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आपने नहीं पढ़ी होगी भगवान श्रीकृष्ण के बारे में यह अनोखी जानकारी...

आपने नहीं पढ़ी होगी भगवान श्रीकृष्ण के बारे में यह अनोखी जानकारी...। krishna bhagwan ka rang - krishna bhagwan ka rang
* मोहक और रहस्यमयी था भगवान श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व 
 
भगवान श्रीकृष्ण का संपूर्ण व्यक्तित्व जितना मोहक था उतना ही रहस्यमय भी। उनकी लीला भी उतनी ही न्यारी थी। आइए जानते हैं श्रीकृष्ण के बारे में अनोखी जानकारी। क्या था कृष्ण का सही रंग? 
 
अधिकतर लोगों का मानना है कि भगवान कृष्ण का रंग सांवला या श्यामवर्णी था। श्याम रंग अर्थात कुछ-कुछ काला और कुछ-कुछ नीला। मतलब काले जैसा नीला। जैसा सूर्यास्त के बाद जब दिन अस्त होने वाला रहता है तो आसमान का रंग काले जैसा नीला हो जाता है।श्यामवर्ण का सही अर्थ होता है काला और नीला का मिश्रित रंग। परंतु कृष्ण की त्वचा का रंग मेघ श्यामल था अर्थात काले, नीले और सफेद रंग का मिला-जुला।
 
जनश्रुति अनुसार उनका रंग न तो काला और न ही नीला था। यह भी कि उनका रंग काला मिश्रित नीला भी नहीं था। उनकी त्वचा का रंग श्याम रंग भी नहीं था। दरअसल उनकी त्वचा का रंग मेघ श्यामल था। अर्थात काला, नीला और सफेद मिश्रित रंग।
 
भगवान श्रीकृष्ण के 3 अद्भुत रहस्य...
 
सुंगध, सौंदर्य और सात्विकता का त्रिवेणी संगम थे भगवान श्री कृष्ण। आइए जानते हैं पुराणों में उनकी विशिष्ट देह के बारे में क्या वर्णन मिलता है। 
 
कैसी थी श्रीकृष्ण की गंध : श्रीकृष्ण के शरीर से मादक गंध आती थी। इस वजह से कई बार वेष बदलने के बाद भी कृष्ण पहचाने जाते थे। कई ग्रंथों के अनुसार कृष्ण के शरीर से गोपिकाचंदन और और रातरानी की मिलीजुली खुशबू आती थी। कुछ लोग इसे अष्टगंध भी कहते है |
 
कृष्ण के शरीर का रहस्य : कहते हैं कि कृष्ण अपनी देह को अपने हिसाब से ढ़ाल लेते थे। कभी उनका शरीर स्त्रियों जैसा सुकोमल हो जाता था तो कभी अत्यंत कठोर। युद्ध के समय उनका शरीर वज्र की तरह कठोर हो जाता था। ऐसा इसलिए हो जाता था क्योंकि वे योग और कलारिपट्टू विद्या में पारंगत थे। 
 
श्रीकृष्ण थे चिरयुवा : भगवान श्रीकृष्ण ने जब 119 वर्ष की उम्र में देहत्याग किया तब उनकी देह के केश न तो श्वेत थे और ना ही उनके शरीर पर किसी प्रकार से झुर्रियां पड़ी थी। अर्थात वे 119 वर्ष की उम्र में भी युवा जैसे ही थे।
 
द्वारिका भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय नगरी, पढ़ें 3 तथ्य :- 
 
द्वारिका में कब तक रहे कृष्ण : गुजरात के समुद्र तट पर बनी अपनी प्रिय नगरी द्वारिका के एक एक भवन का निर्माण श्रीकृष्ण की इच्छानुसार किया गया था। परंतु श्रीकृष्ण इस नगरी में कभी भी 6 माह से अधिक नहीं रह पाए। 
 
किसने बनाई थी श्रीकृष्ण की द्वारिका : भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय नगरी द्वारिका का निर्माण विश्वकर्मा और मयदानव ने मिलकर किया था। कहा जाता है कि विश्वकर्मा देवताओं के तो मयदानव असुरों के शिल्पी थे। 
 
कैसे नष्ट हुई द्वारिका : पुराणों के अनुसार माना जाता है कि द्वारिका का विनाश समुद्र में डुबने से हुआ था लेकिन यह भी माना जाता है कि डूबने से पहले इस नगर को नष्ट कर दिया गया था। 

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