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Last Updated : शनिवार, 11 फ़रवरी 2017 (11:45 IST)

पढ़ाई में अच्छे नहीं होते सख्त मां-बाप के बच्चे: स्टडी

पढ़ाई में अच्छे नहीं होते सख्त मां-बाप के बच्चे: स्टडी - Parents and students
बच्चों को नियम कायदे सिखाने के लिए जरूरी नहीं कि उनके साथ सख्ती बरती जाएं। एक अध्ययन के मुताबिक जिन बच्चों को मां-बाप की लताड़ और सख्ती का सामना करना पड़ता है वे पढ़ाई की जगह सेक्स और अपराध में लिप्त हो जाते हैं।
स्कूल में बच्चों के अच्छे या खराब प्रदर्शन के जिम्मेदार महज बच्चे ही नहीं बल्कि उनके मां-बाप भी हैं। इसलिए अगर आपका बच्चा स्कूल में अच्छा परफॉर्म नहीं कर रहा तो उसे डांटने के बजाय बतौर मां-बाप आपको सोचना होगा कि आप कहीं गलत ढंग से पेश तो नहीं आ रहे हैं। मां-बाप द्वारा बच्चों को शारीरिक दंड देना या उनके साथ डांट-डपट करना भी इनके खराब प्रदर्शन का कारण हो सकता है।
 
अमेरिका की पिट्सबर्ग यूनिवर्सटी के शोधकर्ताओं मुताबिक जो बच्चे सख्त माहौल में पले-बढ़े होते हैं वे ही अधिकतर समय अपना होमवर्क छोड़कर दोस्तों के साथ खेलने जाते हैं। यहां तक कि अपनी दोस्ती निभाने के लिए ये बच्चे मां-बाप द्वारा बनाए गए नियम-कायदों को तोड़ने से भी नहीं कतराते। नतीजन स्कूल में इनके प्रदर्शन पर बुरा असर पड़ता है।
 
शोधकर्ताओं ने 12-21 साल की उम्र वाले 1500 बच्चों पर एक अध्ययन किया। इस शोध में मां-बाप द्वारा बच्चों को शारीरिक और मानसिक रूप से लताड़े जाने की घटनाओं का आकलन किया गया। साथ ही बच्चों की अपने दोस्तों के साथ होने वाली बातचीत, आपराधिक मामलों पर इनकी सोच और सेक्सुअल बिहेवयर पर भी नजर रखी गई। इन बच्चों से कई सवाल पूछे गए मसलन पिछले महीने कितनी बार इन्हें मां-बाप से डांटा, कितनी बार मां-बाप इन पर चिल्लाए।
 
नतीजतन, यह देखा गया कि सख्त माहौल में पले-बढ़े 7वीं कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे दो साल बाद मां-बाप के नियम कायदों के सामने अपने साथियों और दोस्तों को अधिक अहमियत देने लगते हैं। 11वीं कक्षा तक आते-आते ये बच्चे जोखिम मोल लेने लगते हैं। लड़कियों
 
का झुकाव जहां सेक्स की ओर नजर आने लगता है तो लड़कों की आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने की संभावना बढ़ जाती है।
 
शोधकर्ताओं में शामिल रॉशेल हेंटगीज ने डीडब्ल्यू को बातचीत में कहा, "मां-बाप का यह सोचना गलत है कि बच्चों को कुछ विषयों के बारे में अपने आप ही जानकारी मिल जाएगी, इसकी बजाय बेहतर है कि उन्हें जानकारी दी जाए।" इस शोध में भाग ले करीब 56 फीसदी बच्चे अफ्रीकी-अमेरिकी थे।
 
अमेरिकी पत्रिका "चाइल्ड डेवलपमेंट" में छपी रिपोर्ट में कहा गया है कि अकसर लोग परवरिश को दो तरीके से देखते हैं। अभिभावक या तो बहुत उदार नजर आते हैं या वे अपने बच्चों के साथ बहुत सख्त होते हैं और शारीरिक दंड देने से भी नहीं हिचकते। लेकिन ये दोनों ही रुख सही नहीं हैं। मां-बाप को अपने बच्चों को प्रोत्साहित करने वाला माहौल देना चाहिए जहां सही-गलत की सीमाएं तय हों लेकिन शारीरिक दंड के लिए कोई जगह न हो।

- कॉनर डिलन/एए
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