गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. वेबदुनिया विशेष 10
  4. »
  5. मातृ दिवस
  6. मैं बेकल तो अम्मा बेकल
Written By WD

मैं बेकल तो अम्मा बेकल

कविता

Mothers Day 2010 | मैं बेकल तो अम्मा बेकल
सहबा जाफ़री
ND
धूप घनी तो अम्मा बादल
छाँव ढली तो अम्मा पीपल
गीली आँखें, अम्मा आँचल
मैं बेकल तो अम्मा बेकल।

रात की आँखें अम्मा काजल
बीतते दिन का अम्मा पल-पल
जीवन जख्मी, अम्मा संदल
मैं बेकल तो अम्मा बेकल।

बात कड़ी है, अम्मा कोयल
कठिन घड़ी है अम्मा हलचल
चोट है छोटी, अम्मा पागल
मैं बेकल तो अम्मा बेकल।

धूल का बिस्तर, अम्मा मखमल
धूप की रोटी, अम्मा छागल
ठिठुरी रातें, अम्मा कंबल
मैं बेकल तो अम्मा बेकल।

चाँद कटोरी, अम्मा चावल
खीर-सी मीठी अम्मा हर पल
जीवन निष्ठुर अम्मा संबल
मैं बेकल तो अम्मा बेकल।