आंच आने न देना...
प्रेंसी सेंगर (कक्षा-नौवीं)
तुम न समझो देश कीस्वाधीनता यूं ही मिली है।हर कली इस बाग कीकुछ खून पीकर ही खिली हैकिसी भी सियार को खाने न देना। देश पर स्वाधीनता परतुम आंच आने न देनाजिन शहीदों के लहू सेलहलहाया है चमन अपनाउस वतन के लाड़लों कीयाद मुरझाने न देनादेश पर स्वाधीनता परतुम आंच आने न देना।