सूचना प्रौद्योगिकी के बढ़ते आयाम
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प्रो. अश्विनी कुमार रमानी20
वीं सदी ने औद्योगिक अभियांत्रिकी को नई ऊँचाई प्रदान की और 21वीं सदी की सुबह इंटरनेट, सूचना विज्ञान व तकनीकी के नाम लिखी गई। सदियों से मानव व तकनीकी के सामने मुख्य चुनौती सूचना का संग्रहण, प्रसार व प्राप्ति है। व्यापार व राष्ट्र की उन्नाति का मुख्य आधार सूचना (इंफो) होना ही इस चुनौती का कारण है। आज भी सूचना वैज्ञानिकों के सामने चुनौतियाँ पुरानी है, परंतु सूचना विस्फोट ने इन्हें और जटिल बना दिया है।हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में आज हम सही सूचना की सही समय उपलब्धता पर पूरी तरह निर्भर हो गए हैं। ऐसा अनुमान है कि आज से 5 वर्ष बाद सूचना संसार हर 10 घंटे में द्विगुणित होगा व मनुष्य एक प्रकार के इंफो हाउस और इंफो सोसायटी का अंग होगा और मनुष्य अपने जागृत समय का अधिकतर भाग ऐसे ही इंफो हाउस में व्यतीत करेगा व उसका हर कार्य सूचना के दायरे में रहेगा। ऐसी स्थिति की कल्पना इस बात को इंगित करती हैं कि आने वाले समय में ऐसे इंजीनियरिंग प्रोफेशनल की जरूरत होगी जो इतने विकसित यंत्रों का कुशलतापू्र्वक उपयोग कर सकें। भारत की लगातार बढ़ती अर्थव्यवस्था मुख्यतः सूचना प्रौद्योगिकी पर निर्भर है। सूचना प्रौद्योगिकी ने प्रगति के साथ-साथ अर्थव्यवस्था में नए अवसरों को जन्म दिया है। छोटे, मध्यम व वृहद व्यवसाय संगठन सभी व्यवसाय के सुचारु कार्य संचालन के लिए सूचना तंत्र पर निर्भर है। कुछ लोगों के अनुमान के मुताबिक वर्ष 2010 तक भारत सूचना प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों की कमी महसूस करेगा। बहु संख्या में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) स्टूडेंट्स होते हुए भी हमें यह कमी महसूस होगी। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने अन्य क्षेत्रों जैसे निर्माण, पर्यटन, आवागमन आदि को भी अछूता नहीं रखा है। हालांकि सबसे ध्यान देने वाला मुद्दा यह है कि भविष्य के सूचना-प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों में वही आगे बढ़ेंगे जो रचनात्मक दृष्टिकोण व नए सोच के हो। सिर्फ एक उपाधि उन्हें बिन रोजी का निराधार भविष्य देगी अतः युवा विशेषज्ञों को जरूरत है कि वे संरचना (डिजाइनिंग), विश्लेषण (एनालिसिस), आपसी-व्यवहार कुशलता (इंटरपर्सनल स्किल्स) व विवेचनात्मक सोच (क्रिटीकल थिंकिंग) को विकसित करें। साथ ही साथ इन विशेषज्ञों को अच्छे व नीति आधारित पेशेवर गुणों को विकसित करने की जरूरत होगी। 21वीं सदी में इंफो स्ट्रक्चरिंग ही मुख्य प्रोफेशन रहेगा।