शुक्रवार, 29 नवंबर 2024
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Yug purush ashram: इंदौर में बेरहमी के इस नए कारनामे से तो ईश्‍वर भी रो दिया होगा

yug purush asharm
ऐसे बच्‍चे जो अपनी थाली से रोटी का एक निवाला नहीं उठा सकते. उठा लिया तो उसे मुंह तक पहुंचाते देख इस सृष्‍टि को रचने वाले ईश्‍वर को भी अपनी बेबसी पर शर्म आ जाए. जो अपने बूते हिल नहीं सकते. बोल नहीं सकते. एक एक सांस लेना जिनके लिए जिंदगी का सबसे बड़ा संघर्ष हो. एक बार देख तो लीजिए क्‍या होती है मानसिक और शारीरिक निशक्‍तों की जिंदगी. देखकर हमें अपनी जिंदगी स्‍वर्ग नजर आने लगेगी. यकीन हो जाएगा कि नर्क भी यहीं है जिसे ये बच्‍चे तमाम आश्रमों, शेल्‍टर होम में भोग रहे हैं.

ऐसे 6 बच्‍चों की मौत का सच सरकारी फाइलों में छिपाकर इंदौर प्रशासन और कौनसा पाप अपने माथे पर चढ़ाना चाहता है? क्‍या कोई गंगा ऐसी बची है, जहां इंदौर प्रशासन के ये अधिकारी अपना पाप धो सकेंगे? क्‍या कोई भभूत है उनके पास कि माथे पर लगाकर अपनी मुक्‍ति तय कर लेंगे?

आश्रम का अर्थ होता है साधु-संतों का पवित्र स्‍थान. एक ऐसा तपोवन जहां तप की आंच से आत्‍मा एक ऐसी करुणा में तब्‍दील हो जाती है जो सभी तरह के जीवमात्र के संरक्षण के लिए तडप उठती है— लेकिन सरकारी और ट्रस्‍ट के नाम पर चलने वाली इस करप्ट मशीनरी के शैतानों की भक्षक मानसिकता ने इस आश्रम को श्‍मशान घाट में तब्‍दील कर दिया. जिसने अब तक छह ऐसे बच्‍चों की जिंदगी को लील लिया, जो चांद पर अपनी उपस्‍थिति दर्ज कराने वाली इस दुनिया में रेंग रेंगकर जैसे-तैसे अपना वक्‍त काट रहे थे. डिजिटल दुनिया से संचालित होने वाला सक्षम इंसानों का एक पूरा आधुनिक सिस्‍टम असक्षम बच्‍चों की जिंदगी बचाना तो दूर इन मौतों का सच तक सामने नहीं ला पा रहा है. स्‍वास्‍थ्‍य और शिक्षा माफिया तो लूट ही रहे हैं, कम से कम इन मासूमों को तो बख्‍श देते जो आप ही पर निर्भर थे.
yug purush dham ashram
हैरत की बात है इंदौर के युगपुरुष धाम आश्रम में छह बच्‍चों की संदिग्‍ध मौतों पर राजनीतिक आकाओं से लेकर धार्मिक मठाधीशों तक किसी की आंखें नम नहीं हुईं. सरकारी अफसर खानापूर्ति कर अपने दफ्तर की कुर्सियों पर पसरते नजर आ रहे हैं. देश के सबसे स्‍वच्‍छ शहर में छह (संभवत: इससे ज्‍यादा) बच्‍चे गंदे पानी के इंफेक्‍शन से मर गए. जिन्‍हें बगैर फूल और धूप-बत्‍ती के गुमनामों की तरह रात के अंधेरे में दफना दिया गया और किसी को शर्म तक नहीं आई— किसी की आत्‍मा तक नहीं सिहरी. सरकारी और राजनीतिक मशीनरी के करप्‍शन के इस नए प्रयोग से ईश्‍वर भी रो तो दिया ही होगा.