पंचतंत्र की कहानी : बुद्धिमान कौन?
सहस्रबुद्धि और एकबुद्धि की चटपटी कहानी
एक ताल में मछलियां तो बहुत-सी रहती थीं, पर दो मछलियां ऐसी थीं जिनका नाम उनकी बुद्धि के लिए पूरे ताल में फैला हुआ था।इनमें एक को शतबुद्धि और दूसरे को सहस्रबुद्धि कहा जाता था, क्योंकि एक अक्ल के मामले में सौ के बराबर थी तो दूसरी हजार के बराबर। उनकी दोस्ती एकबुद्धि नाम के एक मेंढक से हो गई थी, जो अक्ल के मामले में उनसे बहुत ही कम बुद्धिमान था। वे तीनों घड़ी-दो घड़ी के लिए तालाब के किनारे बैठकर कुछ कथा-कहानी सुनते-सुनाते और फिर पानी में डुबकी लगा जाते।
हुआ यह कि जिस समय इनकी बैठक चल रही थी, उसी समय कुछ मछुआरे सिर पर मछलियां लादे उधर से निकले। उन्होंने उस ताल को देखकर सोचा कि इसमें मछलियां तो बहुत अधिक हैं, पर पानी बहुत अधिक नहीं है। उन्होंने तय किया कि अगले दिन सुबह आकर वे इस ताल में मछलियां मारेंगे।उनकी बातें सुनकर सहस्रबुद्धि ने हंसकर कहा- 'दोस्त, घबराने की कोई बात नहीं। किसी की बातों से ही डर जाना क्या ठीक है? इसलिए जी कड़ा रखो। यदि सांपों, बदमाशों और लफंगों का बस चले तो यह दुनिया रहने ही न पाए। तुम देख लेना, इनमें से कोई यहां आने वाला नहीं है। मान लो आ भी गए तो तुम मेरी बुद्धि का कमाल देखना। मैं तैरने और डुबकी लगाने की इतनी चालें जानता हूं कि अपना बचाव तो कर ही लूंगा, तुम्हें भी बचा लूंगा।