मानसिक स्वास्थ्य पर बात करना किसी कमजोरी की निशानी नहीं, बल्कि जीवन को बेहतर बनाने की प्रक्रिया : डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी
आओ मानसिक स्वास्थ्य पर बात करें" को लेकर पैनल चर्चा
मानसिक स्वास्थ्य पर बात करना किसी कमजोरी की निशानी नहीं, बल्कि जीवन को बेहतर बनाने की प्रक्रिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर 4 में से 3 लोगों को जीवन में कभी न कभी मानसिक परामर्श की आवश्यकता होती है। “डिप्रेशन” जैसे शब्दों का हल्के में उपयोग न करें, यह एक गंभीर मानसिक विकार है जो धीरे-धीरे विकसित होता है और जिसके इलाज संभव हैं। 14 दिन से अधिक समय तक मन का चिड़चिड़ापन, रुचियों का खत्म होना, नींद की कमी, आत्महत्या के विचार, नशे की ओर झुकाव और रिश्तों में दरार इसके संकेत हो सकते हैं। उक्त बात मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर संस्था आवाज, एम्स, भोपाल (मनोविकार विभाग) और यंगशाला के संयुक्त तत्वावधान में “बातें अनकही. आओ मानसिक स्वास्थ्य पर बात करें”, विषय पर आयोजित एक पैनल चर्चा को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता के रूप में एप्को सभागार में रखी|
सत्यकांत त्रिवेदी ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में दवाइयाँ और परामर्श दोनों की भूमिका महत्वपूर्ण है, और इनका संयोजन ही प्रभावी समाधान देता है। परिवार और समाज को भी संवेदनशील होकर सहयोगी भूमिका निभानी चाहिए। मानसिक स्वास्थ्य केवल बीमारी का विषय नहीं, बल्कि सोच और व्यवहार को संतुलित करने की प्रक्रिया है।
इसके पहले पैनल चर्चा को संबोधित करते हुए एम्स, भोपाल के मनोविकार विभाग के अध्यक्ष डॉ. विजेंद्र सिंह ने कहा कि खुद की मदद के लिए पहला कदम खुद ही उठाना होगा – यही सबसे असरदार औज़ार है। सही मार्गदर्शन और समर्थन से हर व्यक्ति अपनी ज़िंदगी को अधिक सहज और सशक्त बना सकता है।
चर्चा को संबोधित करते हुए यूनिसेफ के बाल संरक्षण अधिकारी गोविन्द बेनीवाल ने कहा कि हम युवाओं के साथ भोपाल शहर में सेफ सिटी परियोजना के माध्यम से लगभग 300 बेयरफुट काउंसलर के साथ काम करते हैं और वे युवाओं, महिलाओं और बच्चों के साथ उनके मानसिक स्वास्थ्य पर काम करते हैं| श्री बेनीवाल ने कहा कि "हमारा खुद सशक्त होना ज़रूरी है, क्योंकि अक्सर हमारे आस-पास के लोगों के पास सही दृष्टिकोण नहीं होता, इसलिए हम खुद को जज्ड महसूस करते हैं।"
इस मौके पर युवाओं के बीच एक स्पेशल मानवकद कठपुतली चरित्र “मनचंगा” जी को लांच किया गया| मनचंगा ने कहा कि जो भी लोग आपके जीवन में मददगार रहे हैं, उन्हें धन्यवाद कहें और गले मिलकर उनका आभार व्यक्त करें| ज्ञात हो कि मनचंगा, अगले एक माह तक शहर के विभिन्न स्थानों पर घूम-घूम कर लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करेगा| मनचंगा ने बताया कि यदि कोई युवा साथी मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रहा है तो टैली मानस हेल्पलाइन पर 14416 नंबर पर संपर्क कर सकता है या मनहित एप का उपयोग भी कर सकता है|
उक्त चर्चा के बारे में उपस्थित जनसमूह को बताते हुए यंगशाला की संस्थापक रोली शिवहरे ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर युवाओं को जागरूक करने और एक सकारात्मक सन्देश देने के लिए इस परिचर्चा का आयोजन किया गया| उन्होंने सभी का आभार भी माना| कार्यक्रम का संचालन प्रशांत दुबे ने किया|