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Written By वार्ता
Last Modified: नई दिल्ली (वार्ता) , मंगलवार, 9 दिसंबर 2008 (16:45 IST)

सरकारी पैकेज नाकाफी है-उद्योग

सरकारी पैकेज नाकाफी है-उद्योग -
देश के उद्योग जगत ने घोषित सरकारी पैकेज का पूरी तरह अध्ययन करने के बाद कहा कि लघु एवं मझौली इकाईयों, इंजीनियरिंग, ऑटोमोबाईल, इस्पात, सीमेंट और अचल संपत्ति के क्षेत्र में माँग बढ़ाने, वर्तमान नौकरियों को बचाने तथा रोजगार के नए अवसर पैदा करने के मामले में यह पैकेज नाकाफी है।

देश के दो बडे़ वाणिज्य एवं उद्योग मंडलों (फिक्की और एसोचैम) ने देशभर में फैले अपने सदस्यों से बातचीत करने के बाद यह प्रतिक्रिया जारी की है। दोंनों उद्योग मंडलों ने सरकार से इसी तरह के एक और पैकेज की माँग करते हुए कहा है कि रिजर्व बैंक को नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) रेपो और रिवर्स रेपो दर में और दो प्रतिशत कटौती करनी चाहिए।

फिक्की ने कहा है कि कंपनियों के लिए सरकार को ब्याज दरों में और कमी के उपाय करने चाहिए। फिक्की के मुताबिक दुनिया के अनेक देशों में उद्योगों को काफी सस्ती दरों पर कर्ज उपलब्ध है।

उद्योग मंडल ने विशेष तौर से कपड़ा क्षेत्र के लिए ज्यादा प्रोत्साहन और मदद की माँग की है। कपड़ा क्षेत्र के लिए शुल्क वापसी दरों को बढा़ने और ब्याज दरों में चार प्रतिशत तक की सरकारी सहायता दिए जाने की वकालत की है। हालाँकि सरकार ने रविवार को घोषित पैकेज में निर्यातकों को ब्याज दरों में दो प्रतिशत सब्सिडी देने की घोषणा की है।

एसोचैम ने 400 से 500 करोड़ रुपए का कारोबार करने वाले अपने करीब 150 सदस्यों से मिली त्वरित प्रतिक्रिया के आधार पर कहा है कि उसके 90 प्रतिशत सदस्यों का मानना है कि पैकेज अपर्याप्त है।

इससे नौकरियाँ बचाने और रोजगार के नए अवसर पैदा करने में उतनी मदद नहीं मिल पाएगी। उद्योगों को विदेशों में चल रही मंदी की मार के असर से बचाने के लिए और उपायों की जरूरत होगी।