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Written By WD

अक्षरा : साहित्य की द्वैमासिकी

जुलाई-अगस्त 2008

अक्षरा : साहित्य की द्वैमासिकी -
WD

प्रधान संपादक
कैलाशचंद्र पंत

कार्यालय
म.प्र. राष्ट्रभाषा प्रचार समिति
हिंदी भवन
श्यामला हिल्स
भोपाल-462002
फोन : 0755 - 2661087, 2738612

सबद निरंतर
साहित्य का दायित्व बोध : रमेशचंद्र शाह

धरोहर
बहुमत और वैयक्तिक आत्मा : पं. झावरमल्ल शर्मा

कविता
नए ईश्वर के आने का समय : सुरेन्द्र भटनागर जन्मशती पर पुण्य स्मरण
देवेंद्र सत्यार्थी की कहानियाँ : धरती और खानाबदोशी की गंध - प्रकाश मनु

आलेख
प्रेमचंद का पत्रकार रूप : राजेन्द्र परदेसी प्रेमचंद के ग्राम्य जीवन की प्रासंगिकता : राजेंद्रसिंह गहलौत वाङ्‍गमय संस्कृत के अनियमित नाटकों की परंपरा और हनुमन्नाटक : रामचंद्र सरोज डायरी के पृष्ठ अजात शत्रु : रामदरश मिश्र

आलेख
तमिल के संत कवि तिरुवल्लुवर : इंदरराज वैद
रामवृक्ष बेनीपुरी का रचना संसार : ‍अ‍िनल कुमार सेंगर
महेन्द्र भटनागर की कविता : ई. विजयलक्ष्मी

साहित्य में स्त्री दस्तक
मराठी उपन्यासों में वर्णित स्त्री जीवन : विद्या केशव चिटको

साक्षात्कार
वरिष्ठ कवि देवव्रत जोशी से बातचीत : आशीष दशोत्तर

कहानी
सायबान : मीरा चंद्रा बलि : सूर्यकांत नागर

कविता
शब्दों की दुनिया... : नंदनकिशोर आचार्य
प्रीतगंध : अश्वघोष
जाते-जाते : प्रेमशंकर रघुवंशी

गीत/नवगीत
द्रोपदी सी... : श्रीकांत प्रसाद सिंह
कीर्ति की ध्वजाएँ : मधुर गंज मुरादावादी
आतंक के खिलाफ : अनि‍रुद्ध नीरव

निबंध
सूरीमल उग्यो : नर्मदाप्रसाद सिसौदिया

कहानी
आतंक का अंत : रमेश मनोहरा
कैसा भी जुर्म : कमल चोपड़ा भाषायी शुचिता
व्यंजन बिना पाई वाले : मोतीलाल विजयवर्गी हमारा समय और साहित्य
कलाएँ और साहित्य : संवेदन में संचार- रमेश दवे
लोकार्पण के बहाने कहानी पर उठते प्रश्न

समीक्षा
सूरज की सोलह किरणें : रामूर्ति त्रिपाठी
क्रांतिकारी चेतना का औपन्यासिक स्वरूप : सोहन शर्मा
आत्मकथात्मक शैली में एक मिथक का अवतरण : कैलाशचंद्र पंत
यह सफर संगीत है : कुमार रवीन्द्र
प्रेमचंद का दृश्य विधान : शशिकांत लिमये साहित्यिक भूल का परिष्कार : दिवाकर शर्मा
भारतीय जीवन मूल्यों के विलोम से उपजी कहानियाँ : लक्ष्मीनारायण पयोधि
पत्रांश
मूल्य : 20 रुपए