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Written By WD

इस दिवाली ऐसे करें मन की सफाई

डॉ. अर्चना मेहता

Diwali 2013 | इस दिवाली ऐसे करें मन की सफाई
दीपावली पर हम अपने घरों की सफाई-पुताई करते हैं। हर वर्ष दिवाली आती है और चली जाती है, लेकिन हमारी अपने मन के प्रति उदासीनता ज्यों की त्यों बनी रहती है। यदि मन की गंदगी नहीं मिटी तो सारा का सारा बाहरी सौंदर्यीकरण व्यर्थ है। क्या ही अच्छा हो कि हम अपने घर और शरीर के साथ-साथ अपने मन की भी सफाई-पुताई करें।

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* आइए इस बार हम मन की ग्रंथियां और कुंठारूपी कचरा निकाल बाहर करें।

* मन में नकारात्मकता के अनेक जाले लगे हुए हैं जिनसे मन गंदा लगता है। हम सकारात्मकता की झाड़ू से इन जालों को हटाकर अपने मन को स्वच्छ बनाएं।

* हम जहां से भी हो सके, सद्गुणों को ग्रहण करें और इस चूने से मन की दीवारों की पुताई करें। अब हम अपने आदर्श महापुरुषों की तस्वीरें उन दीवारों पर टांग दें। ये तस्वीरें हमें आत्मविकास की प्रेरणा देती रहेंगी।



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* हम मन के द्वार एवं खिड़कियों पर आत्मविश्वास का रंग-रोगन करें।

* हम नियमित ध्यान के जल से मन में पोंछा लगाएं। इससे मन के फर्श पर अशांति के दाग-धब्बे मिटेंगे।

* हम रचनात्मक अभिरुचियों से मन को सजाएं-संवारें।

* अपने मनरूपी घर में हम पवित्रता की अगरबत्ती जलाएं ताकि जो भी हमारे संपर्क में आए, उसका मन भी इसकी भीनी-भीनी खुशबू से हर्षित हो। मां लक्ष्मी भी इससे प्रसन्न होंगी।


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*हम अपने मन में आशाओं के दीप जलाएं, तभी मन से निराशा का अंधकार दूर होगा।

*मन में मीठे वचनों की मिठाई बनें। जिससे भी हम मिलें, इन मीठे वचनों की स्वादिष्ट सौगातें उसे मिलें।

*कभी हमारे मन में खुशियां मेहमानी करने आती हैं, तो कभी दुःख। हम इनका समान रूप से स्वागत करें। खुशियां यदि हमें प्यारी लगती हैं, तो दुःख भी हमें बहुत कुछ सिखाकर जाते हैं।

* मन में क्रोधरूपी डाकू के प्रवेश का खतरा सदा रहता है। यह वर्षों से संचित कीमती सद्विचारों की पूंजी को पलभर में हमसे लूट ले जाता है। इसके लिए दृढ़ संकल्परूपी चौकीदार को दरवाजे पर नियुक्त करें ताकि क्रोध अंदर आ ही न सके।

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इस प्रकार हम अपने मन को ईश्वर के रहने लायक बनाएं। ईश्वर जब इसमें विराजित होंगे, तब आनंद की प्राप्ति होगी जिसको पाने के लिए हम जन्मों-जन्मों से प्यासे हैं।