बाल साहित्य : दसों दिशाएं...
- विजय कुमार
सुबह सबेरे उगता सूरज, उधर खड़े हो जाएं मुंह कर।
ठीक सामने होता पूरब और दिशा बाएं हैं उत्तर।
सीधा हाथ बताता दक्षिण, बिलकुल पीछे होता पश्चिम।
चार दिशाएं मुख्य यहीं हैं, ठीक तरह से याद करो तुम।।
पूरब से दक्षिण जाएं तो, आग्नेय कोण है आता।
दक्षिण से पश्चिम को जोड़े, कोण वही नैऋत्य कहलाता।।
पश्चिम-उत्तर बीच डटे, वायव्य कोण से गहरा नाता।
उत्तर से पूरब के मध्ये है, ईशान कोण कहलाता।।
सिर पर तो आकाश खड़ा है, पृथ्वी है पैरों के नीचे।
याद करो तुम दसों दिशाएं, काम पड़ेगा आगे-पीछे।।
साभार- देवपुत्र