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बाल कविता : जादूगर बादल
देखो अम्मा बादल कैसे,कैसे स्वांग रचाते।कभी-कभी घोड़ा बन जाते,हाथी बन इतराते। अरे-अरे! देखो तो ऊपर,दो लड़के मस्ताते।नाच रहे हैं जैसे कोई,फिल्मी गाना गाते।और उधर देखो पूरब में,गुड़िया करे पढ़ाई।मुझे पड़ रहा पुस्तक बस्ता,साफ-साफ दिखलाई।अरे! यहां उत्तर में देखो,मां-बेटे इठलाते।बेटा साफ दिख रहा मां से,काजल-सा लगवाते।उधर देख ले! उस कोने में,लगता शेर दहाड़ा।ठीक बगल में उसके दिखता,भालू पढ़े पहाड़ा।यहां बगल की इस बदली ने,कैसे रूप बनाए।मुझे दिख रहे गांधी बाबा,खादी ओढ़े आए।बादल क्या जादूगर हैं मां?,जो चाहें बन जाते।अगर तुझे आती यह विद्या,मुझको भी सिखला दे।