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Written By WD
Last Modified: सोमवार, 21 अप्रैल 2014 (11:32 IST)

पाक ने 13 साल तक अमेरिका को उल्लू बनाया

पाक ने 13 साल तक अमेरिका को उल्लू बनाया -
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क्या आप सोचते हैं कि अमेरिका जैसा देश पिछले 13 वर्षों तक अफगानिस्तान में एक गलत दुश्मन के साथ गलत युद्ध लड़ता रहा? पुलित्जर पुरस्कार विजेता 'न्यूयॉर्क टाइम्स' की पत्रकार कारलोटा गाल का तो यही निष्कर्ष है।

उल्लेखनीय है कि उन्होंने अफगानिस्तान को कवर करने के लिए एक दशक से भी अधिक समय दिया और वे 2001 से आखिरी समय तक अफगानिस्तान में ही रहीं।

उन्होंने अपनी किताब 'द रांग एनिमी : अमेरिका इन अफगानिस्तान, 2001-2014' में निष्कर्ष निकाला है कि पाकिस्तान ने डबल डीलिंग करते हुए अमेरिका को 13 वर्षों तक उल्लू बनाए रखा।

पुस्तक के 'ऑन द राडार' शीर्षक के अंतर्गत गाल का कहना है कि अमेरिका का वास्तविक दुश्मन पाकिस्तान था लेकिन अमेरिकी कार्रवाई अफगानिस्तान में चलती रही। उनका कहना है कि पाकिस्तान ने पूरी सफलता से ओसामा बिन लादेन को अमेरिका की नजरों से दूर रखा और अफगानिस्तान में लड़ाई को बढ़ावा दिया।

गाल का कहना है कि अमेरिका की गलती यह रही कि उसके सैनिकों, नाटो सैनिकों और सबसे ज्यादा संख्या में मरने वाले अफगान सैनिकों को एक ऐसी मनहूस और कठिन लड़ाई लड़नी पड़ी जिसकी समस्या की जड़ें अफगानिस्तान के गांवों में नहीं थीं। वरन इस समस्या का स्रोत, उग्र कट्‍टरपन का प्रसार, उग्रवादी कामों का प्रायोजन सभी कुछ पाकिस्तान से हो रहा था।

इस मामले में गाल का कहना है कि 11 सितंबर के आतंकवादी हमलों के तुरंत बाद ही उन्हें इस बात का पहली बार अहसास हुआ था कि अफगानिस्तान में उग्रवाद को बढ़ावा देने का काम पाकिस्तान कर रहा है।

जब देखा तालिबान लड़ाके आराम फरमा रहे है पाकिस्तान में


वे कहती हैं कि वे क्वेटा पहुंचीं और उन्होंने देखा कि तालिबानी लड़ाके वहां आराम फरमा रहे थे और अपने संगठन को एकजुट कर रहे थे। उन्हें सहायता मिलती थी और कुछ ने तो कहा कि उन्हें जबरन लड़ाई में झोंका जा रहा है, उन्हें धमकाया जा रहा है और उनसे कहा जा रहा था कि वे अफगानिस्तान में जाकर अमेरिकियों से लड़ें...।

वे कहती हैं कि जब आप लड़ाई के मैदान में पहुंचते थे तो आपको बमबारी की घटनाएं देखने को मिलती थीं। आत्मघाती हमलावरों ने उग्रवाद को और अधिक बढ़ाया था। वहां जाकर अगर आप खोज करते थे कि यह सब कहां से मैनेज हो रहा था तो इन सारी बातों का इशारा पाकिस्तान था।

गाल का कहना था कि पाकिस्तान के नेता और विशेष रूप से पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ 'बहुत अधिक चतुर' थे जिन्होंने अमेरिका को मूर्ख बनाते हुए यह विश्वास दिलाया था कि पाकिस्तान तो अमेरिका का एक सहयोगी देश है।

वे कहती हैं कि मैं सोचती हूं कि राजनीतिज्ञ और इनमें से भी सभी नहीं लेकिन राजनयिक को यह समझने में एक अर्सा लग गया कि वास्तव में उनके समझाने-बुझाने का कोई असर नहीं हो रहा था।

वे कहती हैं कि साथ काम करने की वचनबद्धता दोनों पक्षों को बातचीत की मेज पर नहीं ला रही थी। वास्तव में पाकिस्तानी, अमेरिका को धोखा दे रहे थे। वास्तव में आज राजनयिक आपको सीधे तौर पर कह सकते हैं कि 'हां, मुशर्रफ उन्हें धोखा दे रहे थे।'

अमेरिका-पाकिस्तान के संबंधों में सबसे बड़े धोखे से गाल को कोई आश्चर्य नहीं हुआ। उन्हें यह जानकर कोई आश्चर्य नहीं हुआ कि बिन लादेन को एबटाबाद में 6 वर्षों तक छिपाए रखा गया था और बाद में नेवी सील की एक कार्रवाई में 2011 में उसका खात्मा‍ किया गया था।

उनका कहना था कि लादेन को बचाने में पूरी पाकिस्तान सरकारें लगी रहीं। बिन लादेन के छिपने के स्थान के बारे में गाल का कहना है कि पाकिस्तान को पता था, क्योंकि वे ही उसे छिपाए हुए थे, वे ही उसकी मदद कर रहे थे और इस बात की जानकारी किसी ने मुझे वहां दी थी। सरकार में एक स्पेशल डेस्क थी जिसके लोगों को पता था कि लादेन कहां है।

उनका कहना था कि इतना ही नहीं, उन्होंने उसे वहां रखा, उसकी पूरी तरह से हिफाजत की, उसकी देखरेख की और गोपनीय खुफिया सेवाओं के जरिए उसके सारे कामकाज को संभाला। लेकिन इन सभी बातों का खंडन किया जाता रहा जबकि मुझसे कहा जाता रहा कि शीर्ष आकाओं को सारी बातें पता हैं।

वे कहती हैं कि पाकिस्तान के साथ हमारे संबंध फिर से पिछले जैसे हो गए हैं और जो बात मुझे चिंतित करती है कि जवाहिरी अभी भी पाकिस्तान में ही है। मैं मानती हूं कि उसे भी बिन लादेन की तरह से छिपाए रखा जा रहा है और उसकी सुरक्षा की जा रही है।

अपने विचारों में उन्होंने अफगानिस्तान की बर्बादी पर अपनी चिंता जाहिर की है और यहां तक आशंका जाहिर की है कि 14 दिसंबर, 2001 को अमेरिकी युद्धक विमानों द्वारा बमबारी करने के दौरान लादेन पाकिस्तानी मदद से ही सुरक्षित निकल भागने में सफल हुआ होगा।

(पुलित्जर विजेता पत्रकार कार्लोटा गाल की पुस्तक 'द रांग एनिमी : अमेरिका इन अफगानिस्तान, 2001-2014' से साभार)