शनिवार, 20 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. Musharraf sentenced to death
Written By
Last Modified: मंगलवार, 14 जनवरी 2020 (09:26 IST)

मुशर्रफ की सजा ए मौत खारिज

मुशर्रफ की सजा ए मौत खारिज - Musharraf sentenced to death
लाहौर हाई कोर्ट ने परवेज मुशर्रफ की मौत की सजा खारिज कर दी है। हाई कोर्ट ने पूर्व तानाशाह राष्ट्रपति के खिलाफ चली पूरी न्यायिक प्रक्रिया को ही असंवैधानिक करार दिया है।
 
लाहौर हाई कोर्ट की 3 जजों की बेंच ने पूर्व आर्मी चीफ और राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाने की पूरी प्रक्रिया को ही असंवैधानिक करार दिया है। बेंच ने एकमत से मुशर्रफ के पक्ष में फैसला दिया। 76 साल के मुशर्रफ को 17 दिसंबर 2019 को इस्लामाबाद में एक विशेष अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। 6 साल की सुनवाई के बाद स्पेशल कोर्ट उस नतीजे पर पहुंचा था। लेकिन हाई कोर्ट के ताजा फैसले के साथ ही मौत की सजा का फैसला तुरंत प्रभाव से रद्द हो गया है।
अदालत में सरकार की पैरवी कर रहे एडिशनल अटॉर्नी जनरल इश्तियाक ए खान से हाई कोर्ट ने पूछा कि मुशर्रफ के मामले की जांच के लिए विशेष अदालत का गठन कैसे किया गया? क्या इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी ली गई? कैबिनेट में इस पर कब चर्चा हुई?
 
सवालों के जवाब में एडिशनल अटॉर्नी जनरल ने कहा, 'यह सच है कि मुशर्रफ के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट के गठन का फैसला कैबिनेट की अनुमति के बिना हुआ।' इन्हीं आधारों पर हाई कोर्ट ने मुशर्रफ की सजा को असंवैधानिक करार दिया।
 
हाई कोर्ट ने यह भी माना कि, 'आपातकाल भी संविधान का ही हिस्सा है।' बेंच में शामिल जस्टिस नकवी ने सरकार से पूछा कि, 'अगर ऐसी स्थिति हो कि सरकार को इमरजेंसी लगानी पड़े तो क्या सरकार के खिलाफ भी राजद्रोह का मुकदमा दायर करना चाहिए?'

मुशर्रफ की सजा खारिज होना नवाज शरीफ की पार्टी के लिए बड़े झटके से कम नहीं है। फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए एडिशनल अटॉर्नी जनरल इश्तियाक ए खान ने कहा, 'शिकायत दर्ज करना, कोर्ट का गठन करना, अभियोजन पक्ष का चुनाव करना, गैरकानूनी है। इसे गैरकानूनी घोषित किया जाता है और इसके साथ ही पूरा फैसला ही किनारे किया जाता है।'
मुशर्रफ लंबे समय से स्वनिर्वासन में संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी दुबई में रह रहे हैं। दिसंबर में सेहत खराब होने के कारण उन्हें दुबई के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दिसंबर 2019 में पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार ऐसा मौका आया, जब किसी सेनाध्यक्ष को मौत की सजा सुनाई गई। दिसंबर में फैसले के तुरंत बाद पाकिस्तान की ताकतवर सेना ने साफ कहा था कि वह अपने 76 साल के रिटायर्ड जनरल के साथ खड़ी है। सेना के मुताबिक स्पेशल कोर्ट के फैसले से आर्मी को काफी पीड़ा पहुंची है।
 
कारगिल का युद्ध मुशर्रफ की ही योजना थी
 
1999 में भारत के साथ कारगिल की जंग छेड़ने के बाद मुशर्रफ ने तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का तख्तापलट कर पाकिस्तान की सत्ता हासिल की थी। अमेरिका पर 9/11 के हमलों के बाद 2001 में आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में मुशर्रफ वॉशिंगटन के अहम सहयोगी बने।
 
2007 में अदालत के फैसलों और व्यापक प्रदर्शनों को दबाने के लिए मुशर्रफ ने इमरजेंसी लगा दी। अगले ही साल 2008 में महाभियोग से बचने के लिए मुशर्रफ को राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देना पड़ा।
 
परवेज मुशर्रफ पर पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या का आरोप भी है। लंदन के निर्वासन से पाकिस्तान लौटीं पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की 2007 में एक आत्मघाती हमले में मौत हो गई। 2017 में एक अदालत ने मुशर्रफ को इस मामले में 'भगोड़ा' घोषित किया और पाकिस्तान में दाखिल होते ही उनकी गिरफ्तारी का वॉरंट जारी किया।
 
ओएसजे/आरपी (एएफपी, रॉयटर्स, डीपीए)
ये भी पढ़ें
जॉर्डन के राजा ने जताई इस्लामिक स्टेट के उदय की आशंका