बाल कविता : दादाजी का धमाल
टिल्लू बेटा क्या है हाल,आज बना घर में क्या माल?अगर बनी हो गरम जलेबी,किसी तरह से लाओ निकाल।टिल्लू बोले नहीं नहीं जी,नहीं गलेगी घर में दाल।बिना इजाजत मम्मीजी के,नहीं पाऊंगा माल निकाल।क्यों करवाते हो दादाजी,घर में ऐसे व्यर्थ धमाल।काम पूछकर करना ही तो,होता है अच्छा हर हाल।है दादाजी 'शुगर' आपको,समझ गया हूं मैं यह चाल।अगर जलेबी खाना है तो,मुझे बनाते क्यों हो ढाल?