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Written By DW
Last Modified: गुरुवार, 18 जून 2015 (18:15 IST)

आईएस की कामयाबी का राज

आईएस की कामयाबी का राज - Islamic State of Syria and Iraq
सीरिया और इराक में इस्लामी खिलाफत की घोषणा के एक साल बाद साफ है कि अबु बक्र अल बगदादी की कामयाबी का राज सद्दाम हुसैन की बची खुची सेना से बनी सेना और राज्य है। साथ ही इराक, सीरिया और बाहर के सुन्नियों से पाया समर्थन भी।
इस एक साल में स्वयंभू खलीफा ने अपने राज्य का पूर्वी सीरिया से पश्चिमी इराक तक विस्तार कर लिया है और इसमें युद्ध में फंसे लीबिया और मिस्र के सिनाई प्रायद्वीप के कुछ इलाके भी शामिल हैं। अब अल बगदादी ने अपनी निगाह इस्लाम के जन्मस्थान सऊदी अरब पर डाली है। इसके अलावा इस्लामिक स्टेट ने तुर्कों के लिए एक ऑनलाइन पत्रिका शुरू की है जो सौकड़ों की तादाद में उनके जिहाद के लिए शामिल हुए हैं। नए रंगरूटों की भर्ती के लिए जो ढोल बजाया जा रहा है वह साफ और जोरदार है। शिया विधर्मियों, ईसाई धर्मयोद्धाओं, यहूदी नास्तिकों और कुर्द काफिरों के खिलाफ क्रूर जिहाद के लिए अपने समर्थकों का आह्वान। वह सुन्नी इस्लाम को अपवित्र करने के लिए अरब तानाशाहों को धिक्कारते हैं।
 
नेतृत्व का दावा : संदेश है कि जहां इराक के शासक 2003 में अमेरिका के नेतृत्व वाले हमले को नहीं रोक पाए जिसके परिणामस्वरूप देश शिया लोगों के हाथों में चला गया, जहां सरकार सीरिया के अलावा अल्पसंख्यक शासन के खिलाफ जिहाद के लिए तैयार नहीं थी और न ही इसराइल से येरूशलेम वापस लेने के लिए, अब इस्लामिक स्टेट रास्ता दिखाएगी। इस धार्मिक कहानी में इस्लामिक स्टेट के योद्धा आग और तलवार के बूते अरब दुनिया को मुक्ति दिलाने के ईश्वरीय मिशन पर हैं। और यही लोगों का सर कलम किए जाने या आग लगाए जाने वाले वीडियो में दिखता है।
 
आईएस की कामयाबी में दूसरे कारकों की भी भूमिका है। इराक के पूर्व शासक सद्दाम हुसैन के समर्थकों और इराक युद्ध से निकले इस्लामी कट्टरपंथियों के अलावा अल बगदादी स्थानीय सुन्नियों और उनके कबीलों पर निर्भर है, जबकि जिहाद के लिए विदेशी योद्धाओं पर निर्भरता है। विदेशी वॉलेंटियरों की उपस्थिति के बावजूद जिहादी नेताओं का कहना है कि आईएस की सेना में उसके दो प्रमुख गढ़ों में 90 फीसदी इराकी और 70 फीसदी सीरियाई हैं। इन गढ़ों में आईएस के 40,000 लड़ाके और 60,000 समर्थक हैं। अमेरिकी कब्जे के दौरान जेल में सद्दाम हुसैन की बाथ पार्टी के साथ संपर्क साधने वाले बगदादी का पैगंबर मुहम्मद का वंशज और कुरैशी खानदान का होने का दावा है।
 
प्रभाव की लड़ाई : सुन्नी बहुल इलाकों में भी कट्टरपंथी संगठनों के बीच प्रभाव बढ़ाने की लड़ाई चल रही है। अफगानिस्तान में सक्रिय तालिबान ने इस्लामिक स्टेट के नेता अबू बक्र अल बगदादी से अपील की है कि वह अपने संगठन को अफगानिस्तान से दूर रखे। तालिबान की केंद्रीय परिषद के कार्यवाहक प्रमुख मुल्ला अख्तर मुहम्मद मंसूर ने इस्लामिक स्टेट के नेता को खुला पत्र लिखकर कहा है कि इस्लामिक स्टेट ऑफ अमीरात अफगानिस्तान (तालिबान के 2001 के शासन के समय का नाम) के समानांतर किसी दूसरे मोर्चे की जरूरत नहीं है।
 
यह पहला अवसर है जबकि तालिबान ने अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट के सक्रिय होने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। दोनों पक्षों के बीच पूर्वी नंगरहार प्रांत में संघर्ष होने की खबर मिली है। तालिबान अपने कई सदस्यों के इस्लामिक स्टेट में शामिल हो जाने की खबर से चिंतित है।
 
उसके नेता ने इस्लामिक स्टेट के नेता को लिखा है, 'हम आपके गुट के मामले में दखल नहीं देना चाहते और आप से भी चाहते हैं कि आप हमारे मामले में दखल नहीं दें।' प्रांतीय राजधानी जलालाबाद में तालिबान तथा इस्लामिक स्टेट के बीच संघर्ष से सैकड़ों परिवार अपना घर छोड़कर चले गए हैं।
 
- एमजे/आईबी (रॉयटर्स, वार्ता)