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मीडिया विमर्श का नया अंक एकात्म मानववाद पर

मीडिया विमर्श का नया अंक एकात्म मानववाद पर - मीडिया विमर्श
भोपाल। जनसंचार के सरोकारों पर केन्द्रित त्रैमासिक पत्रिका 'मीडिया विमर्श' का नवीनतम अंक 'भारतीयता का संचारक' बाजार में आते ही राजनीति और मीडिया के क्षेत्र में चर्चित हो गया है। राष्ट्रवादी विचारधारा के स्तम्भ पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चिंतन और पत्रकारीय कौशल पर उम्दा सामग्री इस अंक में है। उनके विचार दर्शन 'एकात्म मानववाद' को 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इसलिए पत्रिका का यह अंक खास और चर्चित हो रहा है। पत्रिका अपने आठ वर्ष पूर्ण कर नवें साल में प्रवेश कर रही है और यह उसका वार्षिकांक है।
 
मीडिया विमर्श के कार्यकारी संपादक संजय द्विवेदी ने बताया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने भारतीय राजनीति को एक दिशा दी थी। यही नहीं वे कुशल संचारक भी थे। सही मायने में पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारतीयता के संचारक थे। उनके जीवन के इस पहलू पर बहुत कुछ लिखा-पढ़ा नहीं गया है। जनसंचार के क्षेत्र से जुड़े लोग भारतीयता के संचारक के नाते दीनदयालजी के संबंध में अध्ययन, लेखन, विश्लेषण और शोध करें, इस उद्देश्य को ध्यान में रखकर मीडिया विमर्श का अक्टूबर-दिसम्बर अंक सबके सामने है।
 
द्विवेदी ने बताया कि दुनिया में अलग-अलग समय में अनेक विचारकों ने देशकाल और परिस्थितियों को ध्यान में रखकर कई विचारधाराओं का प्रतिपादन किया। लेकिन, ये सब पूर्ण नहीं है। दीनदयालजी ने मनुष्य की संपूर्णता का चिंतन करते हुए एकात्म मानववाद का प्रतिपादन किया। एकात्म मानववाद को पचास साल पूरे हो रहे हैं। यह भी एक कारण है कि हमने दीनदयाल जी के पत्रकारिता में योगदान के साथ-साथ एकात्म मानववाद से संबंधित सम्पूर्ण सामग्री को मीडिया और राजनीति से जुड़े लोगों के सामने लाने का निर्णय लिया।
 
मीडिया विमर्श का यह वार्षिकांक चार खंडों में विभक्त है। पहले खंड में संचार और मीडिया के क्षेत्र में उनके योगदान पर समृद्ध सामग्री है। इस खंड में डॉ. वेदप्रताप वैदिक, देवेन्द्र स्वरूप, डॉ. नंदकिशोर त्रिखा, डॉ. महेशचंद्र शर्मा और गिरीश उपाध्याय सहित अन्य विद्वानों के लेख शामिल हैं। दूसरा खंड दस्तावेज है। इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर, नानाजी देशमुख, डॉ. संपूर्णानंद के दीनदयालजी के संबंध में लिखे लेखों-भाषणों का संकलन किया गया है।
 
तीसरे खंड में एकात्म मानववाद के विषय में दीनदयाल जी के व्याख्यानों का संकलन है। चौथे खंड 'विचार दर्शन में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल के कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति डॉ. सच्चिदानंद जोशी, जितेन्द्र बजाज, बजरंगलाल गुप्ता, जगदीश उपासने, रमेश नैयर, इंदुमति काटदरे सहित अन्य विद्वानों के लेख प्रकाशित हैं।
-प्रस्तुति : लोकेंद्र सिंह