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Written By ND

डेयरी उद्योग में हो रही है खुलकर मुनाफाखोरी

दूध के धंधे में चांदी

डेयरी उद्योग में हो रही है खुलकर मुनाफाखोरी -
बहादुरसिंह गेहलो

दूध की आपूर्ति में 20 प्रश की वृद्धि एवं खरीदी भाव घटाने के बावजूद डेयरी उद्योग खुलकर मुनाफाखोरी कर रहे हैं। देश की डेयरियां दूध खरीद भाव से 10 से 12 रुपए के अंतर से बेच रही हैं।

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दिसंबर माह में खाद्य महंगाई दर चाहे ऋणात्मक हो गई हो, किंतु दूध एवं घी की खेरची कीमतों में कमी नहीं हुई है। गुजरात, दिल्ली एवं इंदौर की डेयरियां पूर्व भावों पर ही दूध की बिक्री कर रही हैं, जबकि खरीदी भाव घटाकर 23 से 25 रुपए प्रति लीटर कर दिए।

दिल्ली में मदर डेरी 37 रुपए, दिल्ली में अमूल 38 रुपए प्रतिलीटर बेचा जा रहा है। दूसरी ओर दूध की आवक इस सीजन में अकल्पनीय रूप से बढ़ी है जिससे डेयरियों द्वारा खरीदते-खरीदते हाथ-पैर फूलने लगे हैं।

दूध की आवक बढ़ने से निजी डेयरियों ने भाव घटाकर 23 से 24 प्रतिलीटर एवं सहकारी डेयरियों ने 24 से 27 रुपए प्रतिलीटर कर दिए हैं। दुग्ध संघ इंदौर प्रति फैट 4 रुपए के भाव से दूध खरीद रहा है अर्थात 24 रुपए प्रतिलीटर। यदि फैट में कमी आई तो उत्पादकों को 24 रुपए प्रतिलीटर के भाव भी नहीं मिलते हैं।

दिल्ली की डेयरियां 6.5 प्रश फैट के आधार पर खरीद रही हैं और फुल क्रीम दूध 6 फैट के आधार पर बेचती हैं। मप्र में दुग्ध संघ दूध 34 से 36 रुपए प्रतिलीटर बेच रहा है। अर्थात 10 से 12 रुपए प्रति लीटर का सीधा अंतर।

पोलीपैक एवं अन्य प्रक्रिया से गुजरने पर मुश्किल से 4-5 रुपए का खर्च आना चाहिए। दूध खरीदी 4 रु प्रति फैट से घी उत्पादन लागत 200 से 220 रुपए से अधिक नहीं आती है और बेचा जा रहा है 320 रुपए प्रतिकिलो में। पशु आहार महंगा होने के नाम पर दूध के भाव बढ़ाना न्यायोचित नहीं कहा जा सकता है।

डेयरियों एवं पशु पालकों को ज्ञात होना चाहिए कि पिछले वर्षों में जब दूध के भाव 22 से 24 रु. प्रतिलीटर थे, उस समय कपास्या खली 1300 रुपए (60 किलो), गेहूं चापड़ 1000 से 1100 रुपए, चना छिलका 1100 से 1200, चना चूरी 1300 से 1400 रुपए क्विंटल एवं गेहूं भूसा 4 से 5 रुपए प्रतिकिलो बिक चुके हैं। पूर्व के वर्षों में खाद नहीं बिकती थी।