गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. मध्यप्रदेश
  4. ओशो प्रेमियों के लिए काबे जैसा हो गया मौलश्री का पेड़
Written By
Last Modified: बुधवार, 11 दिसंबर 2019 (11:49 IST)

ओशो प्रेमियों के लिए काबे जैसा हो गया मौलश्री का पेड़

Osho Festival | ओशो प्रेमियों के लिए काबे जैसा हो गया मौलश्री का पेड़
- जबलपुर से दीपक असीम
जबलपुर की शांति सागर जैन धर्मशाला में ज्यादातर ओशो प्रेमियों के रुकने का इंतजाम किया गया है। ये यहां की सबसे बड़ी धर्मशाला है। शहर के तमाम ठीकठाक होटल प्रशासन ने कब्जा लिए हैं। सैकड़ों लोग लगातार जबलपुर आ रहे हैं। यहां ओशो प्रेमियों के लिए ठहरना मुफ्त है, भोजन मुफ्त है। गले में टांगने के लिए एक पास दिया गया है। अगर यह पास गले में होगा तो सरकारी बसों में कोई पैसा नहीं लगेगा। पूरे शहर में जहां चाहे वहां घूमिए। चाहे तो भेड़ाघाट जाइए। सब फ्री है।

मगर ठहरिए। यही सब तो है जिसके लिए ओशो ने मना किया था। मुफ्त का आकर्षण देकर भीड़ जुटाने की सरकारी कोशिश। ओशो का यह पहला जमावड़ा है जिसमें सबके लिए सब कुछ मुफ्त है। वैसे यहां और भी बहुत कुछ ऐसा है जिससे ओशो आशंकित रहते थे यानी मूल बात को भूलकर प्रतीकों में उलझ जाना। यह सब अभी पूरी तरह से नहीं हुआ है, मगर इसकी शुरुआत हो गई है।

'ओशो महोत्सव' का बाकायदा आरंभ उस बगीचे में ध्यान कराने से हुआ, जहां एक मौलश्री के झाड़ के नीचे या शायद झाड़ के ऊपर ओशो को संबोधि हुई थी। इस झाड़ को खूब सजाया गया है और नगर प्रशासन व नगर निगम ने इसके चारों तरफ नहर जैसी बनवा दी है। लोग इस पेड़ को चूम रहे थे। इस पेड़ के पास बैठकर ध्यान कर रहे थे।

ऐसा लग रहा था कि यह वृक्ष ओशो प्रेमियों का काबा बन जाएगा। जबलपुर और पुणे मक्का-मदीना हो जाएंगे। इस वृक्ष की कोई खास महत्ता नहीं है। कोई कहीं भी बैठकर ध्यान कर सकता है और जिसे जो हो, वह कहीं भी हो सकता है। ओशो को उस दिन इस पेड़ के नीचे इसलिए संबोधि हुई, क्योंकि वे बहुत पक चुके थे।

आज सुबह ध्यान के सत्र के साथ 'ओशो महोत्सव' प्रारंभ हो जाएगा, मां अमृत साधना आ रही हैं। दिनभर चर्चाएं होंगी। ओशो के बारे में बातें की जाएंगी। शाम को शिवम का बैंड देखना है। सरकारीपन और क्या-क्या गुल खिलाता है।
ये भी पढ़ें
Live : Citizenship Amendment Bill : नागरिकता संशोधन विधेयक राज्यसभा में पेश