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Last Updated :नई दिल्ली , सोमवार, 11 जून 2018 (10:10 IST)

नोटबंदी के बाद दोगुनी हुई जनता की नकदी, 18.5 लाख करोड़ तक पहुंचा स्तर

नोटबंदी के बाद दोगुनी हुई जनता की नकदी, 18.5 लाख करोड़ तक पहुंचा स्तर - Cash Reserve Bank of India notebandi
नई दिल्ली। देश में इस समय जनता के हाथ में मुद्रा का स्तर 18.5 लाख करोड़ रुपए से ऊपर पहुंच गया है जो इसका अब तक अधिकतम स्तर है। यह नोटबंदी के दौर की तुलना में दोगुने से अधिक है। नोटबंदी के बाद जनता के हाथ में मुद्रा सिमट कर करीब 7.8 लाख करोड़ रुपए रह गई थी।

भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है। आरबीआई के मुताबिक, इस समय चलन में कुल मु्द्रा 19.3 लाख करोड़ रुपए से अधिक है जबकि नोटबंदी के बाद यह आंकड़ा लगभग 8.9 लाख करोड़ रुपए था। चलन में मौजूद कुल मुद्रा में से बैंकों के पास पड़ी नकदी को घटा देने पर पता चलता है कि चलन में कितनी मुद्रा लोगों के हाथ में पड़ी है।

उल्लेखनीय है कि कुछ महीने पहले देश के विभिन्न हिस्सों में नकदी संकट खबरें आई थी जबकि इसके विपरीत लोगों के पास बड़ी मात्रा में नकदी मौजूद है। आंकड़ों के मुताबिक, 'जनता के पास मुद्रा' और 'चलन में मुद्रा' दोनों नोटबंदी के फैसले से पहले के स्तर से अधिक हैं। सरकार के नोटबंदी के फैसले से चलन में मौजूद कुल मुद्रा में मूल्य के हिसाब से 86 प्रतिशत मुद्रा अमान्य हो गई थी।

सरकार ने इन पुराने 500 और 1000 रुपए के नोटों के चलन पर 8 नवंबर 2016 को पाबंदी घोषित कर दी थी पर लोगों को अपने पास पड़े बड़े मूल्य के नोटों को बैंकों में जमा करने के लिए समय दिया था। जिसके बाद करीब 99 प्रतिशत मुद्रा बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गई थी।

आरबीआई द्वारा जारी हालिया आंकड़ों के मुताबिक, कुल 15.44 लाख करोड़ रुपए की अमान्य मुद्रा में से 30 जून 2017 तक लोगों ने 15.28 लाख करोड़ रुपए की मुद्रा बैंकों में जमा करवाई। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, मई 2018 तक लोगों के पास 18.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक की मुद्रा थी, जो कि एक वर्ष पहले की तुलना में 31 प्रतिशत अधिक है। यह 9 दिसंबर 2016 के आंकड़े 7.8 लाख करोड़ रुपए के दोगुने से अधिक है। नोटबंदी से पहले, लोगों के पास करीब 17 लाख करोड़ रुपए की मुद्रा थी।

केंद्रीय बैंक द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, एक जून 2018 को 19.3 लाख करोड़ रुपए से अधिक की मुद्रा चलन में थी। यह एक वर्ष के पहले की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक है और छह जनवरी 2017 के 8.9 लाख करोड़ रुपए की तुलना में दो गुने से अधिक है।

नोटबंदी के पहले 5 जनवरी 2016 को कुल 17.9 लाख करोड़ रुपए की मुद्रा चलन में थी। भारतीय रिजर्व बैंक चलन में मुद्रा के आंकड़े साप्ताहिक आधार पर और जनता के पास मौजूद मुद्रा के आंकड़े 15 दिन में प्रकाशित करता है। आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि मई 2014 में मोदी सरकार के आने से पहले लोगों के पास लगभग 13 लाख करोड़ रुपए की मुद्रा थी।

एक वर्ष में यह बढ़कर 14.5 लाख करोड़ से अधिक और मई 2016 में यह 16.7 लाख करोड़ हो गई। अक्टूबर 2016 में यह 17 लाख करोड़ से अधिक हो गई। नोटबंदी के बाद इसमें गिरावट आई। हालांकि फरवरी 2017 में फिर से बढ़कर 10 लाख करोड़ से अधिक और सितंबर 2017 में 15 लाख करोड़ रुपए हो गयी। इसी तरह का रुख चलन में मौजूद मुद्रा के मामले में भी देखने को मिला।

आरबीआई आपूर्ति की गई कुल मुद्रा को एम 3 के रूप में वर्णित करता है , जो कि 140 लाख करोड़ से अधिक रही, जो कि पिछले वर्ष के स्तर से करीब 11 प्रतिशत अधिक थी। नोटबंदी के दौरान यह आंकड़ा करीब 120 करोड़ और मोदी सरकार के आने से पहले यह 100 करोड़ से कम था। (भाषा)