गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. खोज-खबर
  3. ज्ञान-विज्ञान
  4. rh negative blood group aliens or nephilim
Written By
Last Updated : गुरुवार, 23 जून 2016 (19:10 IST)

यदि आपका ब्लड ग्रुप नेगेटिव है, तो आप इस धरती के नहीं हैं!

यदि आपका ब्लड ग्रुप नेगेटिव है, तो आप इस धरती के नहीं हैं! - rh negative blood group aliens or nephilim
एलियंस पर शोध करने वालों का दावा है कि सुदूर अतीत में दूसरे ग्रह से जीवों ने धरती का दौरा किया था। उन्होंने मनुष्‍यों की पुत्रियों को अपना जीवनसाथी बनाकर विशालकाय लोगों को जन्म दिया था, उन्हीं के वंशज है नेगेटिव ब्लड ग्रुप के लोग। इस थ्योरी के अनुसार आरएच फेक्टरर्स के लोग मूल धरतीवासी हैं जो क्रम विकास के सिद्धांत से विकसित हुए हैं लेकिन नेगेटिव ग्रुप के लोग वानर की तुलना में कुछ दूसरे से विकसित हुआ समूह है।
84 से 85 प्रतिशत लोग, जिनका ब्लड ग्रुप पॉजीटिव है, वे वानर की नस्ल से आते हैं जिनमें ओ पॉजीटिव 38 प्रतिशत, बी पॉजीटिव 9 प्रतिशत, ए पॉजीटिव 34 प्रतिशत और एबी पॉजीटिव 3 प्रतिशत है। लेकिन 15 से 16 प्रतिशत नेगेटिव ब्लड ग्रुप वाले अलौकिक वंश ताल्लुक रखते हैं, जिनमें 7 प्रतिशत ओ नेगेटिव, 2 प्रतिशत बी नेगेटिव, 6 प्रतिशत एक नेगेटिव, 1 प्रतिशत एबी नेगेटिव के लोग है।
 
सामान्य तौर पर 4 रक्त समूह के 4 प्रकार होते हैं- ए, बी, एबी और ओ। वैज्ञानिकों के अनुसार यह वर्गीकरण मानव शरीर पर बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने के लिए तैयार कोशिकाओं की सतह पर पाए जाने वाले प्रोटीन द्वारा किए गए हैं।
 
दरअसल, लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर स्थित, जो एक प्रतिजन (प्रोटीन) है, वह लाल रक्त कोशिका है। 85% इस एक ही आरएच फैक्टर के हैं और क्रमश: आरएच पॉजीटिव हैं जबकि शेष 15%, जिस पर यह नहीं है, वे आरएच नेगेटिव हैं। वैसे भारत में नेगेटिव ब्लड ग्रुप के 5 फीसदी ही लोग हैं लेकिन सबसे ज्यादा स्पेन और फ्रांस में हैं।
 
इस संबंध में क्या कहते हैं वैज्ञानिक, अगले पन्ने पर जानिए...
 

क्या कहते हैं वैज्ञानिक : विज्ञान, विकास प्रक्रिया में आरएच नेगेटिव लोगों की मौजूदगी को प्राकृतिक घटना मानने से इंकार करता है। विज्ञान आरएच को इस तरह परिभाषित करता है कि यह एंटीजन डी मौजूदगी दर्शाता है। जो आरएच पॉजीटिव लोग होते हैं, उनके रक्त में एंटीजन डी होता है लेकिन आरएच नेगेटिव लोगों के रक्त में एंटीजन डी नहीं पाया जाता है।   
शरीर में विषाणुओं से लड़ने के लिए एंटीजंस पैदा किए जाते हैं। अगर किसी शरीर में एंटीजन पैदा नहीं किया जाता है लेकिन अगर इसे शरीर में बाहर से डाला जाता है तो यह एंटीजन के साथ अपने शत्रु की तरह से व्यवहार करेगा। विज्ञान के अनुसार क्यों एक आरएच पॉजीटिव मां का शरीर एक आरएच नेगेटिव बच्चे को अस्वीकार कर देता है, इसकी यही असली वजह है। 
 
'योर न्यूज वायर' की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस सिद्धांत के अनुसार आरएच नेगेटिव लोगों का शरीर विचित्र गुणों को रखता है। इससे भी यह व्याख्या की जा सकती है कि क्यों एक आरएच पॉजीटिव मां का शरीर आरएच नेगेटिव बच्चे को अस्वीकार कर देता है। इस स्थिति के चलते ही बहुत से शिशुओं की मौत हुई है।
 
अगले पन्ने पर, नई थ्योरी के अनुसार ने‍गेटिव ग्रुप के वंशज और पूर्वज कौन हैं?
 

नई थ्योरी के अनुसार : यह थ्योरी हमें सुमेरियन समय में वापस ले जाती है, जब एक अति उन्नत एलियन सफर करता हुआ कहीं और ब्रह्मांड से आया और उसने प्रथम अनुनाकी मानव समाज का निर्माण किया। 'अनुनाकी' सुमेरियन शब्द है जिसका प्रयोग स्वर्ग से निकाले गए लोगों के लिए होता था जिन्होंने दुनिया की पहली महान सुमेर सभ्यता को स्थापित और गतिशील किया।
वैज्ञानिकों का मानना है कि उन्हें आरएच पॉजीटिव और नेगेटिव के संबंध में एक दिलचस्प बात पता चली है। इस नई वैज्ञानिक थ्योरी के अनुसार सुदूर अतीत में अलौकिक प्राणियों द्वारा धरती का दौरा किया गया और यहां के लोगों को दास बनाने के इरादे से आनुवांशिक हेर-फेर करके आरएच नेगेटिव प्रजाति के विशालकाय मानवों का निर्माण किया गया होगा।
 
यह भी माना जाता है कि इन प्राचीन प्राणियों ने योजना बनाकर आदिम जाति को आनुवांशिक रूप से परिवर्तित कर दिया और उन्होंने सुदूर अतीत में दास के रूप में इस्तेमाल करने के लिए भी मजबूत और अधिक पर्याप्त प्राणियों को बनाया होगा।
 
दिलचस्प है कि नेगेटिव आरएच की विशेषता घोर परिश्रम है। उदाहरणार्थ ब्रिटिश राजपरिवार जिन्होंने संभवत: अलौकिक वंश के बारे में विवादित सिद्धांतों को जन्म दिया। हालांकि इस परिकल्पना की पुष्टि नहीं की गई है। यह सवाल परेशान करता है कि कैसे सुदूर अतीत में धरती की सभ्य दुनिया की आबादी का एक छोटा-सा हिस्सा आनुवांशिक कोड है जिसे उन्नत अलौकिक प्राणी द्वारा बदल दिया गया।
 
जब धरती पर रहते थे...'देवता' जानिए इस रहस्य को...

हिन्दू धर्म में जिसे 'देवता' कहा जाता है, इस्ला‍म में उन्हें फरिश्ता कहा गया है। ईसाई धर्म में ऐंजल कहते हैं, लेकिन आजकल वैज्ञानिक यह सिद्ध करने में लगे हैं कि ये कोई देवता या स्वर्गदूत नहीं थे बल्कि दूसरे ग्रह से आए परजीवी या एलियंस थे।
Alien
वर्षों के वैज्ञानिक शोध से यह पता चला कि 12,000 ईपू धरती पर देवता या दूसरे ग्रहों के लोग उतरे और उन्होंने पहले इंसानी कबीले के सरदारों को ज्ञान दिया और फिर बाद में उन्होंने राजाओं को अपना संदेशवाहक बनाया और अंतत: उन्होंने इस धरती पर कई प्रॉफेट पैदा कर दिए। इसी दौर में उन्होंने विशालकाय मानवों की नई प्रजाति का निर्माण भी किया जिन्हें बाद में 'दानव' कहा जाने लगा। उन्होंने इन दानवों के माध्‍यम से मानवों को दास बनाकर अपने तरीके से उन्हें संचालित किया।
 
दूसरे ग्रह के ये लोग अलग-अलग काल में अलग-अलग धर्म और समाज की रचना कर धरती के देवता या कहें कि फरिश्ते बन बैठे। सचमुच इंसान उन्हें अपना देवता या फरिश्ता मानता है। वे आकाश से उतरे थे इसलिए सर्वप्रथम उन्हें 'आकाशदेव' कहा गया। जानकारों ने उन्हें स्वर्गदूत कहा और धर्मवेत्ताओं ने उन्हें ईश्वर का दूत कहा।
 
आकाश से उतरे इन देवदूतों (धर्मग्रंथों और सभ्यताओं के टैक्स अनुसार वे स्वर्गदूत थे) ने जब यहां की स्त्रियों के प्रति आकर्षित होकर उनके साथ संभोग करना शुरू किया तो उन्हें स्वर्ग से बहिष्कृत स्वर्गदूत कहा जाने लगा। लेकिन वे लोग जो उन्हें 'धरती को बिगाड़ने का दोषी' मानते थे, उन्होंने उन्हें राक्षस या शैतान कहना शुरू कर दिया। हालांकि सभी बुरे नहीं थे, ज्यादातर अच्छे थे।
 
इन आकाशदेव के संबंध में बाद में लंबे काल तक इस बात को लेकर इंसानों में झगड़े चलते रहे। दो गुट बने- पहले वे जो आकाशदेव, स्वर्गदूत या ईशदूत के साथ थे और दूसरे वे जो उन्हें शैतान मानते थे। विरोधी लोग रक्त की शुद्धता बनाए रखने के लिए उनका विरोध करते थे।
 
प्राचीन सभ्यता के अनुसार : इजिप्ट और माया सभ्यता के कुछ लोग मानते थे कि अंतरिक्ष से हमारे जन्मदाता एक निश्चित समय पर पुन: लौट आएंगे। ओसाइशिरा (मिस्र का देवता) जल्द ही हमें लेने के लिए लौट आएगा। गीजावासी मरने के बाद खुद का ममीकरण इसीलिए करते थे कि उनका 'आकाशदेव' उन्हें अं‍तरिक्ष में ले जाकर उन्हें फिर से जीवित कर देगा?
 
इजिप्ट के पिरामिडों के टैक्स से पता चला कि स्वर्ग से आए थे देवता और उन्होंने ही धरती पर जीवों की रचना की। इजिप्ट के राजा उन्हें अपना पूर्वज मानते थे। उन्होंने इजिप्टवासियों को कई तरह का ज्ञान दिया। उनकी कई पीढ़ियों ने यहां शासन किया। उनके सिर पीछे से लंबे होते थे।
 
अनुनाकी : सुमेरियन शब्द है जिसका प्रयोग स्वर्ग से निकाले गए लोगों के लिए होता था। अनुनाकी जिन्होंने दुनिया की पहली महान सुमेर सभ्यता को स्थापित और गतिशील किया। सुमेरियन भी मानते हैं कि अनुनाकी नाम का एक देवता धरती पर उतरा था और उसने यहां नगर बनाए और हमें सुरक्षा प्रदान की। 
 
हालांकि भारतीय धर्म के इतिहासकार मानते हैं कि ययाति के 5 पुत्रों में से एक अनु ने मध्य एशिया में सभ्यताओं का विकास किया था। प्राचीनकाल में हिन्दूकुश से लेकर अरुणाचल तक के हिमालयन क्षेत्र को स्वर्ग स्थान माना जाता था। संभावना है कि उन्होंने इंसानों को विकसित किया और उन्हें अपने गुलामों की तरह इस्तेमाल किया। ऐसा भी वक्त था, जब धरती पर विशालकाय प्राणी रहते थे। 
 
सुमेरियन लोग अनुनाकी के साथ रहते थे। अनुनाकी के बाद तिहूनाको की सभ्यता का अस्तित्व रहा। जब उन्होंने एक छोटा गांव तिहूनाको बनाया तो उन्होंने उसकी दीवारों पर अपने लोगों के चित्र भी बनाए और उनके बारे में भी लिखा। 
 
तिहूनाको में काफी तादाद में जो पत्‍थरों की दीवारें हैं उनमें अलग-अलग तरह के मात्र गर्दन तक के सिर-मुंह बने हैं। ये सिर या स्टेचू स्थानीय निवासियों के नहीं हैं। तिहूनाको के आदिवासी पुमा पुंकु में घटी असाधारण घटना की याद में आज भी गीत गाते हैं। पुमा पुंका में आकाश से देवता उतरे थे।
 
भारतीय, मिस्र, ग्रीस, मैक्सिको, सुमेरू, बेबीलोनिया और माया सभ्यता के अनुसार वे कई प्रकार के थे, जैसे आधे मानव और आधे जानवर। इंसानी रूप में वे लंबे-पतले थे। उनका सिर पीछे से लंबा था। वे 8 से 10 फीट के थे। अर्द्धमानव रूप में वे सर्प, गरूड़ और वानर जैसे थे। आपने विष्णु के वाहन का चित्र देखा होगा। नागदेवता को कौन नहीं जानता?
 
दूसरे वे थे जो राक्षस थे, जो बहुत ही खतरनाक और लंबे-चौड़े थे। कुछ तो उनमें से पक्षी जैसे दिखते थे और कुछ वानर जैसे। उनमें से कुछ उड़ सकते थे और समुद्र में भीतर तल पर चल सकते थे। जब वे समुद्र के भीतर चलते थे तो उनके सिर समुद्र के ऊपर दिखाई देते थे। उनमें ऐसी शक्तियां थीं, जो आम इंसानों में नहीं थीं जैसे पानी पर चलना, उड़ना, गायब हो जाना आदि।
 
भारत में सर्प मानव, वानर मानव, पक्षी मानव और इसी तरह के अन्य मानवों की कथाएं मिलती हैं। चीन में पवित्र ड्रेगन को स्वर्गदूत माना जाता है, जो 4 हैं और ये चारों ही समुद्र के बीचोबीच भूमि के अंदर रहते हैं। भारतीय पुराणों के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने विशालकाय मानवों की रचना की थी जिनका उत्पात बढ़ने के बाद भगवान शिव ने सभी को मार दिया था।

अगले पन्ने पर बाइबल में उल्लेख है नेफिलीम युग का....

बाइ‍बल के अनुसार : बाइबल में इस तरह के काल को 'नेफिलीम' का काल कहा गया है। बाइबल के अनुसार इस काल में देवताओं को स्वर्ग से बाहर कर दिया गया था और वे सभी धरती पर आकर रहने लगे थे। उन्होंने यहां की स्त्रियों के साथ संभोग कर उनको बिगाड़ा। वे स्वर्गदूतों के बच्चे थे। उनमें से एक शैतान था। परमेश्वर ने स्वर्गदूतों को स्वर्ग में रहने के लिए बनाया था, न कि धरती पर, लेकिन वे सब धरती पर आ गए। (उत्पत्ति 6:1-8; यहूदा 6.)
धरती पर वे इंसानों की औरतों की ओर आकर्षित होने लगे और फिर वे अपनी मनपसंद औरतों के साथ रहने लगे। फिर उनके भी बच्चे हुए और धीरे-धीरे उन्होंने धरती पर अपना साम्राज्य फैलाना शुरू किया। सामान्य मानव उन्हें या तो देवदूत कहता या राक्षस। इस तरह धरती पर एक नए तरह का युग शुरू हुआ और नए तरह का संघर्ष भी बढ़ने लगा और सभी तरफ एलियंस का ही साम्राज्य हो गया। लोग रक्त-शुद्धता पर जोर देने लगे।
 
बाइबल के अनुसार प्रधान स्वर्गदूत मीकाएल (या मीकाइल) जिबराइल हैं। प्रकाशित वाक्य की किताब में वह इब्लीस और उसकी दुष्टात्माओं के साथ युद्ध लड़ रहा है। मीकाएल नाम का मतलब है : 'परमेश्वर जैसा कौन है?'। -(यहूदा 9)
 
बाइबल के अनुसार स्वर्गदूत व्यक्तिगत आत्माएं होती हैं, जो बुद्धि, भावनाएं और स्वेच्छा रखती हैं। भले और बुरे (दुष्टात्मा) दोनों प्रकार के स्वर्गदूत ऐसे होते हैं। बाइबल कहती है : ‘मीकाइल और उसके स्वर्गदूत, अजगर और उसके दूतों से लड़े।’ (प्रकाशित वाक्य 12:​7)
 
स्वर्गदूत मनुष्यों से बिलकुल अलग स्तर के प्राणी हैं। मनुष्य मरने के बाद स्वर्गदूत नहीं बन जाते हैं। स्वर्गदूत भी कभी मनुष्य नहीं बनेंगे और न कभी मनुष्य थे। परमेश्वर ने ही स्वर्गदूत की सृष्टि की, जैसे कि उसने मानव जाति को बनाया।
 
इस थ्योरी के जन्मदाता बाइबल का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि नूह के दिनों में स्वर्ग से गिरे हुए स्वर्गदूतों को पाया जाता था। मनुष्य की सहायता के लिए स्वर्गदूतों का एक गुट धरती पर उतरा जिन्होंने मनुष्य की पुत्रियों द्वारा नेफिलीम जाति के लोगों को जन्म दिया। इस दौरान वे स्वर्गदूत मनुष्य को परमेश्वर के रहस्यमय ज्ञान को देने लगे। आदम और हव्वा के कारण उपजे उस श्राप से जीतने के लिए मनुष्य ने इस रहस्यमय ज्ञान का उपयोग किया। 
 
नेफिलीम लोग अनैतिकता, व्यभिचार और हर एक काम-वासना में लिप्त थे। नेफिलिम लोगों के कारण धरती पर सभी मनुष्य भी उन्हीं की तरह होकर दुष्‍ट हो गए थे। इस घोर पतन के काल को देखकर परमेश्वर ने धरती के विनाश की योजना बनाई। 
 
जलप्रलय के बाद जब दुष्‍टता धरती से मिट चुकी तब परमेश्वर ने नुह को चुना ताकि उसके परिवार से एक नई मानव जाति शुरू हो। लेकिन बाद में नूह की गलती के कारण स्वर्ग के दूतों को फिर से एक मौका मिल गया कि वे धरती पर अपना साम्राज्य स्थापित करें। तब फिर से नेफिलीम जाति की उत्पति हुई और वे सभी ओर फैल गए। उन सभी को शैतान और दानव कहते हैं। 
 
कुश और हाम को चुनकर उसके इस वंश कड़ी में शैतान एक व्यक्ति को चुनता है जिसके द्वारा कि उस बुरे बीज को वो जीवित रखे। कुश नाम के हाम के उस शापित वंश में उत्पन्न हुआ निमरोद इन स्वर्गदूतों (शैतान) की इच्छा पूर्ण करता है। 
 
कई अफ्रीकी जाति के लोग मानते हैं कि हाम उनका पूर्व पिता था। बाइबल बताती है कि किस तरह निमरोद दुष्टता को बढ़ावा देने लगा और नेफिलीम जाति के तरीकों को अपनाना शुरू किया था।