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Written By भाषा
Last Modified: इंदौर , बुधवार, 16 जुलाई 2014 (18:06 IST)

तब 1 रुपए किलो बिक रहा था टमाटर!

तब 1 रुपए किलो बिक रहा था टमाटर! -
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इंदौर। मध्यप्रदेश के खुदरा बाजारों में टमाटर इन दिनों 60 रुपए प्रति किलोग्राम तक के ऊंचे मूल्य पर बिक कर ग्राहकों पर महंगाई की मार बढ़ा रहा है।

लेकिन यह केवल 6 महीने पुरानी बात है, जब सूबे में टमाटर की बम्पर पैदावार के चलते थोक मंडियों में इस सब्जी का खरीद मूल्य 1 रुपए प्रति किलोग्राम तक गिर गया था। बाजार के इस बेरहम रुझान के आगे लाचार किसान भारी घाटा झेलकर अपनी उपज को नाममात्र मोल पर बेचने के लिए मजबूर थे।

जानकारों के मुताबिक टमाटर की खुदरा कीमतों के आसमान छूने के लिए प्रदेश में भंडारण और प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग) सुविधाओं की गंभीर कमी भी जिम्मेदार है। इस सब्जी की खरीद-बिक्री के खेल में बिचौलिए जमकर चांदी काट रहे हैं, जबकि टमाटर उगाने वाले किसान और इसे खरीदने वाले आम ग्राहक परेशान हैं।

नजदीकी झाबुआ जिले के करवड़ गांव के टमाटर उत्पादक किसान हितेंद्र पटेल ने बुधवार को फोन पर बताया कि गत जनवरी-फरवरी में एक वक्त ऐसा भी आया, जब हम इंदौर की थोक मंडियों में 1 रुपए प्रति किलोग्राम की दर पर टमाटर बेचने को मजबूर थे। अगर हम ऐसा नहीं करते तो टमाटर की ढुलाई और इसके परिवहन में होने वाला खर्च भी नहीं निकाल पाते।

यहां से करीब 150 किलोमीटर दूर करीब 5 एकड़ में टमाटर उगाने वाले किसान ने कहा कि पिछले मौसम में कृषकों ने ऊंचे दामों पर खाद-बीज खरीदकर टमाटर की फसल बोई थी। लेकिन टमाटर के दामों में अचानक आई भारी गिरावट के चलते उन्हें इस सब्जी की खेती में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा।

उन्होंने बताया कि क्षेत्र में भंडारण और प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग) सुविधाओं की गंभीर कमी के कारण टमाटर उत्पादक किसानों की मुसीबत हर साल बढ़ती है।

बकौल पटेल हर साल कई क्षेत्रीय मंडियों में यह स्थिति भी बनती है कि किसान कारोबारियों से बिक्री सौदे के बाद बचे हुए टमाटर को आवारा जानवरों के खाने के लिए मंडियों में ही छोड़कर चले जाते हैं ताकि उन्हें इस फसल को वापस अपने घर ले जाने के लिए परिवहन भाड़े का भुगतान न करना पड़े।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह किसानों की परेशानियों को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा कोल्ड स्टोरेज बनाए और सहकारी समितियों के माध्यम से टमाटर खरीदकर इनका उचित भंडारण करे।

मशहूर अर्थशास्त्री डॉ. जयंतीलाल भंडारी ने बताया कि ऐसा माना जाता है कि अगर टमाटर की आपूर्ति में 5 प्रतिशत की कमी होती है तो बिचौलिए बाजार में अतिरंजित माहौल बनाकर इस सब्जी के भावों में 50 फीसद का इजाफा करके ग्राहकों पर महंगाई का बोझ बढ़ा देते हैं।

उन्होंने कहा कि वक्त आ गया है, जब सरकार को टमाटर और दूसरी जरूरी सब्जियों की कीमतें तय करके न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर इनकी खरीदी शुरू करनी चाहिए ताकि किसानों को उनके पसीने का सही मोल मिल सके। (भाषा)