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Motivational Story : फ्री का माल भी लोग समझते हैं खुद का

Motivational Story : फ्री का माल भी लोग समझते हैं खुद का - Motivational Story
यह कहानी एक अमीर और भिखारी की है। अपनी कार से आते जाते अमीर आदमी रोज एक भिखारी को भिख मांगते हुए देखता था। एक दिन अमीर आदमी को उस भिखारी पर दया आ गई।
 
 
अमीर आदमी ने उस भिखारी को बुलाया और कहा- तुम ये भिख मांगना छोड़ों। तुम मेरे दफ्तर आ जाया करो। मैं हर महीने तुम्‍हें सौ डॉलर दे दिया करूंगा। सौ डॉलर मैं तो तुम्हारा रहना खाना अच्‍छे से हो जाएगा। यह सुनकर भिखारी को विश्वास नहीं हुआ।
 
भिखारी उस अमीर आदमी के दफ्तर पहुंचा तो सच में ही उसे सौ डॉलर मिल गए। फिर वह हर पहली तारीख को जाता और सौ डॉलर ऐसे ले जाता जैसे वह यहां पर काम करता हो। कोई दस साल तक ऐसा चलता रहा।
 
फिर एक दिन जब वह भिखारी आया तो दफ्तर के क्‍लर्क ने कहा- इस महीने से तुम्‍हें पचास डॉलर ही मिलेंगे। भीखारी ने पूछा- ऐसा क्‍यों, क्‍या तुम्‍हारी तनख्‍वाह में भी कुछ कमी हुई है? क्लर्क ने कहा- नहीं। तब भिखारी ने गुस्से से कहा- तो ऐसा हमारे साथ ही क्‍यों हो रहा है।
 
क्‍लर्क ने कहा- मालिक की लड़की की शादी है। इसलिए उन्‍होंने सभी के दान को आधा कर दिया है। वह भिखारी एकदम आग बबूला हो गया। उसने कहा- बुलाओ मालिक को, मैं बात करना चाहता हूं। मेरे पैसे को काटकर अपनी बेटी की शादी में लगाने वाला वह कौन होता है। 
 
वह अमीर आदमी कोई और नहीं रथचाइल्ड थे। रथचाइल्ड ने अपनी आत्‍मकथा में लिखा है कि मैं गया और मुझे बड़ी हंसी आई, लेकिन मुझे एक बात समझ में आ गई कि यही तो हम परमात्मा के साथ करते हैं।
 
इस कहानी से में यह शिक्षा मिलती है कि व्यक्ति मुफ्त की वस्तु या धन पर भी अपना अधिकार जताने लगता है जबकि उसे तो कृतज्ञ होना चाहिए कि भगवान ने मुझे यह दिया या अब तक इतना दिया। कोई भी व्यक्ति यह नहीं सोचता है कि मुझ अब तक क्या क्या मिला और मैं कितना खुश रहा, सभी यह सोचते हैं कि मुझे अब तक क्या क्या नहीं मिला और मैं जीवन में कितना दु:खी रहा।
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