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Last Updated :मोंटेवीडियो , बुधवार, 12 नवंबर 2014 (11:38 IST)

एक अमीर देश का राष्ट्रपति, मन लागा जिसका फकीरी में...!

एक अमीर देश का राष्ट्रपति, मन लागा जिसका फकीरी में...! - Uruguay president
-अनुपमा जैन
 
मोंटेवीडियो (उरुग्वे)। यह सच आज की दुनिया का ही है। यह आज की एक सच्ची खबर है। छापामार लड़ाकू रहे एक अमीर देश के एक राष्ट्रपति की, जिसका मन राजकाज की सुख-सुविधाओं को छोड़ फकीरी में लगा है। 
 
वे अपनी 27 साल पुरानी खटारा फॉक्स्वैगन बीटल गाड़ी भी इसलिए नहीं बेचना चाहते, क्योंकि इसमें वो अपने 3 टांग के प्रिय कुत्ते मैन्युल को सैर कराते हैं। हालांकि उनकी इस कार के लिए एक अरब शेख द्वारा 10 लाख डॉलर की पेशकश की गई है। 
 
प्रति व्यक्ति 19,000 डॉलर की औसत आय वाले लातिनी अमेरिकी देश उरुग्वे के राष्ट्रपति जोसे मुजिका यानी जोसे एल्बर्टो पेपे मुजिका कोर्डैनो शायद दुनिया के सबसे सादगीपसंद राष्ट्रध्यक्ष होंगे और राजकाज करते हुए फकीरी की जिंदगी इस राजनेता ने चुनी है।
 
जोसे मुजिका उरुग्वे के राष्ट्रपति भवन के बजाय अपने एक कमरे के छोटे से मकान में रहते हैं। सुरक्षा के नाम पर बस दो पुलिसकर्मियों की सेवा लेते हैं। वे अपनी पत्नी के साथ मिलकर फूलों की खेती करते हैं ताकि कुछ बढ़ी आमदनी को वे बेघरों और जरूरतमंदों में बांट सकें। खेती के लिए ट्रैक्टर खुद चलाते हैं और इसके खराब होने पर मैकेनिक भी वही होते हैं। कोई नौकर-चाकर वे अपनी सेवा के लिए नहीं रखते हैं। 
 
बेशकीमती कारों के काफिले की बजाय वे अपनी बहुत पुरानी फॉक्सवैगन बीटल गाड़ी को खुद चलाकर ऑफिस जाते हैं। उरुग्वे के राष्ट्रपति को जो भी सुविधाएं मिलनी चाहिए, इन्हें वे सारी सुविधाएं दी गई हैं, पर इन्होंने इन सुविधाओं को लेने से इंकार कर दिया।
 
वर्ष 2010 में राष्ट्रपति बने मुजिका इसी साल अपने पद से रिटायर हो जाएंगे। साथ ही उन्होंने घोषणा की है कि वे अगला चुनाव भी नहीं लड़ेंगे। वे देश के 40वें राष्ट्रपति हैं।
 
दुनिया की वाहवाही के साथ मिले सबसे गरीब राष्ट्रपति खिताब वाले मुजिका खुद को गरीब नहीं मानते। उनका मानना है कि गरीब तो वह होता है, जो पूरी जिंदगी धन जमा करने में ही लगा देता है। उनका यह भी मानना है कि चूंकि उनकी जरूरतें कम हैं इसलिए उन्हें पैसे की ज्यादा आवश्यकता नहीं है। वेतन के तौर पर इन्हें मिलते हैं हर महीने 11,000 डॉलर। इनके बारे में कहा जाता है कि वे अपने वेतन का 90% हिस्सा दान में देते हैं जिसमें 20% हिस्सा अपनी राजनीतिक पार्टी को देते हैं।
 
आंकड़ों के अनुसार उरुग्वे में प्रतिमाह प्रति व्यक्ति की औसत आय सालाना लगभग 19,000 डॉलर है। उरुग्वे लातिनी अमेरिका का एक अमीर देश है जिसकी अर्थव्यवस्था कृषि निर्यात पर अधारित है। 34 लाख की आबादी वाला उरुग्वे प्रकृति सौन्दर्य से भरपूर माना जाता है। 
 
वे 60 के दशक के वामपंथी 'टूपामारो' छापामार नेता रहे हैं और अपने जीवन के 13 वर्ष अपने देश के लिए जेल में बिता चुके हैं। जनता उन्हें पसंद करती है और वे अलोकप्रिय व साहसिक फैसले लेने में जरा भी नहीं हिचकिचाते। 
 
दो वर्ष पूर्व उन्होंने अपने देश में मारिजुआना के नशे से निबटने के लिए मारिजुआना के इस्तेमाल को वैध ठहरा दिया था। मकसद था कि इस नशे से बीमार लोगों का इलाज अच्छी तरह से हो सके और नशे का कारोबार धीरे-धीरे नष्ट हो जाए। राष्ट्रपति ने कल ही एक जेल के उस दवाखाने का उद्घाटन किया, जहां राजनीतिक वनवास के दिनों में उन्हें यातनाएं दी गई थीं।
 
उनका कहना था कि जेल में बीमारों का कम से कम इलाज तो हो। उन्हें दुनिया के सबसे 'गरीब राष्ट्रपति' के नाम से जाना जाता है। धर्म के खाते में वे कोई धर्म नहीं लिखते हैं। शाकाहारी हैं और अकसर शाकाहार की बात करते हैं। 
 
अपनी सारी संपत्ति दान कर चुके मुजिका के पास संपत्ति के नाम पर एक छोटा-सा खेत है, जो उनकी पत्नी के नाम है। उरुग्वे के लोगों का कहना है कि वे अपने इस गोलू, गोल-मटोल, सादा-सी जिंदगी जीने वाले राष्ट्रपति को प्यार करते हैं, जो छोटे से घर में रहता है तथा अपने खेत में फूल उगाता है और उनके भले के काम करता है।
 
वे वामपंथी दलों के गठबंधन ब्रॉड्फ्रंट के सदस्य हैं और राष्ट्रपति बनने से पहले वे वर्ष 2005 से 2008 तक उरुग्वे के कृषिमंत्री व पशुपालन मंत्री भी रहे हैं। वे देश के पहले छापामार नेता हैं, जो राष्ट्रपति बने।
 
उनकी पत्नी लूसिया टोपोलास्की, जिनसे उन्होंने 2005 में लंबे समय तक साथ रहने के बाद विवाह किया है, भी टूपामारो छापामार नेता रही हैं और आजकल सीनेटर हैं। उनके कोई संतान नहीं हैं।
 
सितंबर 2013 में संयुक्त राष्ट्र में दिए गए उनके भाषण को अब तक याद किया जाता है जिसमें उन्होंने दुनियाभर से अर्थ्व्यवस्था व बाजार का बंदी जीवन जीने की बजाय मानवीय संबधों, परिवार तथा प्रेम से भरे सादगीभरे जीवन की ओर लौटने का आह्वान किया था।
 
उनके जीवन पर डॉक्यूमेंट्री बना रहे सर्बिया के जाने-माने फिल्म निर्देशक एमिर कस्टूरिकान का कहना है- 'वे राजनीति के अंतिम नायक हैं...' तो खबर है- 'मन लागा मेरा यार फकीरी में...।' 
 
(वीएनआई)