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Written By WD

जब शिशु को हो डायरिया

जब शिशु को हो डायरिया -
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दस्त लगना एक सामान्य समस्या है, लेकिन गंभीर होने पर यह प्राणघातक सिद्ध हो सकती है। तीव्र दस्त लगना शिशु मृत्यु का दूसरा सबसे प्रमुख कारण माना गया है। दस्त लगने पर एक ओर जहाँ शरीर में से पानी व खनिज लवण बाहर निकल जाते हैं वहीं शरीर को पोषण भी समुचित रूप से नहीं मिल पाता।

* दस्त लगने अर्थात्‌ डायरिया होने पर शरीर में से पानी कम होने के कारण गंभीर निर्जलीकरण या डी-हायड्रेशन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसी के साथ आवश्यक खनिज व पोषक तत्व भी कम हो जाते हैं।

* डायरिया प्रायः वायरल संक्रमण के कारण होता है। कभी-कभी यह पेट के कीड़ों या बैक्टेरिया के संक्रमण से भी हो सकता है। रहन-सहन व साफ-सफाई का भी इससे गहरा संबंध होता है।

* उचित उपचार, पर्याप्त पोषण व पीने का शुद्ध पानी डायरिया से शीघ्र उबरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। डायरिया के उपचार में आहार का बड़ा महत्व है।

* इसके लिए केले, चावल, सेवफल का गूदा, मुरब्बा या सॉस व टोस्ट जिसे संक्षेप में ब्राट कहते हैं, का संतुलित मिश्रण एक उपयोगी आहार योजना है।

* ब्राट न केवल डायरिया पर नियंत्रण में उपयोगी है बल्कि गेस्ट्रोएन्टराइटिस जैसी समस्याओं में भी प्रभावशाली है। इससे बीमारी की तीव्रता व गंभीरता काफी कम हो सकती है।

* केले व चावल जहाँ आँतों की गति को नियंत्रित करने व दस्त को बाँधने में सहायता करते हैं वहीं केला पुनर्जलीकरण में भी सहायता करता है।

* सेवफल व केले में उपस्थित पेक्टिन न केवल दस्त की मात्रा कम करता है बल्कि डायरिया को रोकने में भी प्रभावशाली भूमिका निभाता है। इस प्रकार ब्राट में सम्मिलित अवयव डायरिया के उपचार में अत्यंत उपयोगी है, परंतु इसे एक संपूर्ण आहार नहीं माना जाना चाहिए। इसके साथ पर्याप्त मात्रा में तरल व अन्य पोषक पदार्थ लेना आवश्यक है।