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उनका कुर्ता खींचकर नरोत्तम मिश्रा ने 'सरकार' के खिलाफ अपने तेवर जता दिए

राजवाड़ा 2 रेसीडेंसी

उनका कुर्ता खींचकर नरोत्तम मिश्रा ने 'सरकार' के खिलाफ अपने तेवर जता दिए - Narottam Mishra made his stand against 'Government' realized
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भाषण देने खड़े हों और उनके सहयोगी बनने की भूमिका निभाने को तैयार मंत्री अरविंद भदौरिया का कुर्ता खींचकर गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने 'सरकार' के खिलाफ अपने तेवरों का अहसास करवा दिया है।

मध्यप्रदेश की सत्ता के नंबर एक और दो के बीच जिस तरह इन दिनों खींचतान चल रही है, वह पार्टी के लिए आने वाले समय में एक बड़ी परेशानी का कारण बन सकती है। वैसे कहा यह जा रहा है कि अपना हक मारे जाने से क्षुब्ध डॉ. मिश्रा अब और इंतजार करने की स्थिति में नहीं हैं।

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संघ से भाजपा में आए पार्टी के सहसंगठन महामंत्री शिवप्रकाश के दबदबे का अहसास इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश में शिवप्रकाश के परिवार में हुए एक विवाह में केंद्र और राज्य की राजनीति करने वाले मध्यप्रदेश के सारे दिग्गज नेता हाजिरी लगाने पहुंचे। इनमें से कई तो वहां कार्यकर्ता की भूमिका में नजर आए।

शिवप्रकाश को जब भोपाल में बैठाया गया था, तब शिवराज विरोधी लॉबी बहुत खुश हुई थी और तरह-तरह की बातें होने लगी थी। अब यह लॉबी दुखी है क्योंकि जैसा सोचा था, वैसा कुछ हो नहीं पाया और हमेशा की तरह शिवराज अपने चित-परिचित अंदाज में ही हैं। हां विरोधी जरूर निराश हैं, क्योंकि उन्हें कहीं से मदद नहीं मिल रही है।

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मध्यप्रदेश से राज्यसभा के लिए वैसे सबसे पुख्ता दावा तो विवेक तन्खा का ही माना जा रहा है, लेकिन न जाने क्यों अब यह चर्चा चल पड़ी है कि तन्खा को छत्तीसगढ़ से राज्यसभा में भेजकर मध्यप्रदेश से कांग्रेस के दिग्गज नेता और इन दिनों जी-23 की अगुवाई कर रहे गुलाम नबी आजाद को मौका दिया जा सकता है। अंतिम फैसला तो प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ के परामर्श से कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व लेगा, लेकिन आजाद के नाम की चर्चा में कुछ दम तो दिख रहा है।

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प्रशांत किशोर मध्यप्रदेश में कांग्रेस के संकटमोचक बन पाते हैं या नहीं यह तो 2023 के चुनाव नतीजों से ही तय होगा, लेकिन अब यह जरूर चर्चा में है कि कमलनाथ के साथ पीके का तालमेल कितना जम पाएगा। कमलनाथ बहुत प्रोफेशनल हैं और काम करने की उनकी अपनी एक स्टाइल है। पीके जहां भी काम हाथ में लेते हैं, वहां अपना अपरहैंड रखते हैं। मध्यप्रदेश में उनका अपर हैंड रहता है या कमलनाथ का, यह तो समय ही बताएगा। वैसे कमलनाथ के खास सिपाहसालार यह जरूर कहने लगे हैं कि साहब के सामने टिकना कोई आसान काम नहीं।

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'फ्यूज बल्ब' यह शब्द इन दिनों कांग्रेस में बड़ा चर्चा में है। मध्यप्रदेश में 2023 की तैयारी में लगी कांग्रेस के मैदानी कार्यकर्ता अब पार्टी के सुप्रीमो कमलनाथ से खुलकर यह कहने लगे हैं कि आप फ्यूज बल्ब को हटा दीजिए, यही फ्यूज बल्ब आपके लिए परेशानी का कारण बन रहे हैं।

कमलनाथ सार्वजनिक तौर पर तो कुछ कहने से बचते हैं, लेकिन जब भी अपने पंच प्यारों के बीच बैठते हैं तो लोगों से मिले फीडबैक को शेयर करते हुए कहते हैं कि इन फ्यूज बल्बों से मुक्ति पाना कोई आसान काम नहीं। इस बात को विस्तार से समझना हो तो कमलनाथ की पार्टी के दिग्गज नेताओं के साथ पिछले दिनों हुई बैठक पर गौर कर लीजिए।

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इंदौर के पूर्व कलेक्टर पी. नरहरि भी अब लेखक भी हो गए हैं। नरहरि ने इंदौर की स्वच्छता की कहानी बयां करते हुए स्वच्छ इंदौर नाम से एक पुस्तक लिखी है।

इस पुस्तक के बारे में घोषणा खुद नरहरि ने सिविल सेवा दिवस 2022 के दिन की और कहा कि मेरी नई पुस्तक स्वच्छ इंदौर के आगमन की घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है। नरहरि की यह पुस्तक बताएगी कि कैसे इंदौर लगातार पांचवीं बार देश का सबसे स्वच्छ शहर बना है। इस पुस्तक की प्रस्तावना ख्यात क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने लिखी है। वैसे अब 'सरकार' से भी उनकी पटरी बैठने लगी है। बस 'बड़े साहब' की नजरें इनायत होना बाकी है।

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कभी-कभी संकट की स्थिति में पुराने संबंध बहुत काम आते हैं। कुछ ऐसा ही फायदा दंगाग्रस्त खरगोन में इंदौर रेंज के आईजी राकेश गुप्ता को मिला। गुप्ता खरगोन में 14 साल पहले एसपी रहे हैं। खरगोन में दंगे के बाद आईजी ने कमिश्नर पवन शर्मा के साथ वहां मोर्चा संभाल लिया था। चूंकि एसपी को पैर में गोली लगी थी, इसलिए वे मैदान में नहीं आ सकते थे, इसलिए गुप्ता वहां लगभग एसपी की भूमिका में ही थे। बिगड़ते हालात को संभालने में उन्होंने अपने पुराने संपर्कों का पूरा उपयोग किया और इन्हीं से दिन-ब-दिन मिला फीडबैक बहुत मददगार साबित हुआ।

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चलते-चलते
नौकरशाहों के बेटे-बेटी इन दिनों केंद्रीय या राज्यसेवाओं में जाने के बजाय विधि व्यवसाय में आना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। इंदौर की ही बात करें तो चाहे वह वाणिज्यिक कर आयुक्त रहे राघवेंद्र सिंह के पुत्र हो या अतिरिक्त पुलिस आयुक्त मनीष कपूरिया की बेटी या फिर कलेक्टर मनीष सिंह के पुत्र। सबने इसी ओर रुख किया है।
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पुछल्ला 
कांग्रेस विधायक डॉ. हीरा अलावा की शादी में सोनिया गांधी तो आ सकती हैं लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि साल भर पहले तक अलावा के मेंटर रहे डॉक्टर आनंद राय तक शादी का निमंत्रण पहुंचा भी है या नहीं।
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स्व. उर्मिला तिवारी की स्मृति में स्थापित प्रतिष्ठित 'सप्तपर्णी सम्मान' संदीप राशिनकर को