैध कब्जा किया। वक्फ निरीक्षक की ओर से इस पर रिपोर्ट भी उस दौरान दी गई।
 
होती थी जुमे की नमाज : उन्होंने कहा कि मस्जिद का द्वार बंद रहता था और चाबी मुसलमानों के पास रहती थी। शुक्रवार को 2-3 घंटे के लिए खोला जाता था और साफ-सफाई के बाद जुमे की नमाज पढ़ी जाती थी। सभी दस्तावेज और गवाहों के बयान से साबित है कि मुस्लिम, मस्जिद के अंदर के हिस्से में नमाज पढ़ते थे।
 
उन्होंने कहा कि हमसे कहा जाता रहा कि आपको वैकल्पिक जगह दी जाएगी। प्रस्ताव देने वाले जानते थे कि हमारा दावा मजबूत है। ढांचे के पास पक्का पथ परिक्रमा के नाम से जाना जाता है। परिक्रमा पूजा का एक तरीका है, लेकिन क्या परिक्रमा से जमीन पर उनका अधिकार हो जाएगा?
 
उन्होंने दलील दी कि दावा किया जा रहा है कि वहीं पर भगवान राम के जन्मस्थान की जगह है, उसके बाद कहते हैं कि वहां पर भव्य मंदिर था और उनको पूरा स्थान चाहिए। अगर उनके स्‍वयंभू की दलील को माना जाता है तो उनको पूरी ज़मीन मिल जाएगी, मुस्लिमों  को कुछ भी नही मिलेगा, जबकि मुस्लिम भी उस जमीन पर अपना दावा कर रहे हैं। सुनवाई आगे भी जारी रहेगी।