शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. animals and bird population
Written By
Last Modified: शनिवार, 29 अक्टूबर 2016 (10:47 IST)

पृथ्वी पर वन्य जीवों की आबादी आधी रह गई है

पृथ्वी पर वन्य जीवों की आबादी आधी रह गई है - animals and bird population
दुनिया में वन्य जीवों की आबादी में भारी गिरावट आई है। 1970 से अब तक वन्य प्राणियों की संख्या 60 फीसदी कम हो चुकी है। वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की रिपोर्ट कहती है कि मानवीय गतिविधियों के कारण ही जानवरों की आबादी घटी है। जूलॉजिकल सोसायटी ऑफ लंदन के साथ मिलकर किए गए एक व्यापक अध्ययन के बाद पता चला कि 1970 से 2012 के बीच वन्य जीवों की आबादी में 58 फीसदी की कमी आ गई है। 2020 तक यह गिरावट 67 फीसदी हो जाएगी। यह जानकारी इस बात का एक और संकेत है कि धरती पर इंसान सबसे ताकतवर हो चुका है और वही सबके लिए फैसले ले रहा है।
 
इस रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि वन्य जीवों के संरक्षण के लिए हो रही कोशिशें कोई खास कामयाब नहीं हो रही हैं। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंटरनेशनल के महानिदेशक मार्को लांबर्टीनी की ओर से जारी एक बयान में इस बात पर चिंता जताई गई है।
 
उन्होंने कहा है, "हमारे देखते देखते ही वन्य जीवन अप्रत्याशित दर पर खत्म हो रहा है। जंगलों, नदियों और सागरों की सेहत का आधार जैव विविधता ही है। हम पृथ्वी पर एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं जिसे एंथ्रोपोसीन कहा जाएगा।" एंथ्रोपोसीन हमारे समय को कहा जाता है जबकि इंसान की गतिविधियों का असर पर्यावरण और वन्य जीवन समेत कुदरत की हर गतिविधि पर पड़ रहा है।
 
अध्ययन में मटर के दाने के आकार के मेंढकों से लेकर 100 फुट लंबी व्हेल मछलियों तक कुल मिलाकर 3700 प्रजातियों के कुल 14,200 जानवरों को शामिल किया गया। इससे पता चला कि इंसान की बढ़ती आबादी वन्य जीवन के लिए सबसे बड़ा खतरा है। शहर बनाने और खेती करने के लिए तेज रफ्तार से जंगल साफ हो रहे हैं। इसके अलावा प्रदूषण, शिकार और जलवायु परिवर्तन भी खतरनाक कारक हैं।
रिपोर्ट कहती है कि अभी मौका है कि इस चलन को पलटा जा सके। जूलॉजिकल सोसाइटी ऑफ लंदन में विज्ञान निदेशक प्रोफेसर केन नोरिस कहते हैं, "जरूरी बात यह है कि अभी आबादी घट रही है, खत्म नहीं हुई है।"
 
- वीके/एमजे (एएफपी, रॉयटर्स)
ये भी पढ़ें
बौद्ध राष्ट्रों में आतंकवाद के बढ़ते खतरे...