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Written By DW
Last Updated : शुक्रवार, 16 अप्रैल 2021 (09:01 IST)

नवजात शिशु और बच्चे कोरोना की नई लहर से अधिक संक्रमित

नवजात शिशु और बच्चे कोरोना की नई लहर से अधिक संक्रमित - Newborn and child more infected with new wave of corona
कोरोनावायरस की चल रही घातक दूसरी लहर में अब बच्चे भी गंभीर लक्षणों के साथ बड़ी संख्या में कोविड-19 से संक्रमित हो रहे हैं, जो कि भारतीय अभिभावकों के लिए चिंता बढ़ाने वाली बात है।
 
दिल्ली में कोरोना की नई लहर ने अपना विकराल रूप दिखाना शुरू कर दिया है। क्या बच्चे और क्या ही बुजुर्ग, हर कोई इस संक्रमण की चपेट में आ रहा है। दिल्ली के डॉक्टरों के अनुसार इस लहर में 12 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ नवजात शिशुओं में भी संक्रमण मिला है। साथ ही नौजवान युवा भी इसके शिकार हो रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पहले ही इस लहर को खतरनाक मान चुके हैं, वहीं डॉक्टर भी इस लहर को बेहद खतरनाक मान रहे हैं जिसकी वजह से अस्पतालों में छोटे बच्चों से लेकर युवाओं में इस संक्रमण का असर तेजी से बढ़ रहा है।
 
दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में आपातकालीन विभाग की प्रमुख डॉ. ऋतु सक्सेना ने आईएएनएस को जानकारी देते हुए बताया कि इस बार बच्चों में भी कोविड देखने को मिल रहा है। कुछ दिन के बच्चे भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं। जबसे यह नई लहर शुरू हुई है, तबसे अभी तक 7 से 8 छोटे बच्चे भर्ती हुए हैं। हर दिन में 1 या 2 बच्चे आ रहे हैं। इनमें सबसे छोटा बच्चा वह नवजात शिशु है जो अस्पताल में ही संक्रमित हुआ था। इसके अलावा 15 से 30 वर्ष तक के करीब 30 फीसदी नौजवान लोगों में भी संक्रमण दिख रहा है।
 
दिल्ली के मुख्यमंत्री भी युवाओं को लेकर अपनी चिंता व्यक्त कर चुके हैं और उन्होंने अपील करते हुए भी कहा था कि जरूरी वक्त में ही घर से बाहर निकलें। डॉ. सक्सेना ने बताया कि इस बार जिन नौजवानों को संक्रमण हो रहा है, उन सबमें बुखार का लक्षण जरूर देखने को मिल रहा है। बेड न मिलने का डर, लोगों को अस्पतालों की ओर खींच रहा है, लोगों का मानना है कि यदि अस्पताल में बेड मिल जाएगा, तो हम बच जाएंगे। लोगो के अंदर से पहले यह डर निकालना होगा।
 
उनका कहना है कि अस्पताल में यदि वही मरीज आएं जिनको सच में इलाज की जरूरत है, तो अस्पताल सही ढंग से इस बीमारी से निपट सकता है, वरना डॉक्टरों का आधा समय अन्य मरीजों को समझाने में ही लग जा रहा है। इस बार यह भी देखा जा रहा है कि यदि घर में 1 व्यक्ति पॉजिटिव है, तो पूरा परिवार संक्रमित पाया जा रहा है।
 
दिल्ली में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 17,282 नए मरीजों की पुष्टि हुई और एक बार 1 लाख से ज्यादा 1,08,534 सैंपल की जांच में 15.92 पॉजिटिविटी रेट दर्ज हुआ है। वायरस की वजह से 104 मरीजों की मौत हो गई। बढ़ते मामलों को देख दिल्ली में वीकेंड कर्फ्यू का ऐलान कर दिया गया है। कर्फ्यू शुक्रवार रात 10 बजे शुरू होगा और सोमवार सुबह 6 बजे तक जारी रहेगा।
 
शहर के डॉक्टरों ने गुरुवार को माता-पिता से आग्रह किया कि वह अपने बच्चों को बाहर न निकलने दें और उन्हें इस खतरनाक वायरस से बचाएं। इससे पहले कोरोनावायरस का बच्चों में बहुत हल्का या कोई प्रभाव नहीं दिखा था। हालांकि, अपने दूसरे दौर में वायरस अब 45 वर्ष से कम उम्र के वयस्कों और बच्चों दोनों के लिए बहुत गंभीर हो रहा है।
 
गुरुग्राम स्थित फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में पीडियाट्रिक्स विभाग के प्रमुख और निदेशक डॉ. कृष्ण चुघ ने कहा कि इस दूसरी लहर में बच्चों में कोविड-19 संक्रमण के काफी नए मामले सामने आ रहे हैं और इनकी संख्या पहले की तुलना में काफी अधिक है। ज्यादातर बच्चे, जो कोविड-19 से प्रभावित हैं, उनमें मौजूद लक्षण हल्का बुखार, खांसी, जुकाम और पेट से संबंधित समस्याएं हैं। कुछ को शरीर में दर्द, सिरदर्द, दस्त और उल्टी की भी शिकायत है।
 
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अक्टूबर 2020 के एक दस्तावेज में बताया था कि कोविड-19 वयस्कों की तुलना में बच्चों में बहुत कम देखा गया है। बच्चों और किशोरों में रिपोर्ट किए गए मामले लगभग 8 प्रतिशत (वैश्विक आबादी का 29 प्रतिशत) दर्ज किए गए हैं। पीएसआरआई अस्पताल साकेत में वरिष्ठ सलाहकार बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सरिता शर्मा ने आईएएनएस से कहा कि इस दूसरी लहर में सभी आयु वर्ग के बच्चे, यहां तक कि 1 वर्ष से कम आयु के बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं।
 
बच्चों के लिए स्थिति पिछले साल से काफी अलग है, जो कि चिंता बढ़ानी वाली बात है। नई दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. धीरेन गुप्ता ने कहा कि अब बच्चे 103-104 डिग्री सेल्सियस से अधिक बुखार से प्रभावित हो रहे हैं, जो 5-6 दिनों तक बना रहता है। उन्होंने कहा कि ऐसे भी कुछ मामले हैं जिनमें निमोनिया भी देखा गया है। कुछ बच्चों में मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम (एमआईएस-सी) जैसी अधिक गंभीर जटिलताएं भी देखी गई हैं।
 
डॉ. गुप्ता ने बताया कि अगर बुखार 5-6 दिनों तक रहता है, तो माता-पिता को अपने बच्चों के रक्तचाप की निगरानी करनी चाहिए। हालांकि, पल्स ऑक्सीमीटर के साथ उनके ऑक्सीजन के स्तर की जांच करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उनमें ऑक्सीजन संबंधी दिक्कतों का सामना करने की ज्यादा संभावना नहीं है। बच्चों के लिए यह डिवाइस अनफिट है।
 
विशेषज्ञों ने कहा कि बच्चों में हल्के लक्षणों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए और माता-पिता को बच्चों में संभावित डायरिया, सांस लेने में समस्या और सुस्ती जैसे लक्षणों पर ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने खासकर बुखार के साथ इस तरह के लक्षणों पर सतर्क रहने की सलाह दी। बच्चों में ऐसी समस्याओं को पहचानने में माता-पिता को सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि शुरुआती तौर पर एक्शन लेने से बेहतर परिणाम प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
 
आईएएनएस/आईबी

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