शुक्रवार, 29 मार्च 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. सनातन धर्म
  3. महाभारत
  4. Abhimanyu Vadh in Mahabharata
Last Updated : मंगलवार, 28 अप्रैल 2020 (13:53 IST)

चक्रव्यूह और अभिमन्यु वध, जानिए 5 ऐसे रहस्य जो आप नहीं जानते

चक्रव्यूह और अभिमन्यु वध, जानिए 5 ऐसे रहस्य जो आप नहीं जानते - Abhimanyu Vadh in Mahabharata
अर्जुन और सुभद्रा के पुत्र अभिमन्यु के बारे में सभी जानते हैं कि वे किस तरह चक्रव्यूह में फंसकर मारे गए थे। आओ इस संबंध में जानते हैं 5 बेहद ही खास रहस्य।
 
 
1. श्रीकृष्ण ने दी शिक्षा : अभिमन्यु का बचपन अपने मामा श्रीकृष्ण की द्वारका में ही बीता। वहीं उन्होंने अस्त्र शस्त्र की दिशा ग्रहण की। वहां श्रीकृष्ण उनसे कहते थे कि तुम्हें भविष्य में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। 
 
महाभारत के युद्ध में अभिमन्यु सबसे कम उम्र का योद्धा था। अभिमन्यु ने अपनी मां सुभद्रा की कोख में रहकर ही संपूर्ण युद्ध विद्या सीख ली थी। माता के गर्भ में रहकर ही उसने चक्रव्यूह को भेदना सीखा था। लेकिन वह चक्रव्यूह को तोड़ना इसलिए सीख नहीं पाया, क्योंकि जब इसकी शिक्षा दी जा रही थी तब उसकी मां सो गई थीं।

 
2. परीक्षित का पिता : अभिमन्यु का विवाह महाराज विराट की पुत्री उत्तरा से हुआ। उत्तरा को बृहन्लाह बने अर्जुन ने नृत्य और गान की शिक्षा दी थी अपने अज्ञातवास के दौरान। अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित, जिसका जन्म अभिमन्यु के मृत्योपरांत हुआ, कुरुवंश के एकमात्र जीवित सदस्य पुरुष थे।
 
 
3. श्रीकृष्ण की चाल? : ऐसा कहते हैं लेकिन यह कितना सही है यह एक रहस्य है। भगवान श्रीकृष्ण की नीति के अभिमन्यु को चक्रव्यूह को भेदने का आदेश दिया गया। यह जानते हुए भी कि अभिमन्यु चक्रव्यूह भेदना तो जानते हैं, लेकिन उससे बाहर निकलना नहीं जानते। अभिमन्यु के चक्रव्यूह में जाने के बाद उन्हें चारों ओर से घेर लिया गया। घेरकर उनकी जयद्रथ सहित 7 योद्धाओं द्वारा निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई, जो कि युद्ध के नियमों के विरुद्ध था। कहते हैं कि श्रीकृष्ण यही चाहते थे। जब नियम एक बार एक पक्ष तोड़ देता है, तो दूसरे पक्ष को भी इसे तोड़ने का मौका मिलता है।
 
 
4. लड़ते लड़ते थक गया था अभिमन्यु : प्रारंभ में यही सोचा गया था कि अभिमन्यु व्यूह को तोड़ेगा और उसके साथ अन्य योद्धा भी उसके पीछे से चक्रव्यूह में अंदर घुस जाएंगे। लेकिन जैसे ही अभिमन्यु घुसा और व्यूह फिर से बदला और पहली कतार पहले से ज्यादा मजबूत हो गई तो पीछे के योद्धा, भीम, सात्यकि, नकुल-सहदेव कोई भी अंदर घुस ही नहीं पाए। युद्ध में शामिल योद्धाओं में अभिमन्यु के स्तर के धनुर्धर दो-चार ही थे यानी थोड़े ही समय में अभिमन्यु चक्रव्यूह के और अंदर घुसता तो चला गया, लेकिन अकेला, नितांत अकेला। उसके पीछे कोई नहीं आया।
 
जैसे-जैसे अभिमन्यु चक्रव्यूह के सेंटर में पहुंचते गए, वैसे-वैसे वहां खड़े योद्धाओं का घनत्व और योद्धाओं का कौशल उन्हें बढ़ा हुआ मिला, क्योंकि वे सभी योद्धा युद्ध नहीं कर रहे थे बस खड़े थे जबकि अभिमन्यु युद्ध करता हुआ सेंटर में पहुंचता है। वे जहां युद्ध और व्यूहरचना तोड़ने के कारण मानसिक और शारीरिक रूप से थके हुए थे, वहीं कौरव पक्ष के योद्धा तरोताजा थे। ऐसे में अभिमन्यु के पास चक्रव्यूह से निकलने का ज्ञान होता, तो वे बच जाते या उनके पीछे अन्य योद्धा भी उनका साथ देने के लिए आते तो भी वे बच जाते। लेकिन थकान के कारण वे अधिक जोश और होश से लड़ नहीं पाए।
 
5. अभिमन्यु वध : अर्जुन-पुत्र अभिमन्यु चक्रव्यूह भेदने के लिए उसमें घुस गया। चक्रव्यूह में प्रवेश करने के बाद अभिमन्यु ने कुशलतापूर्वक चक्रव्यूह के 6 चरण भेद लिए। इस दौरान अभिमन्यु द्वारा दुर्योधन के पुत्र लक्ष्मण का वध किया गया। अपने पुत्र को मृत देख दुर्योधन के क्रोध की कोई सीमा न रही। तब कौरवों ने युद्ध के सारे नियम ताक में रख दिए।
 
छह चरण पार करने के बाद अभिमन्यु जैसे ही 7वें और आखिरी चरण पर पहुंचे, तो उसे दुर्योधन, जयद्रथ आदि 7 महारथियों ने घेर लिया। अभिमन्यु फिर भी साहसपूर्वक उनसे लड़ते रहे। सातों ने मिलकर अभिमन्यु के रथ के घोड़ों को मार दिया। फिर भी अपनी रक्षा करने के लिए अभिमन्यु ने अपने रथ के पहिए को अपने ऊपर रक्षा कवच बनाते हुए रख लिया और दाएं हाथ से तलवारबाजी करता रहा। कुछ देर बाद अभिमन्यु की तलवार टूट गई और रथ का पहिया भी चकनाचूर हो गया।
 
अब अभिमन्यु निहत्था था। युद्ध के नियम के तहत निहत्‍थे पर वार नहीं करना था। किंतु तभी जयद्रथ ने पीछे से निहत्थे अभिमन्यु पर जोरदार तलवार का प्रहार किया। इसके बाद एक के बाद एक सातों योद्धाओं ने उस पर वार पर वार कर दिए। अभिमन्यु वहां वीरगति को प्राप्त हो गया। अभिमन्यु की मृत्यु का समाचार जब अर्जुन को मिला तो वे बेहद क्रोधित हो उठे और अपने पुत्र की मृत्यु के लिए शत्रुओं का सर्वनाश करने का फैसला किया। सबसे पहले उन्होंने कल की संध्या का सूर्य ढलने के पूर्व जयद्रथ को मारने की शपथ ली।