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Last Modified: गुरुवार, 25 जनवरी 2018 (11:33 IST)

ये हैं बॉलीवुड की सबसे विवादित फिल्में

ये हैं बॉलीवुड की सबसे विवादित फिल्में | Disputed films
फिल्मों को समाज का आईना कहा जाता है। लेकिन कई मामलों में इस आईने को कभी विवाद तो कभी टकराव का सामना करना पड़ा। कुछ फिल्मों पर प्रतिबंध भी लगे तो कुछ ने लोगों का गुस्सा भी झेला। बॉलीवुड की सबसे विवादित कुछ फिल्में।
 
आंधी
इंदिरा गांधी के राजनीतिक सफर पर बनी यह फिल्म कांग्रेस के शासन काल में बैन रही। जब सत्ता परिवर्तन हुआ तो इस फिल्म से बैन हटा लिया गया और इसे दूरदर्शन पर भी दिखाया गया।
 
इंसाफ का तराजू
बीआर चोपड़ा के निर्देशन और अभिनेता राज बब्बर के अभिनय वाली फिल्म इंजाफ का तराजू भी विवादों में रही। फिल्म में 13 साल की बच्ची के साथ रेप सीन दिखाया गया था जिसका जमकर विरोध किया गया।
 
बेंडिट क्वीन
फूलन देवी की जिंदगी पर शेखर कपूर की यह फिल्म बॉलीवुड की बेहद ही विवादित फिल्मों में से एक है। फिल्म में न्यूड और रेप सीन के साथ-साथ गालियों का भी इस्तेमाल किया गया था जिसे लेकर विवाद पैदा हुआ।
 
द ब्लैक फ्राइडे
साल 1993 के मुंबई बम धमाकों की पृष्ठभूमि पर आधारित इस फिल्म के प्रदर्शन पर दो साल तक रोक लगी रही। ऐसा कहा गया कि फिल्म का प्रदर्शन न्यायिक जांच और निर्णय को प्रभावित कर सकता है।
 
किस्सा कुर्सी का
भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी की राजनीतिक शैली पर तंज कसती इस फिल्म पर आपातकाल के दौरान प्रतिबंध लगा दिया गया था। फिल्म में शबाना आजमी, उत्पल दत्त जैसे मंझे हुए कलाकार थे।
 
फिराक
नंदिता दास की यह फिल्म साल 2002 के गुजरात दंगों पर आधारित थी। फिल्म को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कई अवॉर्ड और सम्मान मिले। लेकिन इस फिल्म पर गुजरात में प्रतिबंध रहा और उसे वहां रिलीज नहीं किया गया।
 
फायर
शबाना आजमी और नंदिता दास के अभिनय वाली इस फिल्म में लेस्बियन थीम को दिखाया गया था। महाराष्ट्र में शिव सेना और बजरंग दल जैसे कई राजनीतिक गुटों ने इस फिल्म की थीम का विरोध किया। विवादों के बीच यह सवाल भी उठा कि क्या भारत नए सिनेमा के लिए तैयार नहीं है।
 
वाटर
दीपा मेहता की फिल्म वाटर, आश्रम में रहने वाली विधवाओं की जिंदगी को दिखाती है। फिल्म को हिंदु समाज की मान्यताओं को ठेस पहुंचाने वाला बताया गया और इसके पोस्टरों को भी जलाया गया। लोगों ने फिल्म निर्माण में भी बाधा पहुंचाई।
 
आरक्षण
जातिगत आरक्षण जैसे संवेदनशील विषय को दिखाती इस फिल्म पर उत्तर प्रदेश, पंजाब और आंध्र प्रदेश में बैन लगा दिया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस बैन को हटाया गया। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, दीपिका पादुकोण मुख्य भूमिकाओं में थे।
 
ओह माई गॉड
भारत की धार्मिक मान्यताओं और इसकी स्थिति को अच्छे से प्रस्तुत करने के लिए फिल्म की तारीफ की गई। लेकिन विवाद भी इससे दूर नहीं रहे। हिंदुवादी संगठनों ने विरोध कर कहा कि यह हिंदुओं की भावनाओं को आहत करती है। इस फिल्म पर संयुक्त अरब अमीरात में भी प्रतिबंध लगाया गया।
 
मद्रास कैफे
जान अब्राहम अभिनीत यह फिल्म पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की पृष्ठभूमि पर आधारित थी। इसमें श्रीलंकाई गृह युद्ध में भारतीय दखल को दिखाया गया था। तमाम तमिल समूहों ने इस फिल्म पर प्रतिबंध की मांग की थी।
 
पीके
आमिर खान और अनुष्का शर्मा की इस फिल्म ने एक बड़ी बहस छेड़ी थी। फिल्म में दिखाया गया था कि कुछ मान्यताएं और रीति रिवाज अंधविश्वास से भरे हुए हैं। जिसके चलते विवाद खड़ा हुआ था।
 
माय नेम इज खान
साल 2010 में फिल्म के रिलीज के आसपास अभिनेता शाहरुख खान ने कहा था कि वे चाहते हैं कि आईपीएल टूर्नामेंट में पाकिस्तानी खिलाड़ी भी हिस्सा लें। बस फिर क्या था, शिवसेना समेत तमाम हिंदूवादी संगठनों ने फिल्म की रिलीज पर मुश्किलें खड़ी कीं।
 
फना
फिल्म के रिलीज से पहले अभिनेता आमिर खान ने नर्मदा बांध की ऊंचाई बढ़ाने को लेकर एक बयान दिया था। जिसके बाद गुजरात की तत्कालीन भाजपा सरकार ने राज्य में न सिर्फ फिल्म के रिलीज पर प्रतिबंध लगा दिया था बल्कि आमिर द्वारा प्रचार किए जाने वाले सभी उत्पादों को भी बैन कर दिया था।
 
बूम
कैटरीना कैफ अपनी इस पहली फिल्म को अब शायद याद भी न रखना चाहें। फिल्म में गुलशन ग्रोवर और कैटरीना कैफ का एक किसिंग सीन था जिसे बाद में हटाया गया था। लेकिन फिल्म को सॉफ्ट पोर्न कहा गया था, जिसके चलते विवाद हुआ।
 
हैदर
कश्मीर की पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म में भारतीय सेना की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए। एक बड़ा गुट इसका विरोध करता रहा साथ ही फिल्म के बॉयकॉट का आह्वान भी किया गया। फिल्म में शाहिद कपूर, तब्बू, श्रद्धा कपूर मुख्य भूमिकाओं में थे।
 
लम्हा
अभिनेत्री बिपाशा बसु अभिनीत इस फिल्म में कश्मीर मुद्दे को दिखाया गया। लेकिन अपने संवेदनशील विषय के चलते फिल्म सऊदी अरब, पाकिस्तान, बहरीन, कुवैत, कतर, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात में बैन है। संयुक्त अरब अमीरात के सेंशरशिप बोर्ड ने फिल्म को बेहद ही विवादित और आपत्तिजनक कहा।
 
द डर्टी पिक्चर
सिल्क स्मिता के जीवन पर बनी यह फिल्म एक तो इसके पोस्टर के चलते विवादों में रही। वहीं दूसरा कारण था इसके अदालती पचड़े। सिल्क स्मिता के भाई ने फिल्म निर्देशकों को अदालती नोटिस भेजा।
 
परजानिया
गुजरात दंगों पर आधारित इस फिल्म को गुजरात में नहीं दिखाया जा रहा था। लेकिन एक सामाजिक संस्था की मुहिम के बाद इस संवेदनशील फिल्म को गुजरात के कुछ हिस्सों में दिखाया गया।
 
एक छोटी सी लव स्टोरी
इस फिल्म की अभिनेत्री मनीषा कोईराला ने ही फिल्म के रिलीज पर बैन की मांग की थी और अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
 
रंग दे बंसती़
आमिर खान अभिनीत इस फिल्म में मामला भावनाओं से जु़ड़ा नहीं था बल्कि यहां पशु संरक्षण और पशु अधिकारों की बात की गई। भाजपा नेता मेनका गांधी ने फिल्म में घोड़े के इस्तेमाल पर सवाल उठाया था।
 
लिपिस्टिक अंडर माय बुर्का
फिल्म निर्माता प्रकाश झा की फिल्म लिपिस्टक अंडर माय बुर्का को सेंसर बोर्ड ने प्रमाणित करने से मना कर दिया था। बोर्ड ने कहा था कि यह एक महिला प्रधान फिल्म है जो असल जिदंगी के परे है। बोर्ड ने कहा कि इसमें विवादास्पद यौन दृश्य, अपमानजनक शब्द और ऑडियो पोर्नोग्राफी शामिल है जो समाज के एक खास तबके के प्रति अधिक संवेदनशील है।
 
उड़ता पंजाब
शाहिद कपूर अभिनीत फिल्म उड़ता पंजाब को लेकर बोर्ड और फिल्म निर्माताओं के बीच बड़ा विवाद हुआ था। पंजाब में नशे की समस्या पर बनी इस फिल्म में बोर्ड ने 89 कट सुझाये थे। मामला हाई कोर्ट पहुंचा और अदालत ने एक कट के साथ इसे रिलीज करने की अनुमति दी।
 
मैंसेजर ऑफ गॉड
इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने रिलीज सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया था और मामले को समीक्षा समिति के पास भेजा था। बोर्ड ने फिल्म निर्माता-निर्देशक, लेखक अभिनेता गुरमीत राम रहीम सिंह के स्वयं को देवता के रूप में पेश किये जाने पर विरोध जताया था। लेकिन फिल्म को प्रमाणन अपीलीय ट्रिब्यूनल ने स्क्रीनिंग की मंजूरी दी। इसके बाद तत्कालीन बोर्ड अध्यक्ष लीला सैमसन ने इस्तीफा दे दिया।
 
जॉली एलएलबी 2
भारतीय न्यायिक व्यवस्था पर व्यंग्य करती अभिनेता अक्षय कुमार की फिल्म जॉली एलएलबी-2 पर सेंसर बोर्ड ने नहीं, बल्कि बंबई हाई कोर्ट ने कट लगाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि फिल्म से उन दृश्यों को हटाया जाए जो वकीलों की गलत छवि पेश करते हैं।
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