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Last Modified: सोमवार, 28 अक्टूबर 2019 (10:13 IST)

सत्ता के बंटवारे को लेकर खींचतान के बीच BJP-शिवसेना निर्दलीयों को अपने पाले में करने में जुटी

सत्ता के बंटवारे को लेकर खींचतान के बीच BJP-शिवसेना निर्दलीयों को अपने पाले में करने में जुटी - Maharashtra elections Shiv Sena BJP
मुंबई। महाराष्ट्र में अगली सरकार में सत्ता बंटवारों को लेकर खींचतान कर रही भाजपा और शिवसेना ने अपना-अपना संख्या बल बढ़ाने के प्रयास के तहत रविवार को 5 विधायकों (तीन निर्दलीय एवं छोटे दलों के दो विधायकों) का समर्थन प्राप्त किया। भाजपा को समर्थन की घोषणा करने वाले 3 निर्दलीय विधायकों में गीता जैन, राजेंद्र राउत और रवि राणा शामिल हैं।
 
ठाणे जिले की मीरा भयंदर सीट से जीतीं गीता जैन ने यहां मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात के बाद भाजपा को समर्थन देने का ऐलान किया।
 
विधानसभा चुनाव में वे भाजपा से टिकट चाहती थी और वह नहीं मिलने पर 21 अक्टूबर को हुए चुनाव में निर्दलीय खड़ी हो गई थी। जैन ने पार्टी के आधिकारिक प्रत्याशी नरेंद्र मेहता को हरा दिया था।
 
राउत भी भाजपा के बागी प्रत्याशी थे और उन्होंने सोलापुर जिले की बरसी सीट से शिवसेना के आधिकारिक प्रत्याशी दिलीप सोपाल को हरा दिया था। राणा ने अमरावती जिले के बडनेरा सीट पर अपने निकटवर्ती प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी प्रीति बंद (शिवसेना) को हराया।
जैन और राउत ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात के बाद भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की जबकि राणा ने चिट्ठी लिखकर यह घोषणा की।
 
इससे पहले अचलपुर से विधायक बाच्चु काडु और उनके सहयोगी एवं मेलघाट से विधायक राजकुमार पटेल ने शिवसेना को समर्थन देने की पेशकश की। दोनों सीटें विदर्भ के अमरावती जिले की हैं। काडु प्रहर जनशक्ति पार्टी के प्रमुख हैं।
 
जैन से जब बहुजन विकास अगाड़ी प्रमुख एवं वसई से विधायक हितेंद्र ठाकुर से शनिवार को की उनकी मुलाकात के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह चुनाव प्रचार में सहयोग के लिए धन्यवाद देने गई थीं।
 
जैन को चुनाव के दौरान कांग्रेस- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने समर्थन किया था लेकिन ठाकुर से मुलाकात के बाद उनके राजनीतिक कदम को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया।
 
जब काडु के समर्थन के बारे में पूछा गया तो शिवसेना के नेता ने कहा कि इससे पार्टी की भाजपा के साथ तोलमोल करने की ताकत बढ़ेगी।
 
उन्होंने कहा कि हमने 2014-19 के दौरान भाजपा के साथ समायोजन किया लेकिन अब यह समय अपनी हिस्सेदारी प्राप्त करने का है।’’
 
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के नतीजों में 2014 के मुकाबले भाजपा की कम सीटें आने के बाद से शिवसेना ने अपना रुख कड़ा कर लिया है और सरकार में 50-50 फीसदी हिस्सेदारी की मांग कर रही है।
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