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जॉनी का सेमिनार निमंत्रण

literature | जॉनी का सेमिनार निमंत्रण
डॉ.निखिल जोशी
ND
प्रिय बॉनी,
तुम्हें यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता होगी कि मुझे अपने कॉलेज में एक राष्ट्रीय सेमिनार कराने की अनुमति मिल गई है। मानसून की बारिश के बाद प्रदेश में सेमिनार, कॉन्फ्रेंस तथा वर्कशॉप की बारिश होती है। इसी बरसात में मैंने भी एक सेमिनार लपक लिया है। इस दो दिवसीय सेमिनार में तुम्हें अवश्य ही आना है। चूँकि तुम प्रदेश के बाहर के विद्वान हो अतः तुम्हारा इस सेमिनार में आना अत्यंत आवश्यक है। तुम्हारे न आने पर मेरा यह भव्य राष्ट्रीय सेमिनार तुच्छ राज्यस्तरीय सेमिनार बनकर रह जाएगा।

सेमिनार है अतः तुम्हें शोध-पत्र भी लिखना होगा। मुझे मालूम है कि तुम्हें शोध-पत्र लिखने से कितनी एलर्जी है। लेकिन हे मित्र बॉनी! शोध-पत्र लिखना कोई कठिन कार्य नहीं है। आजकल इंटरनेट पर इतनी जानकारियाँ उपलब्ध हैं कि पुस्तकालयों, विभिन्न कार्यालयों, संस्थानों, प्रयोगशालाओं जैसे पुरातन स्थलों पर जाने की जरूरत ही नहीं है।

तुम किसी सर्च इंजन की मदद से दस जानकारियाँ सेमिनार के टॉपिक पर प्राप्त कर सकते हो। तुम्हारे भाषा ज्ञान को देखते हुए मैं कह सकता हूँ कि इनमें से सात तो तुम पढ़ ही लोगे। सात में से पाँच तुम्हारी समझ में आ जाएँगी, ऐसी मुझे आशा है। इन पाँच में से दो ठीक सेमिनार के टॉपिक के लिए उपयुक्त होंगी।

अब यह बताने की मैं जरूरत नहीं समझता कि इनमें से जो बड़ी हो वह तुम्हारा रिसर्च पेपर है और जो छोटी हो वह तुम्हारे रिसर्च पेपर का सारांश है। इसका लाभ यह होगा कि सारांश बनाने के लिए तुम्हें दोबारा मेहनत नहीं करना होगी। रहा सवाल रिसर्च पेपर और सारांश के मेल नहीं खाने का तो मैं अनेक सेमिनार, कॉन्फ्रेंस एवं वर्कशॉप का साक्षी रहा हूँ। पूरा पेपर किसी भी सेमिनार में कोई न तो पढ़ता है और न ही किसी दूसरे को पढ़ने देता है। केवल सारांश पढ़ा जाता है। पूरा पेपर तो छापने के काम आता है।

मैंने यहाँ सेमिनार के लगभग सारे इंतजाम कर लिए हैं। कुछ रह गए हैं जो तुम्हारे आने तक पूरे हो जाएँगे। वैसे यहाँ कभी-कभी बिजली आ जाती है और विद्युत चालित सभी संयंत्र सक्रिय हो उठते हैं। कॉलेज की बिल्डिंग की ही तरह पंखे भी बहुत पुराने हैं और चलते समय उनकी गरदन हिलती है। लेकिन मुझे मालूम है कि तुम विद्यार्थी जीवन से ही हॉरर फिल्मों के शौकीन रहे हो इसलिए डर जैसी कोई बात नहीं है।

हमारा कॉलेज कुछ नीची जगह पर स्थित है। नीची जगह पर तो सभी को आने में आसानी होती है। अतः कस्बे का सारा कूड़ा-करकट और गंदा पानी कॉलेज में जमा हो जाता है। इसलिए यहाँ पर मच्छरों की आबादी देश की आबादी से भी तेज गति से बढ़ती है।

बिजली तो विदेशी फिल्मों की हीरोइन की तरह कभी भी दगा दे जाती है इसलिए मैंने मच्छरदानी का इंतजाम कर लिया है। पुरानी होने की वजह से वह देश के सुरक्षा तंत्र की मानिंद कुछ छितरा-सी गई है और उसमें बड़े-बड़े छेद हो गए हैं। कुछ मच्छर तो मुझे बड़े लेकिन कुछ मच्छर छोटे दिखाई देते हैं। या शायद मेरे चश्मे का नंबर बढ़ जाने के कारण ऐसा दिखाई दे रहा है।

सेमिनार शुरू होने तक मैं अपनी आँखों की जाँच करवा कर सही नंबर के नए लैंस उसी पुरानी फ्रेम में पहन लूँगा। तुम्हारे शहर में चश्मे की कोई अच्छी नई फ्रेम आई हो तो साथ में लेते आना। वैसे तो यहाँ की मच्छरदानी की स्थिति देखते हुए अच्छा तो यही होगा कि तुम मच्छरदानी साथ में ही ले आना।

वैसे तो कॉलेज में फ्रेश होने के लिए शौचालय भी बने हुए हैं, लेकिन वह पिछले तीन वर्षों से बंद पड़े हैं। तीन वर्ष पूर्व हुए एक सेमिनार के वक्त वे खुले थे। वे सेमिनार के साथ ही खुलते और बंद होते हैं।

हाँ! एक बात के लिए मैं तुमसे अवश्य माफी चाहूँगा कि हमारे कॉलेज में स्नानगृह की कोई व्यवस्था नहीं है। अतः खुले में ही स्नान करना होगा। इसलिए जरूरी है कि तुम फुल साइज का टॉवेल अपने साथ लाओ ताकि किसी को भी शर्मिंदा न होना पड़े।

इस सेमिनार की तारीखें आप सभी भागीदारी करने वाले विद्वानों की सुविधा की दृष्टि से ऐसे मौसम में रखी हैं जब हल्की गुलाबी ठंड रहेगी। अतः रजाई-गादी-तकिए का भी मैंने इंतजाम करने का प्रयत्न किया है। लेकिन टेंट हाउस वाले का कहना है कि वह अपने रजाई-गादी-तकिए शादी-ब्याह, मुंडन, जनोई यहाँ तक कि तेरहवीं के कार्यक्रम में देना पसंद करेगा क्योंकि वे लोग उसे कम समय में अधिक किराया देते हैं। कस्बे के टेंट वाले का क्या भरोसा? तुम तो रजाई-गादी-तकिए के इंतजाम के साथ ही आना!

तुम्हें अपना रिसर्च पेपर प्रचलित फैशन के अनुसार पॉवर पॉइंट प्रेसेंटेशन में तैयार करके लाना है। यदि बिजली रही तो यह काम आएगा। बिजली न रहने की स्थिति में तुम्हें बैटरी चालित माइक पर अपने पेपर का वाचन करना होगा। देव योग से उसी दिन किसी नेता की सभा आदि होने पर कस्बे का माइक वाला वहाँ जा सकता है। ऐसी स्थिति में तुम्हें अपना पेपर चिल्लाकर पढ़ना होगा। अतः सुझाव है कि तुम अभी से नमक के पानी के गरारे करना तथा गले की मसाज आदि करना प्रारंभ कर दो ताकि ऐनवक्त पर सेमिनार में बट्टा न लगे।

मुझे मालूम है कि तुम भोजन के बहुत शौकीन हो इसलिए मैंने भोजन बनाने वाले महाराज से भी बात कर ली है। उसने हामी भर ली है। सुबह-शाम चाय नाश्ता तथा दोपहर व रात में भोजन करने के बीच जो समय बचेगा, उसमें शोध-पत्रों का वाचन हो जाएगा।

गरिष्ठ भोजन, वरिष्ठजनों द्वारा कर लेने पर पढ़ने-समझने जैसी क्रियाओं का तनाव भी नहीं रहेगा। तुम सेमिनार के उद्घाटन सत्र में अवश्य आ जाना, भले ही तकनीकी सत्र में गायब हो जाना। कस्बे के नेताजी के न समझ में आने वाले भीषण भाषणों को सुनकर कस्बे की जनता उदासीन अवस्था में आ चुकी है। अतः उद्घाटन समारोह की भीड़ बढ़ाने के लिए मुझे तुम जैसे बाहर से आने वाले विद्वानों का ही सहारा है।

तुम्हें सेमिनार किट व सर्टिफिकेट पहले दिन ही दे दिया जाएगा, फिर भी यदि तुम दूसरे दिन रुक सको तो मुझे मॉरल सपोर्ट मिलेगा। यह सेमिनार सर्टिफिकेट सीआर फॉर्म भरते समय तुम्हें हौसला प्रदान करेगा।

मेरे कस्बे में ट्रेन की पटरियाँ डाले जाने हेतु सर्वे आदि का कार्य गत तीस वर्षों से द्रुत गति से चल रहा है। घोषणाओं की रफ्तार देखकर ऐसा जान पड़ता है कि सेमिनार आयोजन से पूर्व ही कस्बे में ट्रेन चल पड़ेगी, लेकिन दुर्भाग्य से यदि ऐसा न हो सका तो तुमसे निवेदन है कि अपने टीए-डीए के बिल में ट्रेन के सेकंड एसी के टिकट के झूठे नंबर मत लिखना। एक ही श्रेणी की चलने वाली खटारा बस का किराया तुम्हें ससम्मान दिया जाएगा।

पिछले वर्ष तुमने अपने कस्बे में आयोजित सेमिनार में मुझे निमंत्रित किया था। वहाँ से प्राप्त अनुभवों के आधार पर ही मैंने यहाँ तैयारियाँ की हैं। मुझे जैसी सुखद अनुभूतियाँ वहाँ हुईं, वैसी ही तुम्हें भी यहाँ होंगी; ऐसी आशा है।
शेष मिलने पर,

सेमिनार संयोजक

जॉनी।