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Last Modified: सोमवार, 13 अक्टूबर 2014 (15:49 IST)

सचिन के आखिरी टेस्ट के जादुई पलों को बयां करती किताब

सचिन के आखिरी टेस्ट के जादुई पलों को बयां करती किताब - Sachin Tendulkar
नई दिल्ली। सचिन तेंदुलकर के आखिरी टेस्ट से जुड़े तमाम जज्बात और रोमांच को बयां करती एक नई किताब में उन ढाई दिनों का बखूबी वर्णन किया गया है।

लेखक पत्रकार दिलीप डिसूजा की किताब ‘फाइनल टेस्ट : एक्जिट सचिन तेंदुलकर’ में वेस्टइंडीज के खिलाफ पिछले साल नवंबर में खेले गए तेंदुलकर के आखिरी टेस्ट का वर्णन है। इसके अलावा मैदान के भीतर और बाहर के मसलों को भी इसमें उठाया गया है।

लेखक ने उन ढाई दिनों में उमड़े जज्बात के तूफान और भारतीय क्रिकेट के चहेते सपूत पर लोगों के प्यार की बौछार को लेखनीबद्ध किया है।

उन्होंने लिखा कि सचिन जब सीढ़ियों से उतरकर मैदान की तरफ बढ़ते हैं तो लोगों की प्रतिक्रिया को शब्दों में बयां करना मुश्किल था। हम सभी जानते थे कि यह पल बहुत बड़ा होगा लेकिन फिर भी मैने इतने शोर की कल्पना नहीं की थी कि पूरा आकाश गुंजायमान हो जाए।

उन्होंने कहा कि यह देश के महान खिलाड़ी को किया जा रहा सजदा था। भारत ने वह मैच 126 रन से जीता था और तेंदुलकर ने 74 रन बनाए।

लेखक ने कहा कि क्या तेंदुलकर इस तरह से खेल को अलविदा कह सकते थे। आखिरी टेस्ट में उनके प्रशंसक मैदान पर उनकी एक आखिरी झलक पाने की होड़ में थे। यदि वे ऐसी पारी नहीं खेलते तो सभी को निराशा होती।

उन्होंने कहा कि अपने आखिरी टेस्ट का स्थान और समय भले ही उन्होंने खुद चुना हो लेकिन किस तरीके से वे संन्यास लेंगे, यह उन्होंने तय नहीं किया था। अंजलि तेंदुलकर ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वे इसकी आदी हो गई हैं कि उनके पति पहले भारत के हैं, फिर उसके और परिवार के।

रैंडम हाउस इंडिया द्वारा प्रकाशित किताब में लेखक ने खेल के ऐतिहासिक पलों का ब्योरा भी दिया है मसलन भारत की लॉर्ड्स पर टेस्ट जीत या नडाल का विम्बल्डन से जल्दी बाहर होना।

उन्होंने कहा कि तेंदुलकर ने जिस तरह भारतीयों के दिलोदिमाग पर राज किया है, उससे क्रिकेट से उनका संन्यास लेना बरबस की ऐतिहासिक पल बन गया था। आप यह अंतहीन बहस कर सकते हैं कि भारत का सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर कौन है लेकिन सबसे ज्यादा और सबसे लंबे समय तक पूजा किसे गया, इस पर कोई बहस नहीं है।

लेखक ने यह भी कहा कि गांगुली, कुंबले, द्रविड़ और लक्ष्मण ने भी भारतीय क्रिकेट में उल्लेखनीय योगदान दिया और दुनियाभर में टेस्ट जीते लेकिन तेंदुलकर इतनी कम उम्र में चमका था कि उसका आभामंडल ही दूसरा था। चमक सभी सितारों में होती है, लेकिन अभिनव तारा सभी को बेनूर कर देता है। (भाषा)