सत्यभामा विवि उपग्रह छोड़ेगा
चेन्नई। अभी तक तो देशों के ही उपग्रह हुआ करते थे, लेकिन अब एक भारतीय विश्वविद्यालय पहली बार अपना उपग्रह छोड़ने जा रहा है। सत्यभामा डीम्ड यूनिवर्सिटी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की मदद से अपना खुद का उपग्रह अंतरिक्ष में भेजेगा। इस विश्वविद्यालय ने इसरो से कहा है कि वह शैक्षणिक उपग्रह छोड़ने में मदद करे। ये आकार में छोटा होगा। वजन भी कम होगा। शिक्षाविद् श्री जेप्पियर इस विश्वविद्यालय के प्रमुख हैं। उनके मुताबिक स्नातक की उपाधि ले रहे और स्नातकोत्तर कर चुके छात्र इस प्रोजेक्ट पर काम करेंगे। इस विश्वविद्यालय के पास 4000 गाँवों में लिंक है और ये सभी इसरो से जुड़े हुए हैं। इसरो ने कहा : इसरो प्रमुख श्री जी. माधवन नायर ने इस विश्वविद्यालय से कहा है कि आप काम शुरू करें, हम जल्द से जल्द उपग्रह तैयार कर देंगे। इसरो ने जनवरी माह में ही 6 किलोग्राम का एक छोटा उपग्रह कक्षा में स्थापित किया है। पेहुनसेट नामक इस उपग्रह को अर्जेंटीना की यूनिवर्सिटी ने बनाया है। इसमें इंडोनेशियाई संस्थान भी शामिल है। मकसद क्या है : सत्यभामा यूनिवर्सिटी ईसाई अल्पसंख्यक संस्थान है। पहले यह सत्यभामा इंजीनियरिंग कॉलेज के नाम से जाना जाता था। यह जेप्पियर एज्युकेशनल ट्रस्ट ने 1987 में शुरू किया था। जेप्पियर एज्युकेशनल ट्रस्ट का उद्देश्य युवाओं में तकनीकी शिक्षा की प्रेरणा फूँकना है। 2001 में इसे यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला। 16 जुलाई 2001 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इसे डीम्ड यूनिवर्सिटी घोषित कर दिया। यदि देश की हर यूनिवर्सिटी अपना उपग्रह भेजे तो स्थिति विकट हो जाएगी। देश में इस समय 8900 ऐसी यूनिवर्सिटी हैं, जिन्हें भारत सरकार या राज्य सरकार से सहायता मिलती है। इसके अलावा देश में कई निजी विश्वविद्यालय भी हैं, जो कई निकायों या ट्रस्ट द्वारा चलाए जाते हैं। देशमें 82 डीम्ड यूनिवर्सिटी हैं।क्या है डीम्ड यूनिवर्सिटीबेहतर प्रदर्शन की वजह से जिन संस्थानों को स्वायत्त होने का दर्जा मिलता है, वे डीम्ड यूनिवर्सिटी बनाई जा सकती हैं। डीम्ड यूनिवर्सिटी के न केवल पाठ्यक्रम और रिसर्च सेंटर अपने होते हैं, वरन एडमिशन, फीस और अन्य दिशा-निर्देश भी खुद के होते हैं। डीम्ड यूनिवर्सिटी की मूल यूनिवर्सिटी इसके प्रशासन पर नियंत्रण नहीं कर सकती।