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Written By DW
Last Updated : शुक्रवार, 5 मार्च 2021 (09:04 IST)

महिला कर्मचारियों को कम वेतन मिलने के खिलाफ मुहिम

Female employees | महिला कर्मचारियों को कम वेतन मिलने के खिलाफ मुहिम
यूरोपीय आयोग महिला कर्मचारियों को पुरुषों के मुकाबले कम वेतन मिलने की समस्या से निपटने की तैयारी कर रहा है। आयोग के प्रस्ताव के तहत कंपनियों को इस गैरबराबरी की जानकारी को दर्ज करना होगा और आयोग के साथ साझा करना होगा।
 
आयोग ने इस पर एक नया कानून बनाया है जिसे गुरुवार को सार्वजनिक किया गया। रॉयटर्स ने इसका मसौदा देखा है। मसौदे के मुताबिक नया कानून 250 से ज्यादा कर्मचारियों वाली सभी कंपनियों पर लागू होगा। आयोग को उम्मीद है कि इससे वेतन देने की व्यवस्था में जो पारदर्शिता आएगी उससे, इस गैरबराबरी को दुरुस्त किया जा सकेगा। कोरोनावायरस महामारी के काल में आ रहे इस कानून का विशेष महत्व है।
 
कई अध्ययन यह दिखा चुके हैं कि कोविड-19 का असर पुरुषों से ज्यादा कामकाजी महिलाओं पर पड़ा है। यूरोपीय आयोग के मुताबिक 27 देशों के यूरोपीय संघ में महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले औसतन 14 प्रतिशत कम वेतन मिलता है। आयोग का कहना है कि इसका मतलब है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं हर साल लगभग 2 महीने बिना वेतन के काम करती हैं। यह गैरबराबरी लग्जेम्बर्ग में 1.4 प्रतिशत है तो एस्टोनिया में 21.8 प्रतिशत।
 
नया कानून कर्मचारियों और नौकरी पाने के लिए आवेदन करने वालों को यह अधिकार देगा कि वो अपने पद के लिए वेतन से संबंधित जानकारी कंपनियों से मांग सकेंगे। इसके तहत वो पूछ सकेंगे कि उनके पद के लिए अपेक्षित वेतन कितना है? और दूसरों के वेतन से तुलना में उसका स्तर क्या है? जो कंपनियां वेतन देने में पुरुषों और महिलाओं के बीच भेदभाव की दोषी पाई जाएंगी, उन पर जुर्माना लगाया जाएगा।
 
पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को परिवार के सदस्यों की देखभाल करने से संबंधित ज्यादा जिम्मेदारियों को उठाना पड़ता है जिसकी वजह से उन्हें बीच-बीच में काम से छुट्टी लेनी पड़ती है और काम करने के घंटों को भी कम करना पड़ता है। वेतन में भेदभाव के साथ मिलकर ये सभी कारण उनकी पेंशन को भी पुरुषों की पेंशन से 30 प्रतिशत नीचे धकेल देते हैं।
 
2014 से इस गैरबराबरी में थोड़ी-सी ही कमी आई है और हाल में हुए अध्ययन दिखाते हैं कि महामारी ने श्रम बाजार की इस असमानता को और गहरा कर दिया है। लिंक्डइन के मुताबिक पुरुषों के मुकाबले ज्यादा महिलाओं की नौकरी गई, क्योंकि महामारी का सबसे ज्यादा असर रिटेल, यात्रा और लेजर क्षेत्रों पर पड़ा।
 
लिंक्डइन ने कहा कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की नौकरियां आर्थिक झटकों के आगे ज्यादा कमजोर होती हैं। इस से कार्यक्षेत्र में बराबरी को काफी धक्का लगा है। फरवरी में आई यूरोपीय संघ की संस्था यूरोफाउंड की एक रिपोर्ट में भी इसी तरह के नतीजे सामने आए थे। रिपोर्ट में कहा गया था कि महामारी का सबसे पहला असर अनुपातहीन रूप से कम कमाई वाली महिलाकर्मियों पर पड़ा है।
 
सीके/एए (रॉयटर्स)
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