बुधवार, 17 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नन्ही दुनिया
  3. कविता
  4. poem on flower

हिन्दी कविता : डाली से मुझको मत तोड़ो

हिन्दी कविता : डाली से मुझको मत तोड़ो - poem on flower
डाली से मुझको मत तोड़ो
फूल कर रहा नम्र निवेदन,
डाली से मुझको मत तोड़ो।
मुझको दर्द बहुत होता है,
ऐसे न अब कान मरोड़ो।
 
यह डाली मेरी माता है,
इसने मुझको दूध मिलाया।
इसी ऊर्जा से ही मैंने।
सुन्दर रूप और रंग पाया।
 
मुझे प्रेम से रोज निहारो,
रूप रंग की करो प्रशंसा।
मुझे तोड़कर, मुंह मरोड़कर,
लेकिन करो न ऐसी हिंसा।
 
एक फूल ही श्रद्धा वाला,
ईश्वर का मन हर लेता है।
'मुझे ढेर से फूल चढ़ाओ,'
ईश्वर कभी नहीं कहता है।
 
डाली पर मुझको रहने दो,
मुझको खुशबू फैलाने दो।
नीरस हुई धरा जाती है,
मुझे धरा को महकाने दो।
 
(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)
ये भी पढ़ें
फनी बाल कविता : जूतों की व्यथा