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Written By WD

राष्ट्रीय झाँकी का आँखों देखा हाल

-पिलकेंद्र अरोरा

राष्ट्रीय झाँकी का आँखों देखा हाल -
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कुतुबमीनार, दिल्ली से आप सभी का अभिवादन। हमारे साथ इस समय महाभारत काल के सुपर कॉमेंटेटर श्री संजय हैं जो आपको राष्ट्रीय झाँकी का आँखों देखा हाल सुनाने जा रहे हैं। आइए संजय जी, प्लीज उवाच।

नमस्कार! सबसे पहली झाँकी आ रही है, माँ तुझे सलाम! इस झाँकी में भारतमाता को बेड़ियों में जकड़ा दिखाया गया है। उनके हाथ का तिरंगा गंदा और आधा झुका हुआ है। भारतमाता बनी युवती के आसपास आतंकवाद, नक्सलवाद और संप्रदायवाद के राक्षसों के पुतले हैं जो तांडव नृत्य कर रहे हैं। आ हा! झाँकी कितनी सुंदर लग रही है।

अब आ रही है दूसरी झाँकी, संविधान के आँसू! इसमें संसद का एक मॉडल बना है। मॉडल में कुछ पुतले हैं जिनके बीच जूतम-पैजार चल रही है। मॉडल की बड़ी-बड़ी आँखों से लाल रंग का पानी टपक रहा है जो खून जैसा लग रहा है। शायद खून ही हो।

तीसरी झाँकी आई है कलियुग का समुद्र मंथन। इसमें कॉमनवेल्थ गेम्स को कीचड़ के समुद्र के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिसके एक ओर नेता और दूसरी ओर अधिकारी हैं जो मंथन कर रहे हैं। झाँकी के इर्द-गिर्द रत्न, माणिक वगैरह बिखरे पड़े हैं। झाँकी बहुत ही मनोरम बनी है। चौथी झाँकी एक ट्रेन की दिख रही है, जिस पर लिखा है मुक्ति वाहन!

इंजन में एक महिला ड्राइवर का पुतला है। ट्रेन के डिब्बे टूटे-फूटे और अधजले हैं। डिब्बों में कई अर्थियाँ पड़ी हैं और रघुपति राघव... की रामधुन बज रही है। इस झाँकी में पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री का बड़ा फोटो भी है। लगता है, कलाकार की गलती से वह फोटो रखा रह गया है।

पाँचवीं झाँकी में दिख रहा है एक सरकारी गोदाम का मॉडल जिस पर लिखा है भूख का आईपीएल। पर गोदाम के आगे गार्ड के हाथ में बंदूक की जगह क्रिकेट का बैट है। एक अनाज का ढेर है जो एकदम काला है और जिस पर कृत्रिम बरसात हो रही है। झाँकी में एक झोपड़ी है जहाँ से सिसकियाँ सुनाई पड़ रही हैं।

छठी झाँकी जो आई है बड़ी अद्भुत है, मौत का रिएलटी शो! झाँकी में बाढ़ का सीन है जो एकदम रीयल-सा लग रहा है। कुछ पुतले हैं जो बार-बार बाढ़ में बह रहे हैं। ऊपर एक हेलिकॉप्टर मंडरा रहा है जिसमें लगा एक सफेद पुतला बहते हुए पुतलों को देखकर कह रहा है फैंटास्टिक! माइंडब्लोइंग, अनबिलिवेबल।

और अब आ रही है मंगलमूर्ति गणेशजी की एक विशाल मूर्ति जिसका आज विसर्जन किया जाना है। पर इसका भी एक टाइटल है, बाजार का राष्ट्रधर्म। झाँकी में पूजन सामग्री और प्रसाद बिखरा पड़ा है जिस पर नकली और मिलावटी की प्लेट लगी है। पंडितजी कोने में सिर पकड़कर बैठे हैं। झाँकी में कुछ पुतले हैं जो व्यापारी और अफसर जैसे लग रहे हैं और बार-बार ठहाका लगा रहे हैं।