शुक्रवार, 29 मार्च 2024
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मां, एक खत तुमको लिखा है, मदर्स डे पर पढ़ लेना प्लीज

मां, एक खत तुमको लिखा है, मदर्स डे पर पढ़ लेना प्लीज - Mothers Day 2019 A letter to Mother
दुनिया की सारी मां, 
मेरा विनम्र नमन स्वीकारें, 
 
आज मदर्स डे यानी मातृ दिवस है। यह दिन 'मात्र' दिवस बन कर ना रह जाए, इसलिए शब्दों के गंधरहित फूल और भावनाओं के छलछलाते अर्घ्य को लेकर आपके समक्ष उपस्थित हूं। इस एक खत, पाती, चिट्ठी, लेटर को आप अपनी 'कृतज्ञ' से लेकर मेरी तरह 'कृतघ्न' संतानों का कटघरा मान सकतीं हैं। 
 
आज इस पाती में, मैं आपकी संतानों की तरफ से उन सारे गुनाहों को कबूलना चाहती हूं जो जान-अनजाने हमने आपके प्रति किए हैं। करते रहें हैं। करते जा रहें हैं। शायद आगे भी करते रहेंगे। मुझे नहीं लगता कि हम कभी सुधर पाएंगे, या सुधर सकेंगे। खासकर जब मामला आपका या आपसे जुड़ा हो।
 
 
कारण बताने की आवश्यकता नहीं फिर भी कहूंगी कि ऐसा इसलिए है क्योंकि आप हमारे दिल के सबसे करीब होतीं है। इस गहराई का अंदाजा इस बात से लगा सकतीं है कि यह बात हम कभी जुबान पर नहीं ला पाते, और जो बात जुबान पर नहीं आ पाती वही सबसे सच्ची होती है। तो यह हुआ पहला अपराध- हम कभी नहीं कहते कि आप हमारे लिए कितनी स्पेशल है, जबकि सच यही है। 
 
अब जब बात अपराध गिनाने की चल ही पड़ी है तो काहे का आलेख और काहे की पाती। हम सीधे-सीधे हिसाब कर लेते हैं। आपके प्रति हमारा दूसरा गुनाह होता है कि हम उस वक्त कभी फ्री नहीं होते जब आपको हमसे कुछ कहना होता है। 
 
हमें हमेशा लगता है कि आपसे तो हम बाद में भी बात कर लेंगे (यह बात और है कि वो 'बाद' कभी नहीं आता) या फिर मां की बातें हमेशा इतनी एक-सी होती है कि हमें लगभग रट चुकी होती है। 
 
मसलन,कुछ मिली-जुली बानगी देखिए, 
 
गर्मियों में प्याज जेब में रखना, 
कैरी का पना पीना, 
लू से बचने के लिए गुलाब जल मिलाकर रूई के फाहे कान में लगाना, 
भूखे मत रहना, 
शाम को जल्दी घर आ जाना, 
गाड़ी धीरे चलाना, 
दोस्तों के साथ कहीं बिना बताएं मत जाना, 
'ऐसी-वैसी' आदत मत डालना,
दवाई समय पर लेना, 
तबियत का ख्याल रखना, 
तुम ठीक तो हो ना, 
आज परेशान क्यों लग रहे हो, 
थके हुए क्यों हो?
कहां गए थे, 
कितनी बजे आओगे, 
किसके साथ जा रहे हो, 
सबका फोन नंबर देकर जाओ, 
थोड़ा पढ़ भी लिया करों, 
ट्यूशन पर देर नहीं हो रही, 
टेप धीमे चलाया करो, 
मोबाइल को चुल्हे में डाल दूंगी, 
रात को इसे बंद क्यों नहीं करते, 
दिन भर व्हॉट्सएप,एंग्री बर्ड, यूट्यूब 
24 घंटे लैपटॉप... 
ये क्या लगा रखा है रूम में, 
कपड़े धोने में क्यों नहीं देते, 
कितना गंदा वॉलपेपर है डिलीट करो इसे, 
जिंस फट गई है अब तो फेंक दो, 
बाल कटवा लेना कल, 
दाढ़ी क्यों बढ़ा रखी है, 
दिन भर रोते हुए गाने क्यों सुनते हो? 
कितना शोर है इस म्यूजिक में, 
कुछ समझ आ रहा है 
मैं क्या कह रही हूं सुना तुमने? 
 
उफ!!! इस सूची का कोई अंत नहीं। 
 
 
हां, तो इन सारी हिदायतों के नॉनस्टॉप प्रसारण की वजह से हम आपको लेकर लापरवाह हो जाते हैं लेकिन सारी संतानों की तरफ से मेरा ऑनेस्ट कन्फेशन कि यह सारी बातें हमें आपके सामने कितनी ही बुरी लगे लेकिन अकेले में या शहर से बाहर जब पिज्जा-बर्गर से पेट भरते हैं, या हल्के से जुकाम में भी बेहाल हो जाते हैं तब बेहद शिद्दत से याद आती है। और यकीन मानिए‍ कि गाड़ी चलाते समय आपकी आवाज कानों में गुंजती है और हम गाड़ी की रफ्तार कम कर लेते हैं। 
 
खाना खाते समय आप सामने नजर आतीं है और हम धीरे-धीरे चबा-चबाकर खाना शुरु कर देते हैं। विश्वास कीजिए कि हमारे दिल-दिमाग पर आप ही का असली राज है। ‍अपराध तो स्वीकारना होगा कि हम आपकी बातों को आपके सामने गंभीरता से नहीं लेते।
 
दुनिया की सारी मम्मियां, आप चाहती है आपका बच्चा या बच्ची हमेशा वैसे ही बने रहे जैसे वे तब थे जब हर बात के लिए आप पर निर्भर थे और आपके अकेलेपन का सहारा थे। आपको मजा आता था जब मोजे पहनने से लेकर बाजार जाने तक उनके हाथ में आपका पल्लू रहता था। 
 
लेकिन अफसोस कि आप खुद को उसे स्वतंत्र देखने की कल्पना भी नहीं कर पाती है और आपके चूजों के पर निकल आते हैं। जब तक आप उन्हें संभाले-समेटे-सहेजे, वे फुर्र से उड़ जाते हैं। कभी-कभी हमें लगता है आप हमें शरीर से तो बड़े होते हुए देखना चाहती है लेकिन मन से हमें बच्चे के रूप में ही पसंद करतीं है। 
 
जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं हमारी समझ का दायरा बढ़ता है, हमारी सोच में परिवर्तन आता हैं, हम अपने अधिकारों के बारे में सचेत होतें हैं या हम स्वयं को अभिव्यक्त करते हैं(आपके शब्दों में जिसे बहस करना या जुबान लड़ाना कहा जाता है।) आपकी त्यौरियाँ चढ़ने लगती है। 
 
अरे, आज आपका दिवस है तो शिकायत नहीं कर सकते आज तो गुनाहों को मानने की बारी है। हां, तो हम मानते हैं यह तीसरा अपराध कि आपके सामने आवाज ऊंची हो जाती है। लेकिन विश्वास कीजिए कि गुस्सा शांत होते ही हम पछताते हैं फिर वही कि बताते नहीं। 
 
आज बता रहे हैं तो मान भी लीजिए कि हम सच कह रहे हैं। गुनाह तो बहुत है पर अगर हर एक की माफी ही मांगने लगे तो फिर आपका कैसा दिवस? 
 
मां से भी कोई माफी मांगता है भला? ना, मां तो वह, जो अपनी होती है, बहुत अच्छी होती है और उससे माफी नहीं मांगी जाती इसीलिए तो वह सबसे स्पेशल होती है। क्योंकि वह कभी नहीं रूठती। कभी भी नहीं। 
 
दुनिया की सारी मम्मियों, दुनिया के सारे बच्चे आज आपको आई लव यू कहना चाहते हैं। आप सुन रही है ना?