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Last Updated : रविवार, 16 अगस्त 2020 (18:14 IST)

जम्मू कश्मीर में टनों के हिसाब से हथियार बरामद

जम्मू कश्मीर में टनों के हिसाब से हथियार बरामद - Arms recovered according to tons in Jammu and Kashmir
जम्मू। बाप रे! अगर कोई आतंकवाद के दौरान बरामद किए जाने वाले हथियारों और गोला-बारूद के आधिकारिक आंकड़ों के प्रति सुने तो यह शब्द अवश्य उसके मुंह से निकलेंगे। हथियार भी इतने कि सेना की एक कोर तैयार करने के उपरांत भी हथियार बच जाएं और अगर टनों के हिसाब से देखा जाए तो आतंकवादी अभी तक 3000 टन के करीब गोला-बारूद कश्मीर में इस्तेमाल कर चुके हैं और इतना ही अभी उनके भंडारों में है।

बरामद होने वाले हथियारों की संख्या बीस या सौ के हिसाब से नहीं, बल्कि लाखों के हिसाब से है। तभी तो बरामद होने वाले सामान में जहां एके क्रम की रायफलों के 30 लाख राउंड हैं तो पिस्तौलों के राउंडों की संख्या 18 लाख है, जबकि यूनिवर्सल मशीनगनों की गोलियों की संख्या 21 लाख है।

हालांकि बरामद बंदूकों की संख्या हजारों में अवश्य है। बकौल सरकारी रिकॉर्ड के 50 हजार एके क्रम की राइफलें आतंकवादियों से इन 32 सालों में बरामद हुई हैं 19561 मैगजीनों के साथ। इसी अवधि में 18000 पिस्तौलें, 5185 यूनिवर्सल मशीनगनें, 1175 एलएमजी और 2123 स्निपर राइफलें बरामद की गई हैं हजारों मैगजीनों के साथ।

यह तो सिर्फ बंदूकों का हिसाब था। बरामद गोला-बारूद, रॉकेटों आदि के आंकड़े भी कम चौंकाने वाले नहीं हैं। अब तो स्थिति यह है कि इनकी गिनती संख्या में नहीं बल्कि टनों के हिसाब से की जाने लगी है। इसी पर बस नहीं है। अब तो सेना के लिए परेशानी यह हो गई है कि वह इन हथियारों को कहां पर रखे क्योंकि अधिकतर बम, रॉकेट तथा हथगोले जीवित अवस्था में हैं जो किसी भी समय जानलेवा साबित हो सकते हैं। वैसे ये सब अप्रत्यक्ष युद्ध को जीतने की इच्छा से पाकिस्तान द्वारा इस ओर धकेला गया था।

और सबसे रोचक बात इस अप्रत्यक्ष युद्ध की यह है कि 1989 से आरंभ हुए इस अप्रत्यक्ष युद्ध को मनोवैज्ञानिक रूप से भी जीतने का प्रयास भी किया गया और उस मकसद के लिए कई टन छपी हुई सामग्री भी इस ओर धकेली गई जिन्हें सुरक्षाबल बरामद करने में सफल हुए हैं।

ऐसा भी नहीं है कि अब हथियार तथा गोला-बारूद लाने के प्रयास रूक गए हों बल्कि आतंकवादियों को जो हथियारों आदि की भारी कमी आ रही है उससे निपटने के लिए पाकिस्तान द्वारा तस्करी के अपने प्रयास और तेज किए गए हैं। वैसे आतंकवादियों के पास 2000 टन के करीब हथियार तथा गोला-बारूद अभी भी सुरक्षित भंडारों में है परंतु अधिक सतर्कता तथा चौकसी के कारण वे उन्हें वहां से निकाल पाने को अपने आप को अक्षम पा रहे हैं।