गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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मेरा ब्लॉग : मनु-मम्मा के इम्तेहान.....!

मेरा ब्लॉग : मनु-मम्मा के इम्तेहान.....! - webdunia blog
“मम्मा, गुड नाईट! कल आराम से उठना, आप भी। छुट्टी है।”
“हां, इस बार बसंत पंचमी की छुट्टी कैसे दे दी?”
“अरे नहीं, प्रिप्रेशन लीव है। मैंने आपको टाइम टेबल दिखाया था न...?” मनु थोड़ा हकबकाया। 
“नहीं.....! हे भगवान...” मम्मा पलंग पर उठ बैठी है, “कब से है एग्जाम? पहला पेपर कौन सा है? कैसे करते हो बेटा! लाओ जल्दी से टाइम टेबल.....।”
“मम्मा...मम्मा! भूल गया यार..। 11 या 12 से है, पहला पेपर इंग्लिश है... शायद। कल देख लेना टाइम टेबल, रिलैक्स।” मनु सोने के लिए जा चुका है।
“उफ़....! ये लड़का देखो। टाइम टेबल बताना तो दूर तारीख तक याद नहीं है।कैसे करेगा?” मम्मा का भुनभुनाना शुरू हो चुका है। 

 
“तुम बेकार टेंशन लेती हो। बच्चे सब मैनेज कर लेते हैं। वैसे भी अब समझदार हो रहा है, खुद पढ़ भी लेता है आजकल।”
(‘ऊँ..हूँ... खुद तो कभी दो घड़ी बैठ कर उसकी पढाई देखेंगे नहीं। ऊपर से मुझे ही समझाइश। बाप मस्त, बेटा अलमस्त|) मम्मा की नींद उड़ चुकी है। 
पिछले साल की ही तो बात हैं। सोशल का पूरा चेप्टर करना ही भूल गया था। परीक्षा के एक दिन पहले आखिर मम्मा ने नोट्स बना कर दिए।
वैसे परीक्षा के समय की मनु की कीर्ति-गाथा अनंत हैं। 
कक्षा तीसरी। मम्मा मनु को ‘हमारी राजधानी दिल्ली’ निबंध याद करा रही हैं। मात्राओं की गलती न हो, इसके लिए 10-15 बार लिखवा कर देख लिया हैं। पेपर के बाद मनु का मम्मा को कॉलेज में फ़ोन... “मम्मा मैंने निबंध बहुत अच्छा लिखा।”  उत्साह छलक पड़ रहा हैं।
 “गुड ! राजधानी दिल्ली आया था न।”
“हां, आया था न.... ” मम्मा ने राहत की सांस ली, पर सुकून की उम्र पल भर से ज्यादा नहीं थी। 
“...पर मैंने सर्कस लिखा”
“क्यों .........?”   मम्मा शायद चीख ही पड़ी थी।  छात्रों के चेहरे केबिन में झांकते नज़र आए थे। 
“ दिल्ली तो कितनी बार लिखा था। बोर हो गया था।”
मम्मा की आवाज गले में अटक गई और फोन काट दिया गया। 
मम्मा ने उसी दिन समझ लिया था की मनु के इम्तेहान, मनु के लिए नहीं मम्मा के लिए इम्तेहान की घड़ी है। 
कोई किताब या कॉपी ऐन परीक्षा के वक्त गुम जाना, मनु की फितरत रही या किस्मत पता नहीं, लेकिन मम्मा दूसरे बच्चों की मम्मियों से कॉपी किताब मांगने जाने में संकोच से गड़ जाती। ( बाद में मनु अपने जनसंपर्क की बदौलत यह व्यवस्था खुद करना सीख गया।)
 
कक्षा पांचवी। तीन दिन का गैप। मम्मा निश्चिन्त हैं। साइंस का कोर्स दो दिन में पूरा होने को है। एक दिन और है। रिविजन हो जाएगा। शाम को अलीशा की मम्मी से बातों-बातों में पता चलता हैं कि अगला पेपर साइंस नहीं संस्कृत हैं। मनु ने टाईमटेबल ही गलत उतारा है। 
अब टाइम टेबल किसी बच्चे से क्रॉस चेक करना एक नियम बन गया है। 
“मम्मा सब हो गया है।”  यह मनु का आदर्श वाक्य है। “मैं सो जाऊं....” 
“बेटू, सुबह 8 बजे उठे हो। पढाई के लिए छुट्टियां मिली हैं”
“मम्मा, मुझे पता नहीं क्यों, बहुत नींद आ रही है”
“एग्जाम में तो तुम्हें हर वक्त नींद ही आती रहती है”
“हर वक्त कहां? बस सुबह, दोपहर, शाम... | रात को तो सो ही जाता हूं”
“फिर जोक ! बस यहीं दिमाग चलता है। ”
वैसे परीक्षा में मनु का रचनात्मक कौशल पढ़ाई के अलावा हर क्षेत्र में चरम पर होता है। 
क्राफ्ट का डब्बा, जो छुट्टियों में उपेक्षित सा धूल खाता पड़ा रहता हैं, परीक्षा में टेबल पर सजा है। 
फेविकोल, चमकी, कलर्स मिलकर कभी किसी रद्दी कॉपी, तो कभी पुराने बॉक्स की काया पलट करते हैं। 
“मम्मा ! जरा सुनो ! दो लाइन लिखी हैं” ( लेखन... अनुवांशिक ‘समस्या’) 
“मनु, पढ़ाई के टाइम पर ये कर रहे हो ?”
“पढ़ाई के बाद लिखी। एग्जाम में ही सबसे अच्छा सूझता है”
हतप्रभ-सी मम्मा कुछ कहना चाहती हैं पर खुद की परीक्षाओं के दिनों में रंगी गई, ड्राइंग की कापियां और टूटी-फूटी कविताएं याद आ जाती हैं।
ऊपर से रिश्तेदारों और दोस्तों का भ्रम,  “मनु का क्या हैं, अच्छे नंबर लाता हैं, पढ़ता ही होगा। ”
अब कैसे बताएं? आठवीं तक तो चल गया, अब नवीं है। 
“मनु टाइम टेबल दिखाना, हर्ष से क्रॉस चेक कर लेते हैं...
“मम्मा ...... ! हमने पूरे ग्रुप में क्रॉस चेक कर लिया हैं, और सिलेबस भी। हां, मेरे सोशल के नोट्स पवन के पास हैं, मैंने उसकी इंग्लिश रीफ्रेशर लाई हैं..दो दिन में वापस करनी है” 
“अरे वाह...!” 
 आज मम्मा की छुट्टी है।जाती फरवरी की खुशगवार सुबह...सर्दियां विदा होने को है पर हवा में अब भी हल्की ठंडक है। 
मम्मा को याद आया। पहले पतझड़ और परीक्षा का कैसा अद्भुत रिश्ता था| दस्तक देती गर्मी और चरमराते पीले पत्ते यानि परीक्षा का मौसम ! अब तो सारे मौसम ही गड्डमड्ड हो गए हैं| कभी भी सर्दी, कभी भी बारिश... और ये बेचारे बच्चे! जब वसंत छाया है, तो प्रकृति के आनंद छोड़ परीक्षा की तैयारी में जुटे हैं |
आश्चर्य... ! ऐतिहासिक क्षण...! पूरे दो घंटे सतत पढ़कर मनु नीचे आया है... मनु का यह रूप मम्मा के लिए भी अनोखा है। मम्मा के मन में ढेर सारा दुलार उमड़ आया है। (तो मम्मा क्या चाहती है, मनु खूब पढ़ें या कम पढ़ें?)
“हो गया, बेटा?”
“ऊं, हूं ! अभी सेम्पल पेपर साल्व करने हैं। ”
“थक गया क्या, राजा बेटा?” मम्मा ने प्यार से सिर सहलाया.. 
“व्हाट्सएप्प पर मजेदार जोक्स आए हैं, पढ़े ?”
“हां, हां  ... चलो| ”
मनु हंस हंस कर लोटपोट हो रहा है....
“मेरा बच्चा! बस, ऐसे ही हंसते- खेलते जिन्दगी का हर इम्तेहान पार कर ले ” 
मम्मा तो बस इतना ही चाहती है..... जो हर मम्मा चाहती है....