शुक्रवार, 29 मार्च 2024
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Seasonal Patriotism: क्‍या भारत में देशभक्‍त‍ि Seasonal हो गई है?

Seasonal Patriotism: क्‍या भारत में देशभक्‍त‍ि Seasonal हो गई है? - Seasonal Patriotism
एक तारीख आएगी और पूरा देश एक खास तरह के उन्‍माद में डूब जाएगा। हाथों में तिरंगा होगा, जुबान पर देशभक्‍ति‍ गीत और एक उत्‍सव का खुमार। सुबह से शाम तक यही सब नजर आएगा। शाम ढलने से पहले यह खुमार उतर जाएगा। इसके बाद अगला दिन रोज की तरह सामान्‍य होगा।

15 अगस्‍त हो या 26 जनवरी। इन दो दिनों में पूरे देश में यही देशभक्‍त‍ि का ऐसा ही नजारा नजर आता है। इसके बाद देशभक्‍त‍ि का यह भाव काफुर हो जाता है। क्‍या यह एक तरह की ‘सीजनल देशभक्‍ति’ नहीं है। जिसका नशा बस एक दिन तारी रहता है और फि‍र हवा हो जाता है।

यह सब देशभक्‍त‍ि का एक महज एक सामुहिक प्रदर्शन भर नजर आता है।

दरअसल, हमें बस एक दिन की देशभक्‍त‍ि दिखाने की आदत हो गई है और यही आदत हम अपनी आने वाली पीढ़ि‍यों को भी ट्रांसफर कर रहे हैं।

शायद कहीं न कहीं हम देशभक्‍ति की असल परि‍भाषा भूल चुके हैं। हम सिर्फ देशभक्‍ति का उत्‍सव मनाते हैं, ठीक उसी तरह जैसे दूसरे त्‍योहार सेलि‍ब्रेट करते हैं। अगर एक नजरिए से देखा जाए तो असल देशभक्‍त तो देश की सीमाओं पर दुश्‍मनों से लडने वाले हमारे जवान होते हैं, वो अपनी शहादत देकर भी हमें अपने घरों में सुरक्षि‍त होने का अहसास कराते हैं। तो फि‍र सिविलियन्‍स यानी आम नागरिकों के लिए देशभक्‍ति‍ की परि‍भाषा क्‍या होती है। क्‍या सफेद कुर्ता-पजामा पहनकर और हाथ में तिरंगा लेकर सड़क पर निकल जाने को देशभक्‍ति कहा जाएगा।

अगर सीमा पर जवान दुश्‍मनों से लड़ रहे हैं तो फि‍र आम लोगों के लिए देशभक्‍त होने या अपनी देशभक्‍ति दिखाने के लिए क्‍या 15 अगस्‍त ही है और वो भी किसी पार्टी के सेलि‍ब्रेशन की तरह।

क्‍या आम नागरिक का अपने देश के प्रति‍ इतना ही कर्तव्‍य है कि वो एक दिन की सीजनल देशभक्‍ति का दिखावा कर दे और बाकी दिनों में इसकी धज्‍ज‍ियां उड़ाता रहे।

एक आम नागरिक के पास सीजनल देशभक्‍त‍ि के अलावा बहुत से विकल्‍प हैं, जहां वो अपनी सच्‍ची देशभक्‍ति दिखा सकता है। सडक पर ट्रैफि‍क सिग्‍नल का पालन कर सकता है, महिलाओं के साथ छेड़खानी रोक सकता है, घरेलू हिंसा को रोक सकता है, समय पर टैक्‍स जमा कर सकता है, अपने शहर को साफ रखने में मदद कर सकता है, सड़क पर थूकने से बाज आ सकता है, अपने स्‍तर पर लाचारों, गरीबों की मदद कर सकता है, सरकार के बनाए नियमों का पालन कर सकता है, घूस लेने और देने से बच सकता है।

ऐसे ही तमाम तरह के काम और कर्तव्‍य हैं जो एक आम नागरिक अपनी तरफ से निभा सकता है और देशभक्‍ति का परिचय दे सकता है। लेकिन उसके लिए उसे सीजनल देशभक्‍त‍ि की धारणा से बाहर निकलना होगा। उसे अपने कर्तव्‍यों को समझकर पूरी ईमानदारी से अपनी देशभक्‍त‍ि निभाना होगी, न कि एक दिन के प्रदर्शन को देशभक्‍त‍ि समझना होगा।

(इस लेख में व्‍यक्‍त विचार लेखक की नि‍जी अुनुभति है, इसका वेबदुनिया से कोई संबंध नहीं है।)