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Last Updated : मंगलवार, 17 मार्च 2020 (17:11 IST)

जनता की अनदेखी, Corona के साये में मध्यप्रदेश में सत्ता संघर्ष

जनता की अनदेखी, Corona के साये में मध्यप्रदेश में सत्ता संघर्ष - Political crisis in MP
एक तरफ भारत के प्रमुख राज्यों में कोरोना वायरस (Corona Virus) का खौफ अपनी दस्तक दे चुका है, दूसरी ओर भारत के हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश में राजनीतिक उठापटक की 'हृदयहीन' कवायद जारी है। राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस और प्रमुख विपक्षी दल भाजपा 'सत्ता संघर्ष' में उलझे हैं और जनता कोरोना के डर के साये में जी रही है। दोनों ही दलों का पूरा ध्यान सरकार गिराने और बचाने पर है। 
 
विधायक और मंत्री इधर से उधर से हो रहे हैं। कोई जयपुर जा रहा है, कोई गुड़गांव, कोई ‍सीहोर तो कोई कोरोना प्रभावित बेंगलुरु के रिसोर्ट में डेरा जमाए बैठा हुआ है। सबकी महत्वाकांक्षा सिर्फ एक ही है किसी भी तरह राज्य की सत्ता की बागडोर उनके हाथ में आ जाए। राज्य में अल्पमत की सरकार चला रहे मुख्‍यमंत्री कमलनाथ का भी पूरा ध्यान सरकार बचाने पर ही है। 
 
इस पूरे घटनाक्रम का सबसे शर्मनाक पहलू तो तब सामने आया जब राज्य के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ही 'महाराज' ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में अन्य मंत्रियों के साथ बेंगलुरु में पहुंच गए। इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य मंत्री विहीन सरकार किस तरह कोरोना जैसी घातक बीमारी का सामना करेगी। हालांकि बाद में सिंधिया समर्थक मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया गया। 
 
इस जिम्मेदारी से भाजपा भी नहीं बच सकती। क्योंकि आपकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं कुछ भी हों, लेकिन पूरे प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता। इस पूरी कवायद से प्रशासनिक अधिकारी भी संशय की स्थिति में हैं। उनकी निगाह भी काम से ज्यादा राजनीतिक उथल-पुथल पर ज्यादा है। 
 
दरअसल, अधिकारियों को भी डर है कि यदि राज्य में सत्ता परिवर्तन होता है तो उन्हें भी तबादले का सामना करना पड़ सकता है। इसीलिए पिछले कुछ समय से जनता की ओर नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान कम ही है। 
कोरोना को लेकर महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन से बड़ी खबर आ रही है। यहां थाईलैंड से आए एक डॉक्टर दंपति को कोरोना के संदेह में मेडिकल कॉलेज के आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है। हालांकि फिलहाल डॉक्टर दंपति को कोरोना की पुष्टि नहीं है, लेकिन शंका के बादल तो मंडरा ही रहे हैं। हकीकत का खुलासा पुणे से रिपोर्ट आने के बाद ही होगा। 
 
अत: कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही चाहिए कि फिलहाल सत्ता की लड़ाई का छोड़कर पूरा ध्यान कोरोना से लड़ाई पर केन्द्रित करें। इसमें ही जनता का भला है और इसमें ही पार्टियों का। बाकी फिर ईश्वर मालिक है।