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Written By भाषा

भारत की कमजोर कड़ी बन रही है गेंदबाजी

भारत
ND
टीम इंडिया की गेंदबाजी को लेकर कप्तान महेंद्रसिंह धोनी की चिंता बेमानी नहीं है। पिछले कुछ मैचों में टीम के प्रदर्शन पर गौर किया जाए तो साबित होता है कि गेंदबाजी भारत की कमजोर कड़ी बन रही है।

धोनी ने बांग्लादेश के खिलाफ त्रिकोणीय एकदिवसीय श्रृंखला के मैच में जीत के बाद कहा था कि अगर हम नंबर एक बनना चाहते हैं, अगर हम निरंतर अच्छा प्रदर्शन करना चाहते हैं तो हमें सभी विभागों में अपने प्रदर्शन में सुधार करना होगा। विशेषकर गेंदबाजी में।

एक जुलाई 2009 के बाद भारत ने जो 21 एकदिवसीय मैच खेले, अगर उन पर गौर किया जाए तो उसने 10 में जीत दर्ज की, आठ में उसे हार मिली, जबकि तीन मैच बेनतीजा रहे।

धोनी ने भी माना कि गेंदबाजी में सुधार करना जरूरी है और अगर इन 21 मैचों में से तीन बेनतीजा मैच निकाल दिए जाएँ तो भारत ने जो 18 मैच खेले, उसमें उसके गेंदबाजों ने छह बार तीन सौ या इससे अधिक रन लुटाए। यानी हर तीसरे मैच में उसके गेंदबाजों ने 300 से अधिक रन खर्च करके टीम को दबाव में डाला।

इस अवधि के दौरान भारतीय गेंदबाज 50 ओवर के मैचों में केवल तीन बार ही विरोधी टीमों को 250 रन से कम के स्कोर रोक पाए, जो उसकी गेंदबाजी में पैनेपन की कमी को साबित करता है।

श्रीलंका के खिलाफ हाल में नागपुर के जामथा के विदर्भ क्रिकेट संघ स्टेडियम में 18 दिसंबर को खेले गए एकदिवसीय मैच में टीम इंडिया को 301 रन का स्कोर खड़ा करने के बावजूद तीन विकेट से शिकस्त का सामना करना पड़ा था।

भारत ने इस मैच में कप्तान धोनी के आक्रामक 107 रन की मदद से निर्धारित ओवरों में सात विकेट पर 301 रन बनाए थे, लेकिन मेजबान गेंदबाजों के लचर प्रदर्शन के कारण श्रीलंका ने पाँच गेंद शेष रहते सात विकेट पर 302 रन बनाकर मैच जीत लिया।

भारत के तीन प्रमुख गेंदबाजों जहीर खान, आशीष नेहरा और प्रवीण कुमार ने छह रन प्रति ओवर से अधिक की गति से रन दिए, जो टीम इंडिया की हार का अहम कारण बना।

इसी श्रृंखला के पहले मैच में भारत ने 15 दिसंबर को राजकोट के माधवराव सिंधिया मैदान में पहले बल्लेबाजी करते हुए सात विकेट पर 414 रन का अपना सर्वाधिक स्कोर खड़ा किया और टीम इंडिया आसान जीत निश्चित लग रही थी, लेकिन गेंदबाज एक बार फिर उम्मीदों पर खरा उतरने में विफल रहे और धोनी की टीम बमुश्किल तीन रन से जीत दर्ज करने में सफल रही।

इस मैच में केवल हरभजनसिंह (दस ओवर में 58 रन) ने ही 5.8 रन प्रति ओवर के साथ छह रन प्रति ओवर से कम की गति से रन दिए, जबकि बाकी सभी गेंदबाजों ने निराश किया। जहीर ने 8.8, प्रवीण ने 7.44, नेहरा ने 8.1, रवींद्र जडेजा ने 9.12 जबकि सुरेश रैना ने 12.33 रन प्रति ओवर की गति से रन दिए, जो किसी भी टीम के लिए चिंता का सबब हो सकता है। (भाषा)