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Written By विशेष प्रतिनिधि
Last Updated : शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2019 (10:57 IST)

फिर नाराज हुए ‘महाराज’, स्टार प्रचारक होने के बाद भी झाबुआ उपचुनाव से बनाई दूरी

फिर नाराज हुए ‘महाराज’, स्टार प्रचारक होने के बाद भी झाबुआ उपचुनाव से बनाई दूरी - Jyotiraditya scindia boycotts jhabua bye election
भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर एक बार फिर चर्चाओं का बाजार गरम है। पिछले कई दिनों से सिंधिया के अपनी ही पार्टी से नाराज होने की खबरें सामने आ रही है। इस बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिए प्रतिष्ठा का चुनाव बने झाबुआ विधानसभा सीट के लिए हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस के सबसे लोकप्रिय चेहरे और स्टार प्रचारक सिंधिया का चुनाव प्रचार के लिए नहीं पहुंचना सियासी गलियारों में काफी चर्चा का विषय बना हुआ है।

झाबुआ सीट पर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया को जीताने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पूरी ताकत झोंक दी है। भूरिया के नामांकन के समय ही रोड शो कर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने चुनाव प्रचार का जो शंखनाद किया था वह अब तक जारी है, लेकिन दूसरी ओर सिंधिया ने झाबुआ से अपनी दूरी बना रखी। 
मध्य प्रदेश में पिछल पांच दिन रहते हुए भी ज्योतिरादित्य सिंधिया झाबुआ उपचुनाव में चुनाव प्रचार करने के लिए नहीं पहुंचे। पांच दिनों तक ग्वालियर चंबल में मौजूद रहने और कार्यकर्ताओं से मिलने वाले सिंधिया ने कांग्रेस की नजर से बेहद महत्वपूर्ण झाबुआ की ओर रुख करना क्यों नहीं मुनासिब समझा यह काफी चर्चा का विषय बना हुआ है।

इतना ही नहीं सोशल मीडिया पर बेहद सक्रिय रहने वाले सिंधिया ने न तो झाबुआ से कांग्रेस उम्मीदवार कांतिलाल भूरिया को पार्टी का उम्मीदवार बनने पर बधाई दी और न ही झाबुआ उपचुनाव में कांग्रेस के समर्थन को लेकर अब तक कोई ट्वीट किया।
 
अपनी जिस गुटबाजी के चलते मध्य प्रदेश में कांग्रेस लंबे समय तक सत्ता से बाहर दिखाई दी वह इन दिनों झाबुआ उपुचनाव में खुलकर फिर सामने आ गई। पूरे चुनाव प्रचार के दौरान जिस तरह सिंधिया गुट को दरकिनार किया गया वह भी सियासी हल्कों में खूब चर्चा का विषय बना हुआ है। चुनावी सभा में भीड़ बटोरने में माहिर समझे जाने वाले सिंधिया को कांग्रेस के नजर से बेहद महत्वपूर्ण झाबुआ उपचुनाव में चुनाव प्रचार नहीं करना कांग्रेस की अंदरखाने में मचे सियासी घमासान का संकेत दे रहा है।
 
इससे ठीक उलट अगर सिंधिया के पिछले एक महीने के कार्यक्रमों पर नजर दौड़ायी जाए तो सिंधिया मध्य प्रदेश में खासा सक्रिय नजर आ रहे है। इतना ही नहीं सिंधिया विपक्ष से कही ज्यादा अपने ही सरकार पर हमलावर दिखाई दे रहे है।

भिंड़ में पिछले दिनों एक कार्यक्रम में सिंधिया ने अपनी ही सरकार को घरेते हुए किसान कर्जमाफी पर सवाल उठा दिया था। इससे पहले बाढ़ और अतिवृष्टि से बर्बाद हुई किसानों की फसल के मुआवजे को भी लेकर सिंधिया ने कमलनाथ सरकार को घेरा था। इसके साथ ही बात चाहे प्रदेश में हो रहे तबादलों की हो या ग्वालियर में मेट्रो चलाने की सिंधिया इन दिनों अपनी ही सरकार तक आवाज पुहंचाने के लिए पत्र का सहारा ले रहे हैंं। 
सिंधिया के झाबुआ उपचुनाव से दूरी पर बनाने पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तंज कसा है। उन्होंने कहा कि इस समय कांग्रेस मां और बेटे के बीच बंट गई है और कौन सी कांग्रेस में कौन है यह यक्ष प्रश्न है, फिलहाल बेटे की कांग्रेस में जो है वह प्रताड़ित है और वह नया आशियाना ढूंढ रहे है। शिवराज ने कहा कि कांग्रेस आज हजार टुकड़ों में बंट गई है और इनमें से एक टुकड़ा लेकर सिंधिया घूम रहे है और उनको कोई नहीं पूछ रहा है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस कई टुकड़ों में बंट गई है।  
वहीं मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार दिनेश गुप्ता सिंधिया के सवाल उठाने को उनकी राजनीति करने की शैली बताते है। वह कहते हैं कि सिंधिया हमेशा से ही अपने विचारों को ऐसे रखते आए और अपनी राजनीति के शुरुआत के समय भी वह दिग्विजय सरकार के समय भी किसानों का मुद्दें पर खुलकर बोलते थे।

दिनेश गुप्ता कहते हैं कि उनके नजरिए से सिंधिया न तो कांग्रेस पर अक्रामक है और न ही सरकार पर। वह सिंधिया के किसान कर्जमाफी पर सवाल उठाने और अन्य मुद्दों को बताते हो वह कहते हैं कि राजनेता को अपनी जनता की आवाज उठाने के लिए क्षेत्र की समस्या को उठाना पड़ता है और सिंधिया भी यही कर रहे है।